DNA News: ब्रिटेन में इन दिनों एक खास तरह की सोच के खिलाफ आक्रोश दिख रहा है. ब्रिटेन के नाराज लोग पीएम कीर स्टार्मर से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या सरकार ने देश में महजबी कट्टरता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है.
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DNA में अब बात मौजूदा सरकार और ब्रिटेन की मौजूदा सरकार इन दोनों में एक बड़ी समानता है. दोनों का झुकाव कट्टरपंथ की ओर है. अमेरिका अब आतंकवादी देश पाकिस्तान के साथ दोस्ती बढ़ा रहा है तो ब्रिटेन की नई सरकार शरिया के सामने झुकती दिख रही है. ब्रिटेन में इन दिनों एक खास तरह की सोच के खिलाफ आक्रोश दिख रहा है. ब्रिटेन के नाराज लोग पीएम कीर स्टार्मर से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या सरकार ने देश में महजबी कट्टरता के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है.
ब्रिटेन के आम नागरिक के आक्रोश की वजह एक विज्ञापन है. इस विज्ञापन ने ब्रिटेन में ये सवाल खड़ा कर दिया कि क्या वोटबैंक के लिए कीर स्टार्मर की सरकार ने बढ़ते कट्टरपंथ से समझौता कर लिया है. ये विज्ञापन है शरिया लॉ एडमिनिस्ट्रेटर पद के लिए. सही सुना आपने ब्रिटेन में इस पद के लिए विज्ञापन निकाला गया.
शरिया लॉ एडमिनिस्ट्रेटर का विवादित विज्ञापन
ये पद डिपार्टमेंट फॉर वर्क एंड पेंशन्स विभाग के लिए निकाला गया. डिडसबरी मस्जिद ने ये विज्ञापन निकाला था. मेनचेस्टर इस्लामिक सेंटर नाम की चैरिटी की ओर से सरकारी नौकरी के रूप में इस पोस्ट किया गया था. पोस्ट के लिए सैलरी 23 हजार 500 पौंड सालाना यानी भारतीय रुपए मे करीब 27 लाख 21 हजार रुपए सालाना और करीब ढ़ाई लाख रुपए महीने की नौकरी थी. शरिया लॉ एडमिनिस्ट्रेटर के लिए ये विज्ञापन 24 जुलाई को पोस्ट किया गया था और 23 अगस्त तक इसके लिए आवेदन मंगाए गए थे.
ब्रिटेन एक उदारवादी देश है. इसलिए इस विज्ञापन के पोस्ट होने के बाद सवाल उठने लगे. सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे.
रिफॉर्म पार्टी के जिया यूसुफ ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि ब्रिटेन में एक ही कानूनी व्यवस्था है और इसे बदलने का कोई भी प्रयास गैर-कानूनी होना चाहिए. सांसद रूपर्ट लो ने पूछा कि ब्रिटेन सरकार ऐसा कैसे कर सकती है. सांसद जेम्स मैक मुरडोक ने एक्स पर लिखा कि यदि यूके मे शरिया कानून लागू नहीं है, तो उन्हें एडमिनिस्ट्रेटर की जरूरत क्यों है?
नाराज लोग सोशल मीडिया पर पीएम और सरकार से सवाल पूछने लगे. लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ब्रिटेन पर इस्लामी कब्जा पूरा हो गया है क्योंकि अब सरकार की वेबसाइट पर ही शरिया लॉ एडमिनिस्ट्रेटर की नौकरी का विज्ञापन आ रहा है.
लोगों के विरोध और दबाव में विज्ञापन रद्द कर दिया गया. लेकिन इस विज्ञापन ने ब्रिटेन में बहस छेड़ दी है क्या एक उदारवादी देश अब कट्टरपंथियों के कब्जे में है. ब्रिटेन के आम लोग बढ़ते कट्टरपंथ को बड़ा खतरा बता रहे हैं. इसकी वजह भी समझिए.
वर्ष 2001 में ब्रिटेन की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी 2.8 प्रतिशत थी.
वर्ष 2011 में ब्रिटेन की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गई.
2021 में मुस्लिम आबादी बढ़कर 6.5% हो गई.
2001 से 2021 के बीच ब्रिटेन में मुस्लिम आबादी 143 प्रतिशत बढ़ी है.
ब्रिटेन के ऑफिस फॉर नेशनल STATISTICS की रिपोर्ट बताती है कि देश में प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. ज्यादातर प्रवासी मुस्लिम है. इससे कई इलाकों में आबादी संतुलन बिगड़ रहा है. साथ ही कट्टरपंथी भी हावी हो रहे हैं.
बढ़ते कट्टरपंथ और बिगड़ते आबादी संतुलन को लेकर ब्रिटेन की परेशानी प्यू रिसर्च सेंटर ने भी बढ़ा दी है. प्यू रिसर्च सेंटर के 2020 तक किए गए विश्लेषण के मुताबिक ब्रिटेन, फ्रांस ऑस्ट्रेलिया और उरुग्वे में ईसाई आबादी घटी है. इन देशों में ईसाई आबादी 50 प्रतिशत से नीचे गिर गई. प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक 2010 में 2014 में से 124 देशों में ईसाई आबादी बहुसंख्यक थी. 2020 में ये आकंड़ा घटकर 120 रह गया.