Sonam Wangchuk: लद्दाख में पर्यावरण के लिए काम करने वाले सोनम वांगचुक ने एक बार फिर लोगों के लिए आवाज बुलंद की है. उन्होंने कहा है कि सिर्फ विकास से खुश नहीं रहा जा सकता. लोगों को कुछ और भी चाहिए.
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Sonam Wangchuk: लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सोनम वांगचुक ने कहा कि 2019 में केंद्र शासित प्रदेश (UT) बनने के बाद लद्दाख में तेजी से बुनियादी ढांचा विकसित हुआ है, सड़कें बनी हैं और बजट कई गुना बढ़ा है, लेकिन उनका मानना है कि सिर्फ विकास से लोग खुश नहीं रह सकते, अगर उनकी आवाज और इच्छाओं को महत्व न दिया जाए.
वांगचुक ने उदाहरण देते हुए कहा कि तिब्बत में भी चीन ने विकास किया है, लेकिन वहां के लोग खुश नहीं हैं क्योंकि यह विकास उनके हाथ में नहीं है और न ही उनकी भलाई के लिए है. अगर लद्दाख में भी यही स्थिति दोहराई गई तो यह सोने का पिंजरा होगा.
#WATCH | Delhi | Activist Sonam Wangchuk says, "From today, the 9th ofAugust till 12th of August, a protest has been called by the Kargil Democratic alliance in Kargil in association with the Leh Apex Body together and this is mainly because the talks that were going on between… pic.twitter.com/KtdqCWYlHQ
— ANI (@ANI) August 9, 2025
वांगचुक का कहना है कि लद्दाख के लोग चाहते हैं कि उन्हें अपने भविष्य और विकास की दिशा तय करने का हक मिलना चाहिए. फिलहाल केंद्र सरकार और स्थानीय संगठनों- लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के बीच चल रही बातचीत अटक गई है. 15 जुलाई को होने वाली मीटिंग पहले टली, फिर 25 और 28 जुलाई को भी नहीं हो पाई. इस देरी से जनता में असंतोष बढ़ रहा है. इसी वजह से करगिल में 10 अगस्त से तीन दिन क भूख हड़ताल आंदोलन भी शुरू हुआ है, जो 11 अगस्त को एक बड़ी जनसभा के साथ समाप्त होगा.
उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोग हमेशा भारतीय सेना के साथ खड़े रहे हैं और हर जंग में उनका साथ दिया है, लेकिन कुछ नेताओं की दूरदृष्टि की कमी और कुछ कंपनियों को प्राथमिकता देने की नीति से जनता की मांगें अनदेखी हो रही हैं. उनका मानना है कि यह न सिर्फ लद्दाख बल्कि पूरे देश के लिए नुकसानदेह है और इससे सीमाई इलाकों की स्थिरता और सुरक्षा पर बुरा असर पड़ सकता है.
वांगचुक ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा. इसमें 5-6 हफ्तों की लंबी भूख हड़ताल या लेह से दिल्ली तक कई बार पैदल मार्च शामिल हो सकता है. उन्होंने कहा,'दुनिया को देखना चाहिए कि गांधी के रास्ते पर चलना कितना कठिन है.'
लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था. तब से यहां के लोग दो मुख्य मांगें कर रहे हैं, राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष सुरक्षा, ताकि उनकी जमीन, संस्कृति और रोजगार संरक्षित रह सके. आखिरी बार 27 मई को उच्च स्तरीय समिति (HPC) की मीटिंग नई दिल्ली में हुई थी, जिसमें रिजर्वेशन और डोमिसाइल से जुड़े मुद्दे सुलझाए गए थे, लेकिन अन्य महत्वपूर्ण मांगें, जैसे राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा, अब तक लंबित हैं, जिससे लद्दाख में असंतोष और आंदोलन का माहौल बना हुआ है.