India And Philippines Naval Drill: चीन ने दक्षिण चीन सागर में भारत और फिलीपींस द्वारा हाल ही में किए गए संयुक्त नौसैनिक अभ्यास पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है. बीजिंग ने इस बात पर जोर दिया है कि क्षेत्रीय और समुद्री विवादों को सीधे तौर पर शामिल देशों द्वारा ही सुलझाया जाना चाहिए.
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China: भारत और फिलीपींस ने हाल ही में विवादित दक्षिण चीन सागर में पहली बार ज्वाइंट नवल एक्सरसाइज किया है. इस सैन्य तैनाती से चीन खफा हो गया है और कड़ी आपत्ति व्यक्त की है. चीन ने इस बात पर जोर दिया है कि क्षेत्रीय और समुद्री विवादों का समाधान सीधे तौर पर शामिल देशों द्वारा ही किया जाना चाहिए. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान द्वारा जारी एक बयान में मंत्रालय ने आगे कहा कि इस क्षेत्र में किसी भी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीं होनी चाहिए.
जियान ने बुधवार को सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक बयान में कहा, 'क्षेत्र और समुद्री अधिकारों और हितों पर विवादों को सीधे संबंधित देशों द्वारा बातचीत और काउंसलिंग के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए, और कोई भी तीसरा पक्ष इसमें हस्तक्षेप करने की स्थिति में नहीं है.'
भारत और फिलीपींस के बीच हाल ही में हुए ज्वाइंट नवल एक्सरसाइज में पूर्वी बेड़े के तीन भारतीय नौसैनिक जहाजों, आईएनएस दिल्ली, आईएनएस शक्ति और आईएनएस किल्टन ने दक्षिण-पूर्व एशिया में परिचालन तैनाती के लिए भाग लिया था. इस एक्सरसाइज का नेतृत्व पूर्वी बेड़े के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग, रियर एडमिरल सुशील मेनन ने किया था. वहीं, भारत ने कहा कि यह रुख अंतर्राष्ट्रीय कानून, खासतौर से 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) पर आधारित है.
जबकि, फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर की भारत की राजकीय यात्रा के मौके पर एक प्रेस वार्ता के दौरान, विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि भारत की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता में रुचि है. इस दौरान MEA ने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में किसी भी विवाद को शांतिपूर्वक, बल प्रयोग या धमकी के बिना, तथा कानूनी और कूटनीतिक माध्यमों से हल किया जाना चाहिए. वहीं, विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) पेरियासामी कुमारन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दक्षिण चीन सागर में आचार संहिता (सीओसी) पर चर्चा प्रभावी, ठोस और सभी हितधारकों के हितों को शामिल करने वाली होनी चाहिए, जिसमें वे लोग भी शामिल हों जो बातचीत के पक्ष में नहीं हैं.
कुमारन ने कहा, 'दक्षिण चीन सागर पर हमारी स्थिति साफ और सुसंगत है. हम दक्षिण चीन सागर को वैश्विक साझा संपत्ति का हिस्सा मानते हैं और इस क्षेत्र में शिपिंग, उड़ान और दक्षिण चीन सागर के जलक्षेत्र में लीगल कॉमर्स की स्वतंत्रता का सपोर्ट करते हैं. भारत का इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता में स्थायी हित है और हमारी स्थिति संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) 1982 पर आधारित है.'
उन्होंने आगे कहा, 'भारत का यह भी मानना है कि संबंधित पक्षों के बीच किसी भी मतभेद का समाधान कानूनी और कूटनीतिक प्रक्रियाओं का सम्मान करते हुए, धमकी या बल प्रयोग के बिना, शांतिपूर्वक किया जाना चाहिए. हमने यह भी कहा है कि इन चर्चाओं से निकलने वाली आचार संहिता पर चर्चा प्रभावी और ठोस होनी चाहिए, और इसमें उन पक्षों के हितों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, जो आचार संहिता वार्ता का हिस्सा नहीं हैं. प्रधानमंत्री ने खुद अपने ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा था कि 'हम अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर शिंपिंग की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं. यह मोटे तौर पर हमारी नीति का सार है.'
यह टिप्पणी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के दक्षिणी थिएटर कमांड के प्रवक्ता के बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने फिलीपींस पर बाहरी देशों के साथ ज्वाइंट पेट्रोलिंग आयोजित करने का आरोप लगाया था और कहा था कि ये एक्सरसाइज क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करते हैं. प्रवक्ता ने कहा था, 'फ़िलीपींस 'संयुक्त गश्त' आयोजित करके एक बाहरी देश को दक्षिण चीन सागर में हस्तक्षेप करने के लिए उकसा रहा है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को नुकसान पहुंच रहा है. पीएलए दक्षिणी थिएटर कमान की सेनाएं पूरी तरह सतर्क हैं और राष्ट्रीय क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री अधिकारों व हितों की रक्षा कर रही हैं.'
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