छोटी उम्र में ही बच्चों को बनाएं इमोशनली स्ट्रॉन्ग, आज से अपनाएं ये 3 पेरेंटिंग टिप्स
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छोटी उम्र में ही बच्चों को बनाएं इमोशनली स्ट्रॉन्ग, आज से अपनाएं ये 3 पेरेंटिंग टिप्स

Emotional Management for Children: आज के समय में जहां लोगों में मानसिक बीमारियां बढ़ रही हैं, वहीं इमोशनल मैनेजमेंट की जरूरत भी बढ़ गई है. बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी को अपने इमोशन को समझना और कंट्रोल करना सीखना जरूरी हो गया है. ऐसे में हम आपको बताएंगे, कि आप छोटी उम्र में ही अपने बच्चे को इमोशनल मैनेजमेंट कैसे सिखा सकते हैं. 

 

छोटी उम्र में ही बच्चों को बनाएं इमोशनली स्ट्रॉन्ग, आज से अपनाएं ये 3 पेरेंटिंग टिप्स

Parenting Tips: बचपन में ही सारी चीजों की नींव रखी जाती है. ये समय केवल खेल-कूद और पढ़ाई तक सीमित नहीं होता, इस उम्र में बच्चे की इमोशनल ग्रोथ भी होती है. अगर इस उम्र में उन्हें अपने इमोशन्स को समझना और संभालना नहीं सिखाया जाए, जो बड़े होकर वे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा, डर या निराशा महसूस कर सकते हैं. इसलिए बच्चों को इमोशनल मैनेजमेंट सिखाना बेहद जरूरी है. इस खबर में हम आपको बताएंगे, कि आप अपने बच्चे को छोटी उम्र में ही इमोशनल बैलेंस बनाना कैसे सिखा सकते हैं. 

 

फीलिंग्स को समझना और नाम देना
बड़ों की तरह बच्चे भी गुस्सा, डर दुख या जलन जैसी फीलिंग्स महसूस करते हैं, लेकिन इनमें फर्क नहीं कर पाते और उन्हें समझ नहीं आता कि वे क्या महसूस कर रहे हैं? ऐसे में उन्हें सिखाएं कि वे अपनी फीलिंग्स गुस्सा, उदासी, डर का नाम दें. ऐसे में जब बच्चा फीलिंग्स को पहचानने लगेगा, तो वह आपको उसके बारे में बाद कर पाएगा, इससे उसे अपने फीलिंग्स को समझने और संभालने में मदद मिलेगी. 

 

क्लियर कम्युनिकेशन
बच्चे के साथ ऐसा माहौल बनाएं कि वह आपसे खुल कर बात कर सके. बच्चे सबसे पहले अपने माता-पिता को देखकर ही चीजें सीखते हैं, ऐसे में जब घर का माहौल ऐसा बना रहेगा, जहां बच्चा अपनी हर फीलिंग्स खुलकर शेयर कर सके. तो वह खुद आगे आकर आपसे बात करेगा. बच्चे के नाराज या उदास होने पर उसे डांटने के बजाय उससे बात करें, उसकी बात सुनें और पूछें कि उसे ऐसा क्यों लगता है. यह आदत उसे धीरे-धीरे अपनी फीलिंग्स समझने में मदद करेगी. 

 

गुस्सा शांत करने के टिप्स
बच्चों को गुस्सा आना नॉर्मल है, लेकिन इसे हैंडल करना जरूर आना चाहिए. ऐसे आप अपने बच्चों के गुस्से शांत करने की तकनीकें सिखाएं. आप उन्हें गहरी सांस लेना, 10 तक गिनती गिनना, या थोड़ी देर के लिए अलग बैठना जैसे टिप्स से रूबरू करवाएं. इससे वह धीरे-धीरे खुद को कंट्रोल करना सीख जाएगा और हर बात पर रिएक्ट करने के बयाज सोच-समझकर रिस्पॉन्ड करेगा.

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