मां से बढ़कर कुछ नहीं! मासूम बच्चे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया अपना ही फैसला
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मां से बढ़कर कुछ नहीं! मासूम बच्चे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया अपना ही फैसला

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक बच्चे की हालत को देखते हुए अपने आदेश को पलट दिया है. यह मामला बच्चे की कस्टडी से जुड़ा हुआ. इस पर कोर्ट ने कहा कि बच्चों की कस्टडी को लेकर अदालत के फैसले अंतिम नहीं हो सकते.

मां से बढ़कर कुछ नहीं! मासूम बच्चे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया अपना ही फैसला

Child Custody Case: घर- परिवार में होने वाले विवाद से तंग आकर लोग कानून की राह पकड़ते हैं. इसके लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं और उन्हें ये पता होता है कि यहां से जो न्याय मिलेगा वह सर्वमान्य होगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में ऐसा कदम उठाया कि वह चर्चाओं में आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही आदेश को पलट दिया है. यह मामला बच्चे की कस्टडी से जुड़ा हुआ. इस पर कोर्ट ने कहा कि बच्चों की कस्टडी को लेकर अदालत के फैसले अंतिम नहीं हो सकते. जानें क्या है पूरा मामला. 

क्या है पूरा मामला
आपने बहुत कम ही सुना होगी की सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश को पलट दिया. कोर्ट ने 10 महीने पुराने फैसले को पलटा है, यह फैसला 13 वर्षीय बच्चे को उसके पिता के कस्टडी में सौंपने का था लेकिन अब कोर्ट ने इसे पलट दिया और कहा कि बच्चों की कस्टडी को लेकर अदालत के फैसले अंतिम नहीं हो सकते हैं. कोर्ट ने पाया कि मां से अलग होने के बाद से ही बच्चा मानसिक परेशानियों से गुजर रहा था और वह एंग्जायटी का शिकार हो गया था. 

पहले फैसले को रखा था बरकरार
इससे पहले अगस्त 2024 में कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए बच्चे की स्थायी कस्टडी पिता को दी थी. इस फैसले के बाद बच्चे की मां ने पुनर्विचार याचिका दायर की और कहा कि बच्चे मे गंभीर परेशानियों के लक्षण देखे जा रहे हैं. मनोवैज्ञानिक की रिपोर्ट में भी बच्चे में सेपरेशन एंग्जायटी डिसऑर्डर का खतरा बताया गया. इसके अलावा मां ने उसके पिता पर यह भी आरोप लगाया कि उसके बच्चे को धमकाया गया और मां से नहीं मिलने दिया जा रहा है.

बच्चे की कस्टडी को लेकर लड़ाई
बच्चे के माता- पिता की शादी साल 2011 में हुई थी और 2012 में बच्चे का जन्म हुआ हालांकि बच्चे के माता- पिता में लगातार अनबन बनी रहती थी इसके बाद साल 2015 में दोनों आपसी सहमति से अलग हो गए और इस बात पर भी सहमति बनी की बच्चा मां के ही पास रहेगा, तलाक के बाद महिला ने दोबारा शादी कर ली और 2019 तक पिता ने उसकी एक बार भी खबर नहीं ली, साल 2022 तक बच्चा मां की कस्टडी में रहा वह बच्चे को मलेशिया ले जाने वाली थी लेकिन उसके पिता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो बच्चे की कस्टडी पिता को दे दी गई. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया तो पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला बरकरार रखा और फिर जब मां ने दोबारा याचिका दायर की तो कोर्ट ने अपने आदेश को पलटते हुए बच्चे की सेहत को ध्यान में रखते हुए उसे मां की कस्टडी में देने का फैसला किया.

F&Q

सवाल- सुप्रीम कोर्ट की स्थापना कब हुई?
जवाब- सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 26 जनवरी 1950 में हुई. 

सवाल- सुप्रीम कोर्ट कहां पर स्थित है?
जवाब- भारत का सर्वोच्च न्यायालय  नई दिल्ली में स्थित है. 

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