Bangladesh Political Crisis: बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना की वापसी की अफवाहों को लगातार बल मिल रहा है. इसकी सबसे बड़ी मोहम्मद युनूस की अगुआई वाली सरकार के खिलाफ वहां के अवाम में असंतोष और हसीना को सत्ता हटाने में अहम भूमिका निभाने वाले अलग-अलग सियासी तंजीमों के इत्तिहाद में दरारें हैं.
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Bangladesh Politics: बांग्लादेश की मौजूदा सियासी सूरत-ए-हाल बेहद नाजुक हैं. देश में सैन्य शासन और इमरजेंसी लगाए जाने की अटकलें जोरों पर हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह मोहम्मद यूनुस की अगुआई वाली अंतरिम सरकार के खिलाफ मुल्क के अवाम में बड़े पैमाने पर असंतोष, बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई हैं. इन सब के बीच देश में पूर्व पीएम शेख हसीना की वापसी की अफवाहों को भी बल मिला है.
पिछले साल अगस्त में सत्ता और देश छोड़ने को मजबूर हुईं शेख हसीना खुलकर बांग्लादेश के हालात पर बोल रही हैं. उनकी पार्टी आवामी लीग भी जमीन पर एक्टिव होती दिख रही हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में चुनावों की सुगबुगाहट के बीच हसीना ने अवामी लीग के सपोर्टरों से एकजुट होने की अपील की है. वहीं, कुछ अवामी लीडरों ने दावा किया है कि कुछ महीनों के भीतर पार्टी धमाकेदार वापसी कर सकती है.
जबकि, शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय, यूएसए अवामी लीग के नाइब सद्र रब्बी आलम और पार्टी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एएफएम बहाउद्दीन नसीम समेत अवामी लीग के कई सीनियर लीडरों ने उम्मीद जताई है कि हसीना की बांग्लादेश में वापसी हो सकती है. हालांकि, आवामी लीग की वापसी इतनी आसानी से नहीं होने वाली है. उसकी रास्ते में आने वाली रुकावटों की लिस्ट बहुत लंबी है.
बेमिसाल इत्तिहाद में दरारें
हाली ही में बीएनपी और जमात समेत प्रतिद्वंद्वी ग्रुप के साथ हिंसक झड़पों ने ढाका में अवामी लीग की रैली को नाकाम कर दिया. ऐसे में, शेख हसीना की संभावित वापसी उनके मुखालिफों को फिर एकजुट कर सकती है जो फिलहाल एक दूसरे से दूर जाते हुए दिख रहे हैं. दरअसल, अगस्त 2024 में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को हटाने के दौरान बांग्लादेश में अलग-अलग सियासी तंजीमों में बेमिसाल इत्तिहाद दिखी थी लेकिन अब इसमें दरारें नजर आने लगी हैं.
सेना का झुकाव..
लेकिन, यहां सबसे अहम भूमिका सेना की होगी. उसका झुकाव मुल्क का आने वाला फ्यूचर तय करेगा.सिक्योरिटी फोर्सेज ने पूर्व पीएम शेख हसीना को हटाने और यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार की एस्टेब्लिशमेंट में अहम भूमिका निभाई थी. बता दें, सेना छह महीने से ज्यादा वक्त से मजिस्ट्रेसी ताकतों का इस्तेमाल कर रही है और शहरी एडमिनिस्ट्रेशन की मदद कर रही हैं.
स्टूडेंट एक्टिविस्ट का बड़ा दावा
हालांकि ऐसा लगता है कि सेना, सियासी पार्टियों और शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन शुरू करने वाले स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. एक प्रमुख स्टूडेंट एक्टिविस्ट और नई नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के नेता हसनत अब्दुल्ला ने हाल ही में आर्मी चीफ के बारे में एक बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि आर्मी चीफ जनरल वकार उज-जमान नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त करने के इच्छुक नहीं थे.