LAC पर भारत ने चल दी ऐसी चाल, ड्रैगन के पेट में होने लगा 'दर्द', एक्सपर्ट्स ने चीनी फौज को किया अलर्ट
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LAC पर भारत ने चल दी ऐसी चाल, ड्रैगन के पेट में होने लगा 'दर्द', एक्सपर्ट्स ने चीनी फौज को किया अलर्ट

India China Galwan Valley: विस्तारवादी सोच को लेकर दुनियाभर में पहचाने जाने वाला चीन गलवान घाटी पर हमेशा उल्टे-सीधे दावा करता रहता है. हालांकि अब भारत ने इस घाटी पर मजबूत पकड़ बनाने की दिशा में ऐसा कदम उठाया है कि चीनी एक्सपर्ट्स परेशान हो गए हैं. 

LAC पर भारत ने चल दी ऐसी चाल, ड्रैगन के पेट में होने लगा 'दर्द', एक्सपर्ट्स ने चीनी फौज को किया अलर्ट

DSDBO India China: गलवान घाटी तक जाने वाली इकलौती सड़क 'दर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) रोड' को भारत ने अपग्रेड करना शुरू कर दिया है. इससे चीन की परेशानी बढ़ गई है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी विशेषज्ञ भारत के इस कदम से परेशान हैं और अपनी सरकार व सेना को भारत के काम-काज पर नजर रखने की सलाह दे रहे हैं. साथ ही इस क्षेत्र में विकास कार्य करने के लिए भी कहा गया है. 

2019 में बनी DSDBO रोड

दर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) रोड 2019 में बनकर तैयार हुई थी. गलवान घाटी तक जाने के लिए यह वाहिद रणनीतिक जमीनी रास्ता है. इसी क्षेत्र में 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि बड़ी तादाद में चीनी जवानों की भी मौत हुई थी. 

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DSDBO के अपग्रेडेशन का काम

भारत ने पिछले DSDBO को अपग्रेड करना का काम शुरू कर दिया है. भारत अब इस रोड को मजबूत बनाने के साथ-साथ सेना के लिए और बेहतर करने जा रहा है, ताकि इस सड़क पर टैंक और लंबी दूरी की मिसाइलें ले जाने वाले ट्रक आसानी से आवाजाही कर सकें. इसके अलावा चीन की सांसें इसलिए भी फूल रही हैं क्योंकि DSDBO  के पश्चिम में लगभग 130 किलोमीटर लंबा एक दूसरा रास्ता भी लगभग मुकम्मल है, यह सड़क अगले साल तक खुलने की उम्मीद है. 

क्यों परेशान है चीन?

इस सड़क के खुल जाने के बाद भारतीय सेना चीनी फौजियों की नजर में आए बगैर आवाजाही कर सकेगी. भारत इस सड़क का निर्माण DSDBO रोड पर निर्भरता कम करने और चीनी के गश्ती फौजियों को चकमा देकर अपने ऑपरेशनों को अंजाम देने के मकसद से कर रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत इस सड़क के जरिए इलाके में अपनी स्थिति को और ढांचे को मजबूत करना चाहता है. ताकि किसी भी विपरीत परिस्थिति में (जैसे चीन से टकराव) में सेना को जल्दी और आसानी से सरहद तक पहुंचाया जा सके.

गलवान घाटी पर चीन और भारत का पक्ष

बता दें कि चीन अपनी विस्तारवादी सोच के मुताबिक पूरी गलवान घाटी को अपना इलाका बताता है, जबकि भारत ने हमेशा ड्रैगन के इस तरह के दावों को खारिज करते हुए 1956 के मानचित्र, समझौतों की शर्तों के साथ-साथ बातचीत के रास्ते पर भरोसा जताया. भारत ने हमेशा कहा है कि LAC का पालन होना चाहिए और विवादों को सैन्य टकराव की बजाए बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए.

FAQ

गलवान संघर्ष कब हुआ था?
15 जून 2020 को गलवान घाटी में भारत और चीनी फौजियों के बीच झड़प हुई थी, इसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे और बड़ी तादाद में चीनी फौजियों की मौत हुई थी.
गलवान घाटी का नाम किसके नाम पर पड़ा था?
भारत-चीन LAC के नजदी पड़ने वाली गलवान घाटी का नाम 'गुलाम रसूल गलवान' के नाम पर रखा गया था.
गुलाम रसूल गलवान कौन थे?
गुलाम रसूल गलवान लद्दाखी खोजकर्ता थे.
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ताहिर कामरान

पत्रकारिता की रहगुज़र पर क़दम रखते हुए 2015 में एक उर्दू अख़बार से अपने सफ़र का आग़ाज़ किया. उर्दू में दिलचस्पी और अल्फ़ाज़ की मोहब्बत धीरे-धीरे पेशे में ढल गई. उर्दू के बाद हिंदी-पंजाबी अख़बारों म...और पढ़ें

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