Pakistan Higher Eduucation: पाकिस्तान में हाइयर एजुकेशन का हाल-बेहाल है. देश में हाइयर एजुकेशन की पहुंच और गुणवत्ता को बढ़ाने की जिम्मेदारी हाइयर एजुकेशन कमीशन मिली थी. लेकिन इसके अफसर चमचागिरी में मस्त हैं.
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Pakistan Higher Eduucation: पाकिस्तान में हाइयर एजुकेशन का हाल दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है. स्कूल और कॉलेजों में बुनियादी सहूलियात तक नहीं हैं. कई जगहों पर स्टूडेंट्स के लिए प्रयोगशालाएं (लैब्स) तक मौजूद नहीं हैं. खासतौर हाइयर एजुकेशन का हाल बेहाल है. लाखों स्टूडेंट्स का फ्यूचर अधर में लट गया है. अब पाकिस्तानी मीडिया ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. पाक मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के हाइयर एजुकेशन कमीशन (HEC) का मकसद था कि देश में हाइयर एजुकेशन की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाया जाए, लेकिन यह मकसद पूरा होता नहीं दिख रहा है. इस कमीशन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि प्रशासनिक कमियां, गलत फैसले, तंजीम (संगठन) की कमजोरियां और कयादत (नेतृत्व) की कमी.
इन तमाम कारणों की वजह से पाकिस्तान की एजुकेशन सिस्टम, खासकर हाइयर एजुकेशन चरमरा गई है, जिससे लाखों स्टूडेंट्स का फ्यूचर अधर में लटका है. अगर जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो देश की आने वाली पीढ़ियों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
'द न्यूज इंटरनेशनल' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एचईसी अपने मूल मकसद से भटक गया है और अब इंटर्नशिप प्रोग्राम, लैपटॉप वितरण, करियर प्लानिंग वर्कशॉप, सीवी और इंटरव्यू की तैयारी, कम्युनिकेशन स्किल्स और यूनिवर्सिटी स्टाफ ट्रेनिंग जैसे कामों में उलझ गया है. इसका एक बड़ा उदाहरण 'पाकिस्तान डिजिटल लीप' प्रोग्राम में HEC चेयरमैन के होलोग्राम का अनावरण था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह काम रेगुलेटरी बॉडी का नहीं, बल्कि यूनिवरिसटीज का है. रेगुलेटरी बॉडी सिर्फ एक्सपेक्टेशंस तय करती है और परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स (केपीआई) तय करती है, फिर यूनिवर्सिटीज को जिम्मेदारी देकर काम करने देती है, जैसे 200 से ज्यादा लैब्स, जो अपनी-अपनी सहूलत के हिसाब से सही तरीका विकसित करती हैं. लेकिन हाइयर एजुकेशन ने ऐसे कामों में भी मुदाखलत (हस्तक्षेप) किया है. जबकि ये उसकी बुनियादी जिम्मेदारियों से बाहर हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, HEC के अहम मकसदों में चीफ की नियुक्ति, पब्लिक यूनिवर्सिटीज के लिए बजट सपोर्ट और स्टूडेंट्स पर पॉजिटीव इम्पैक्ट डालने वाली पहलों पर होना चाहिए था, लेकिन ये सभी प्राथमिकताएं ध्यान भटकाने वाली बातों में दब गईं.
हाल के सालों में पाकिस्तान की अलग-अलग सरकारों ने हाइयर एजुकेशन को बढ़ावा देने का दावा किया है, लेकिन 2017 के बाद से हाइय़र एजुकेशन कमीशन के लिए बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. इसके अलावा, फेडेरल एजुकेशन एंड वोकेशनल ट्रेनिंग मिनिस्टरी ने एचईसी का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है, लेकिन मंत्रालय के नौकरशाहों को हाइयर एजुकेशन के सेक्टर में फॉर्मल ट्रेनिंग या एक्सपर्टीज की कमी है. दूसरी तरफ, एचईसी के चीफ मुख्य रूप से पाकिस्तान के फेडेरल एजुकेशन एंड वोकेशनल ट्रेनिंग मिनिस्टरी के अफसरों को खुश करने पर ध्यान देते हैं.
'द न्यूज इंटरनेशनल' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाइयर एजुकेशन के बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय, एचईसी 'चमक-दमक वाली चीजों' में उलझ गया है. नौकरशाह अपने दो-तीन साल के कार्यकाल में तुरंत परिणामों की तलाश में रहते हैं, जबकि एचईसी चीफ और यूनिवर्सिटीज के वाइस-चांसलर अपने सीनियर्स को खुश करने और अगली नौकरी की तलाश में बिजी रहते हैं, जिसकी वजह से हाइयर एजुकेन का सेक्टर मौजूदा वक्त में मुसीबत में है
रिपोर्ट में कहा गया है कि एचईसी को तुरंत अपनी अहम जिम्मेदारी, हाइय़र एजुकेशन की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार पर ध्यान देना चाहिए. इसके लिए शॉर्ट टर्म फैसले लेने की टेंडेंसी को छोड़ना पड़ेगा. एचईसी अध्यक्षों और वाइस-चांसलर्स को अपने कार्यकाल के लिए ठोस योजनाएं पेश करने और उन्हें लागू करने के लिए कफी वक्त और स्वायत्तता दी जानी चाहिए. साथ ही, गैर-जरूरी पहलों को सरकार के अन्य डिपार्टमेंट्स को सौंप देना चाहिए.