Who is Vijay Sales Boss Nanu Gupta: उसकी जेब में सिर्फ 2000 रुपये थे. हाथ में 10वीं पास की डिग्री थी. न अंग्रेजी आती थी और न ही बिजनेस का B समझ में आता था, लेकिन उसके पास अगर कुछ था तो हार न मानने की जिद. घर-घर जाकर पंखे और सिलाई मशीन बेचता था.
Vijay Sales Owner: उसकी जेब में सिर्फ 2000 रुपये थे. हाथ में 10वीं पास की डिग्री थी. न अंग्रेजी आती थी और न ही बिजनेस का B समझ में आता था, लेकिन उसके पास अगर कुछ था तो हार न मानने की जिद. घर-घर जाकर पंखे और सिलाई मशीन बेचता था. लोगों की जरूरतों को उसने करीब से देखा और उसी गैप को भांपकर एक ऐसी शुरुआत की, जिसने साइकिल पर सिलाई मशीन बेचने वाले को 8000 करोड़ रुपये का मालिक बना दिया. दसवीं पास आज 140 से ज्यादा स्टोर्स का मालिक हैं. हरियाणा के छोटे से गांव के रहने वाले इस शख्स मुंबई के माबिम इलाके में 40 फुट के एक छोटी सी दुकान से विजय सेल्स ( Vijay Sales) का विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया. आज कहानी नानू गुप्ता ( Nanu Gupta) की, जिन्होंने सिर्फ 2000 रुपये की बदौलत 8000 करोड़ रुपये के वैल्यूएशन वाले विजय सेल्स की नींव रखी.
हरियाणा के नानू गुप्ता का परिवार खेती-किसानी करता था. सीमित कमाई थी, इसलिए पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई. वो समझ गए थे कि उन्हें घर से बाहर निकलना होगा, तभी वो परिवार की आर्थिक हालात को बदल पाएंगे. इसी सोच के साथ जेब में 2000 रुपये लेकर दसवीं पास नानू गुप्ता 1954 में मुंबई आ गए. उन्होंने साल 1967 में मुंबई के माहिम इलाके में एक छोटा सा दुकान किराए पर लिया. साइकिल पर सिलाई मशीन, रेडियो, पंखे लेकर गली-गली घूमकर दुकान का सामान बेचते थे.
नानू ने अपने भाई के नाम पर दुकान का नाम विजय सेल्स रखा. लोगों के बीच जान-पहचान बढ़ाने के लिए वो खुद साइकिल पर छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स लेकर बेचने निकल जाते. गली-गली घूमकर सिलाई मशीन, पंखे, रेडियो बेचते. ऐसा करने वो न केवल सेल्स का हुनर सीख रहे थे, बल्कि लोगों के साथ रिश्ते बना रहे थे. लोगों को भरोसा जीतने और फिर उन्हें अपनी दुकान आने के लिए कहते. साल 1974 में उन्होंने अपनी दुकान में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी बेचना शुरू किया. फिर कलर टीवी का जमाना आया. वो समझ चुके थे कि लोगों को दुकान में बुलाया है तो उन्हें आकर्षित करना होगा.
उन्होंने दुकान के लिए बड़ी जगह ली, ताकि टीवी को डिस्प्ले अच्छे से किया जा सके. उन्होंने तय किया था कि दुकान में सारे टीवी चालू रखे जाएं, जिससे ग्राहक आकर्षित हों. उनकी ये स्ट्रेटजी काम कर गई. धीरे-धीरे उन्होंने ग्राहकों को भरोसा जीत लिया और उसी भरोसे पर उस दौर में उन्होंने EMI पर सामान खरीदने की सुविधा दे दी. उस समय EMI का चलन नहीं था, लेकिन नानू ने लोगों को किस्तों में भुगतान करने की सुविधा देते थे. ये फैसला उनके लिए ब्लॉकबस्टर साबित हुआ.
नानू की एक ही रणनीति थी, ग्राहकों को खुशी.अगर किसी को सामान में दिक्कत आती नानू खुद ग्राहकों के घर पहुंच जाते और समस्या सुलझाते. उनकी ईमानदारी और सेवा ने लोगों का दिल जीत लिया. इसी बदौलत उन्होंने साल 2006-07 तक विजय सेल्स की 10 से ज्यादा शोरूम खोल लिए. पुणे, अहमदाबाद, सूरत और दिल्ली में स्टोर खोले . देशभर में विजय सेल्स के 140 से ज्यादा शोरूम खुद गए.
साल 2007 में विजय सेल्स ने मोबाइल फोन , कंप्यूटर जैसे डिजिटल प्रोडक्ट्स को भी अपनी दुकान में जगह दी. विजय सेल्स में 9000 से अधिक प्रोडक्ट्स पहुंच गए. नानू गुप्ता विजय सेल्स के चेयरमैन हैं, उनके बेटे नीलेश और आशीष गुप्ता डायरेक्टर और पोता करण गुप्ता भी बिजनेस में शामिल है. विजय सेल्स का टारगेट साल 2025 तक अपनी बिक्री को 8000 से 10,000 करोड़ रुपये तक ले जाना है.
आज विजय सेल्स में हजारों तरह के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट मिलते है. उनकी सफलता का मूल मंत्र विश्वास, ईमानदारी और ग्राहक सेवा. नानू गुप्ता ने तरक्की के लिए जल्दीबाजी नहीं दिखाई. उनका फॉर्मूला था, कभी बिज़नेस में जल्दी नहीं करनी है. भले ही धीमी लेकिन मजबूत बढ़त होनी चाहिए. आज विजय सेल्स हर साल 4000 करोड़ रुपये से अधिक की सेल करता है. Vijay Sales का टारगेट साल 2025 तक इस सेल को दोगुना कर ₹8,000–₹10,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाना है. कंपनी का रेवेन्यू ₹11,000 करोड़ का है. 8 हजार से अधिक कर्मचारी हैं.
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