Justice Verma Removal Proposal: जस्टिस वर्मा को हटाने वाले प्रस्ताव से जुड़ी एक खबर आ रही है कि विपक्ष का वो प्रस्ताव मंजूर ही नहीं हुआ है. ऐसे में उसे वापस लेने का कोई सवाल नहीं पैदा होता.
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Justice Verma: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे का संबंध जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए पेश किए प्रस्ताव से जोड़ा जा रहा था. हालांकि अब सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि जस्टिस वर्मा को हटाने का विपक्ष का प्रस्ताव राज्यसभा में एडमिट नहीं हुआ. ऐसे में सवाल उठता है कि जब प्रस्ताव ही मंजूर नहीं हुआ तो वापस कैसे लिया जा सकता है?
सोमवार को धनखड़ ने चेयर से जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्ष के प्रस्ताव का उल्लेख किया था. यह जस्टिस वर्मा के मुद्दे पर बनी सहमति का उल्लंघन था क्योंकि यह तय हुआ था कि इस पर सब दल एक हैं. उनके इस्तीफे के पीछे यह एक बड़ा कारण माना जा रहा था, लेकिन अब सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक समिति बनाने का फैसला लोकसभा स्पीकर करेंगे और राज्यसभा की भी सहमति होगी.
मानसून सत्र शुरू होने से पहले केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू ने कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग (इम्पीचमेंट) की प्रक्रिया सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि सभी राजनीतिक पार्टियों के सांसदों की एक सांझा पहल है. उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक गंभीर और संवेदनशील मामला है, इसलिए सभी पार्टियों के सांसद मिलकर जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लाने के पक्ष में हैं. रिजिजू ने कहा,'मैंने सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों के सीनियर नेताओं से बात की है. मैं छोटे दलों के एकल सांसदों से भी संपर्क करूंगा ताकि संसद का कोई भी सदस्य इस प्रक्रिया से बाहर न रह जाए. यह भारत की संसद की एकजुट राय बन सके.'
सूत्रों के मुताबिक महाभियोग प्रस्ताव को अभी तक सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दलों के 100 से ज्यादा सांसदों का समर्थन मिल चुका है. उम्मीद है कि विपक्षी दलों के सांसद भी जल्द अपने हस्ताक्षर देंगे. जब यह प्रस्ताव लोकसभा में औपचारिक तौर पर जमा किया जाएगा, तो स्पीकर यह तय करेंगे कि इसे स्वीकार किया जाए या नहीं. अगर यह प्रस्ताव मंज़ूर होता है, तो एक तीन सदस्यीय जांच समिति बनेगी जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाई कोर्ट के जज और एक जाने-माने कानून विशेषज्ञ होंगे. यह समिति जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करेगी और संसद को रिपोर्ट देगी.
मार्च महीने में दिल्ली हाई कोर्ट में जज रहते हुए, जस्टिस वर्मा के पास काफी मात्रा में नकदी मिलने का मामला सामने आया था. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. हालांकि जस्टिस वर्मा ने कहा है कि उन्हें इस नकदी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.