राम मंदिर की प्रोपेगेंडा कवरेज पर अमेरिकी मीडिया की बखिया उधेड़ दी थी, नए FBI चीफ के हिंदुत्व प्रेम से क्यों डरे कट्टरपंथी
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राम मंदिर की प्रोपेगेंडा कवरेज पर अमेरिकी मीडिया की बखिया उधेड़ दी थी, नए FBI चीफ के हिंदुत्व प्रेम से क्यों डरे कट्टरपंथी

Kash Patel: काश पटेल ने गीता पर हाथ रखकर FBI के नौवें डायरेक्टर के रूप में अधिकारिक शपथ लेकर मुल्क की सबसे बड़ी सीक्रेट एजेंसी की कमान जैसे ही संभाली, वैसे ही पाकिस्तानी लोग मातम मना रहे हैं, उनकी खुफिया एजेंसी आईएसआई वाले सहम गए हैं.

राम मंदिर की प्रोपेगेंडा कवरेज पर अमेरिकी मीडिया की बखिया उधेड़ दी थी, नए FBI चीफ के हिंदुत्व प्रेम से क्यों डरे कट्टरपंथी

Kash Patel News: अमेरिकी संसद में वोटिंग के बाद बहुमत का ऐलान होते ही भारतीय मूल के काश पटेल खुफिया एजेंसी एफबीआई (FBI) के नए चीफ बन गए. उनकी नियुक्ति के पक्ष में 51 वोट और विरोध में 49 वोट पड़े. शपथ लेते ही काश पटेल एक्शन मोड में आए तो आतंकवादियों को पालने वाले पाकिस्तान की सांसे अटक क्यों अटक गईं, आइए बताते हैं. 

काश पटेल से विरोधियों को डर

काश पटेल ने गीता पर हाथ रखकर FBI के नौवें निदेशक के रूप में आधिकारिक शपथ ली. इससे अमेरिका-ब्रिटेन समेत पूरी दुनिया के कट्टरपंथी सहम गए हैं. इसके चार से पांच संभावित कारण हो सकते हैं 1. काश पटेल हिंदू हैं और भारतीय मूल के हैं. 2. उनका भारत और हिंदुत्व प्रेम समय-समय पर गंगा की धारा जैसे उमड़ता रहता है. 3. इजरायल-अमेरिका भारत के दोस्त हैं और आतंकियों को पालने वाले पाकिस्तान पर नजर टेढी किए बैठे हैं. 4. अमेरिका के प्रेसिडेंट ट्रंप के आंख-कान बने बैठे इलॉन मस्क यूरोप तक के दंगाइयों को उनकी औकात बताकर चेतावनी दे रहे हैं. 5. जब आज के इतने ताकतवर नहीं थे तब अमेरिकी मीडिया की वनसाइडेड प्रोपेगेंडा कवरेज पर फटकार लगाते हुए काश पटेल ने अपने देश की मीडिय को आईना दिखाया था.

ऐसे में पटेल के FBI बॉस की सीट पर बैठते ही कट्टरपंथियों का एक बड़ा तबका सहमा हुआ है. क्योंकि पाकिस्तान हमेशा भारत के खिलाफ साजिश रचता है. आतंकी घुसपैठ करवाता है. 

दुनिया की सबसे पावरफुल खुफिया एजेंसी अमेरिका, इजरायल और भारत की हैं. FBI, CIA, मोसाद, RAW, IB का दुनिया में बोलबाला है. ऐसे में माना जा रहा है कि ट्रंप के कट्टर समर्थक काश पटेल अमेरिकी फ़ेडरल ब्यूरो में कई तरह के बदलाव कर सकते हैं, जो लंबे समय से उनके निशाने पर रहा है. 

दुनियाभर में फैले सैकड़ों सीक्रेट अमेरिकी जासूस पल-पल की रिपोर्टिंग करते हैं. ऐसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI वाले अगर भारत के खिलाफ साजिश बुनेंगे तो उनको रियल टाइम मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा.

काश पटेल शुक्रवार को आधिकारिक रूप से शपथ लेने के बाद सुर्खियां बटोर रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने में पटेल सर्वश्रेष्ठ एफबीआई निदेशक के रूप में जाने जाएंगे. एफबीआई निदेशक का कार्यकाल आमतौर पर 10 साल का होता है, ताकि राजनीतिक हस्तक्षेप से बचा जा सके.

जब राम मंदिर की रिपोर्टिंग के दौरान अमेरिकी मीडिया को धोया

काश पटेल ने अयोध्या के राम मंदिर के संबंध में अनर्गल प्रताप करने पर यूएस के प्रमुख मीडिया घरानों को आड़े हाथ लेते हुए उनका सच से सामना कराया था. पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स ने 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर के अभिषेक को बढ़ते हिंदू राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में पेश किया था. तब काश पटेल ने उनकी प्रोपेगेंडा रिपोर्टिंग पर सवाल उठाते हुए कहा- 'वो हिंदू विरासत की अनदेखी कर रहे हैं'. उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान हुई कवरेज का हवाला देते हुए सेलेक्टिव नैरेटिव उठाने और सभी तथ्य न छापने की आलोचना की थी. काश पटेल ने पश्चिमी मीडिया को राम मंदिर के पिछले 500 वर्षों के इतिहास को कवर न करने के लिए उनके दिग्गज आउटलेट्स और रिपोर्ताज की आलोचना की थी.

काश पटेल ने कहा, 'राम के मंदिर का उद्घाटन, जब पीएम मोदी मंदिर गए, तो बात का बतंगड़ बनाया गया. वाशिंगटन के सभी अखबारों ने केवल पिछले 50 वर्षों का इतिहास कवर किया लेकिन वो पिछले 500 साल में राम मंदिर को लेकर क्या हुआ था वो कवरेज करना भूल गए. साल 1500 में देवताओं और भगवान का एक विशाल हिंदू मंदिर था जिसे गिरा दिया गया था. हिंदू 500 वर्षों से इसे वापस पाने की कोशिश कर रहे थे, मंदिर बन गया तो इसे हिंदू राष्ट्रवाद से जोड़ा जा रहा है, ये सरासर गलत है'.

उन्होंने अमेरिकी मीडिया की कवरेज को दुष्प्रचार अभियान बताया था. तब पटेल ने कहा था, 'वाशिंगटन के मीडिया हाउस इतिहास के उस हिस्से को जिस तरह से भूल गए उसे मैं उनका दुष्प्रचार अभियान मानता हूं, जो भारत और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) की स्थिति के लिए हानिकारक है. वो मीडिया का ऐसा इस्तेमाल कर रहे हैं, जो गलत है. मुझे लगता है कि वो ट्रंप और मोदी के विरोध में खड़े हैं और वाशिंगटन के कुछ प्रतिष्ठान नहीं चाहता कि हिंदुओं की किसी अच्छी बात का सकारात्मक प्रसारण हो.

क्यों परेशान हैं पाकिस्तान और ISI?

आपको बताते चलें कि डोनाल्ड ट्रंप जब अहमदाबाद आए थे, तब पटेल ने उनके भाषण में संबंधित नोट्स जोड़े थे. ताकि ट्रंप की बातों से भारत के लोग आसानी से कनेक्ट हो सकें. इस तालमेल को बिठाने के लिए सचिन तेंदुलकर और स्वामी विवेकानंद के संदर्भ ट्रंप की स्पीच में शामिल किए थे.

काश पटेल अमेरिका में सनातनी संस्कारों के ध्वज वाहक हैं. सीनेट में नामांकन के दौरान भी उन्होंने माता-पिता के पैर छुए थे औरभाषण खत्म होने के बाद 'जय श्री कृष्ण' का जयकारा लगाया था. ऐसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी सहमी है कि ट्रंप राज में भारत और हिंदुओं के खिलाफ साजिशें रचने पर लेने के देने न पड़ जाएं.'

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