Donald Trump News: अपने बयान में ट्रंप ने कहा है कि रूस से भारत ना सिर्फ बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है. बल्कि तेल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच भी रहा है. भारत को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि रूस इस पैसे से क्या कर रहा है, इस वजह से मैं भारत पर टैरिफ बढ़ाने जा रहा हूं'.
Trending Photos
DNA मित्रों अब से कुछ देर पहले अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी. हम ट्रंप की इस नई धमकी का DNA टेस्ट करेंगे और इसके साथ ही आज हम आपको ये भी बताएंगे कि किस तरह यूएस प्रेसिडेंट ट्रंप के दफ्तर से लेकर अमेरिका के निजी दफ्तरों और अदालतों तक भारत विरोधी सोच फैलती जा रही है और क्यों भारत को लेकर ट्रंप की बौखलाहट बढ़ती जा रही है. ट्रंप पहले तो अपने सहयोगियों को भारत के खिलाफ बोलने के लिए उकसाते हैं और उसका कोई असर नहीं होता तो खुद सामने आकर धमकाने की कोशिश करते हैं.
ट्रंप की भारत विरोधी इस नैरेटिव को समझने के लिए आपको भारत पर ट्रंप का वो बयान गौर से देखना और समझना चाहिए. सोमवार की देर शाम आया. ताजा बयान में ट्रंप ने कहा, 'रूस से भारत ना सिर्फ बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है. बल्कि अपने फायदे के लिए उसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच भी रहा है. भारत को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि रूस इस पैसे से कहां तबाही मचा रहा है, इसी वजह से मैं भारत पर टैरिफ बढ़ाने जा रहा हूं'.
यानी ट्रंप धमकी दे रहे हैं कि वो भारत पर और भी ज्यादा टैरिफ बढ़ाएंगे. वो पहले ही भारत पर 25 परसेंट टैरिफ लगा चुके हैं और अब इसे और बढ़ाने की बात कर रहे हैं. पाकिस्तान पर सिर्फ 19 परसेंट टैरिफ लगाया. लेकिन भारत पर 25 परसेंट टैरिफ लगाने के बाद भी ट्रंप का मन नहीं भरा, वो धमकी दे रहे हैं। रूस से दोस्ती को लेकर निशाना बना रहे हैं ट्रंप से पहले व्हाइट हाउस के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफन मिलर ने भी ऐसा ही बयान दिया था. आपको ट्रंप के सहयोगी का ये बयान भी ध्यान से समझना चाहिए.
भारत की तरक्की से क्यों चिढ़ता है पश्चिम?
एक इंटरव्यू में स्टीफन मिलर ने कहा है, राष्ट्रपति ट्रंप साफ कर चुके हैं कि रूस से तेल खरीदकर भारत इस युद्ध को फाइनेंस कर रहा है. जो अमेरिका को मंजूर नहीं है. आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि भारत और चीन मिलकर रूस से तेल खरीद रहे हैं. अब तक ट्रंप सरकार रूस और भारत के बीच तेल के व्यापार को लेकर सवाल उठा रही थी. लेकिन स्टीफन मिलर ने एक कदम आगे बढ़कर अपने बयान में भारत और चीन की पार्टनरशिप का जिक्र किया. पूरी दुनिया जानती है कि ये एक ऐसी सूरत है, जिसकी संभावना ना के बराबर है. लेकिन ट्रंप के सहयोगी के ये शब्द बताने के लिए काफी हैं कि अब भारत और रूस का सहयोग रोकने के लिए ट्रंप सरकार कपोल कल्पनाओं से भरी कहानियां गढ़ने से भी नहीं चूक रही है.
#DNAWithRahulSinha | ट्रंप का प्रोपेगेंडा...नफरत फैला गया ! भारत की 'बिंदी'..अमेरिका को क्यों खटकी?
अमेरिका में 'भारत विरोधी सोच' फैल रही?#DNA #DonaldTrump #UnitedStates @RahulSinhaTV pic.twitter.com/brtGw88Bt8
— Zee News (@ZeeNews) August 4, 2025
हालांकि हम आपको बता दें ना तो ट्रंप की टैरिफ की धमकी का भारत पर कोई प्रभाव पड़ा है और ना ट्रंप सरकार का झूठा नैरेटिव भारत को बैकफुट पर धकेल पाएगा. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, ये समझने के लिए आपको भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल और विदेश मंत्री एस जयशंकर से जुड़ी एक बड़ी खबर को गौर से देखना और समझना चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक NSA अजीत डोवल और विदेश मंत्री एस जयशंकर इसी महीने मॉस्को की यात्रा पर जाएंगे. बताया जा रहा है कि महीने के दूसरे हफ्ते में डोवल रूस जा सकते हैं और अगस्त के आखिरी हफ्ते में विदेशमंत्री का दौरा होगा. इन दोनों ही दौरों पर रूस के साथ भारत की उच्च स्तरीय बैठक होंगी.
ट्रंप का सिर्फ और सिर्फ एक मकसद
ट्रंप किसी भी कीमत पर भारत और रूस के बीच दोस्ती को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं ताकि अमेरिका के सामरिक हितों को साधा जा सके. भारत पर दबाव बढ़ाने की इस पूरी रणनीति के पीछे ट्रंप का एक ही मकसद है कि किसी भी सूरत में भारत को अमेरिकी फाइटर जेट F-35 बेचना. पिछले 6 महीनों के अंदर ट्रंप सरकार दो बार भारत को ये फाइटर जेट खरीदने का ऑफर दे चुकी है. लेकिन इस अमेरिकी विमान को लेकर भारत का क्या रुख है, ये समझने के लिए आपको लोकसभा में केंद्र सरकार का जवाब गौर से देखना और समझना चाहिए.
लोकसभा में विदेश मंत्रालय से सवाल पूछा गया था, क्या F-35 की डील को लेकर भारत और अमेरिका के बीच अधिकारिक तौर पर कोई बातचीत हुई है. जिसपर जवाब देते हुए विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के बीच F-35 को लेकर बातचीत हुई थी, लेकिन किसी किस्म का अधिकारिक विचार विमर्श नहीं किया गया है.
'F-35 में दुनियाभर में शिकायतें आ रही हैं'
भारत ने साफ-साफ कह दिया है कि अमेरिकी जंगी जेट का जो कथित ऑफर ट्रंप दे रहे थे, उसके तत्कालीन स्वरूप में भारत की दिलचस्पी नहीं है. ट्रंप ने पहले F-35 की डील को लेकर बयान दिया था. अब वो बैकडोर से ब्लैकमेलिंग की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन क्या ट्रंप वाकई F-35 फाइटर जेट बनाकर भारत या किसी और देश को बेच सकते हैं. इस सवाल के उठने की वजह है, इस विमान को बनाने वाली कंपनी में हुई बड़ी हड़ताल जिससे जुड़ी जानकारी आपको भी बेहद ध्यान से पढ़नी चाहिए.
मजदूर यूनियन जिंदाबाद!
F-35 फाइटर जेट को अमेरिका की बोइंग कंपनी बनाती है. इस कंपनी के 3 हजार कर्मचारी हड़ताल पर हैं और हड़ताल पर गए कर्मचारी कंपनी की उसी यूनिट से हैं. जो फाइटर जेट का निर्माण करती है. दरअसल बोइंग के कर्मचारी अपनी सैलरी में की गई बढ़ोतरी से संतुष्ट नहीं है. जिसका विरोध हड़ताल से दिया जा रहा है. इस हड़ताल से बोइंग के चार कारखानों में कामकाज प्रभावित हुआ है.
अगर ऐसे ही हालात रहे तो ट्रंप के लिए फाइटर जेट बेचना तो दूर की बात अमेरिका की हवाई सुरक्षा करना मुश्किल हो जाएगा. इसलिए ट्रंप के लिए यही बेहतर है कि वो भारत के खिलाफ टैरिफ और झूठे नैरेटिव वाले हथकंडे ना अपनाएं और अपने देश के हालात सुधारें.
अब तक ट्रंप ने भारत के साथ जो दांव-पेच खेले हैं, उनसे ट्रंप को इतना तो पता चल गया है कि भारत ऐसी खोखली धमकियों के आगे झुकने वाला नहीं है. इसी वजह से ट्रंप ने अपने दूसरे विकल्प भी तैयार कर लिए हैं ताकि भारत के साथ किसी फायदेमंद डील को अंजाम दिया जा सके. अब हम आपको डीलर ट्रंप का प्लान B बताने जा रहे हैं, जिसे आपको ध्यान से देखना और समझना चाहिए.
क्यों पीछे पड़ा है अमेरिका?
25 अगस्त को एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भारत आने वाला है. ये प्रतिनिधिमंडल अमेरिका और भारत द्वारा लगाए गए टैरिफ पर बातचीत करेगा. अब तक दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर 5 बार बातचीत हो चुकी है और 25 अगस्त को विचार विमर्श का छठा चरण शुरु होगा. दरअसल अमेरिका चाहता है कि भारत इलेक्ट्रिक व्हीकल, दूध के उत्पादों और कृषि उत्पादों पर टैरिफ घटाए. जबकि भारत का मत है कि अमेरिका को भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर ड्यूटी कम करनी चाहिए. अमेरिकी प्रतिनिधियों ने मीडिया को बताया है कि वो एक अंतरिम डील तय करना चाहते हैं ताकि आगे बातचीत का रास्ता खुला रहे.
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से आए बयान साफ इशारा दे रहे हैं कि ट्रंप भी भारत के साथ सख्त रुख नहीं अपनाना चाहते क्योंकि ऐसा करने से अमेरिका ना सिर्फ भारत के रूप में एक बड़ा बाजार खो देगा बल्कि अमेरिकी इम्पोर्ट को भी नुकसान पहुंचेगा.