भारत की 'रूसी जिरकॉन' माफिक घातक मिसाइलों से बौराई दुनिया, 100 200 नहीं 1500 किमी तक करेगी 8 गुना तेज हमला
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भारत की 'रूसी जिरकॉन' माफिक घातक मिसाइलों से बौराई दुनिया, 100 200 नहीं 1500 किमी तक करेगी 8 गुना तेज हमला

DRDO Hyderabad testing facilities: DRDO ने हैदराबाद में नई टेस्टिंग सुविधाओं का अनावरण किया है. जहां हाइपरसोनिक मिसाइलों की दो घातक डिजाइन दिखाए गए. जिनकी ताकत व रेंज देखकर दुश्मनों में खलबली मचना तय है.

भारत की 'रूसी जिरकॉन' माफिक घातक मिसाइलों से बौराई दुनिया, 100 200 नहीं 1500 किमी तक करेगी 8 गुना तेज हमला

DRDO hypersonic missile testing facilities: भारत की रक्षा क्षमता में एक ऐसा अध्याय जुड़ गया है, जो युद्ध के नियमों को हमेशा के लिए बदल देगा. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि भारत अब उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो गया है, जिनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी है. 6 अगस्त, 2025 को हैदराबाद में DRDO ने हाइपरसोनिक हथियारों के परीक्षण के लिए दो अत्याधुनिक सुविधाओं का अनावरण किया है, साथ ही दो अलग-अलग प्रकार की हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के डिजाइन भी दिखाए हैं.

  1. DRDO ने हैदराबाद में नई टेस्टिंग सुविधाएं खोलीं
  2. भारत ने दो हाइपरसोनिक मिसाइल डिजाइन दिखाए

क्या हैं ये अत्याधुनिक टेस्टिंग सुविधाएं?
यह बड़ी सफलता DRDO की सालों की मेहनत का नतीजा है. हैदराबाद में सेंटर फॉर एडवांस्ड सिस्टम्स में भारत ने दो नई टेस्टिंग सुविधाएं शुरू की हैं.

1-मीटर व्यास वाली हाइपरसोनिक विंड टनल- यह सुरंग मिसाइलों के डिजाइन और वायुगतिकी का परीक्षण करने के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जब वे ध्वनि की गति से पांच गुना से अधिक रफ्तार से चलती हैं.

स्क्रैमजेट कनेक्टेड पाइप मोड टेस्ट फैसिलिटी- यह सुविधा मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाले स्क्रैमजेट इंजन के परीक्षण के लिए है, जो उन्हें हाइपरसोनिक गति पर उड़ान भरने में मदद करता है. इन सुविधाओं से भारत को अपने हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम को पूरी तरह से स्वदेशी बनाने में मदद मिलेगी.

दोहरी ताकत से करेगी वार
इस उद्घाटन के दौरान दो अलग-अलग हाइपरसोनिक मिसाइल डिजाइन दिखाए गए, जो भारत के भविष्य के हाइपरसोनिक शस्त्रागार की झलक देते हैं.

पहला डिजाइन- यह एक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) है, जिसे बूस्टर रॉकेट के ऊपर लगाया जाएगा. यह मिसाइल लॉन्च होने के बाद ऊपरी वायुमंडल में पहुंचकर अलग हो जाएगी और Mach 5+ की रफ्तार से दुश्मन के मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा देते हुए हमला करेगी. यह एक तरह से 'कॉमन हाइपरसोनिक ग्लाइड बॉडी' का प्रोटोटाइप है, जो दूर तक मार करने वाली एंटी-शिप मिसाइल परियोजना का हिस्सा भी हो सकता है.

दूसरा डिजाइन- यह मिसाइल दिखने में रूस की घातक 3M22 जिरकॉन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल जैसी है. यह संभवतः ब्रह्मोस-II मिसाइल का नया वर्जन है, जो ध्वनि की गति से 7-8 गुना (Mach 7-8) तेज होगी और इसकी मारक क्षमता 1,500 किलोमीटर तक हो सकती है. यह मिसाइल स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन का इस्तेमाल करेगी.

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प्रशांत सिंह

प्रशांत सिंह के लेख रिसर्च-आधारित, फैक्ट-चेक्ड और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित होते हैं. ये जियोपॉलिटिक्स और रक्षा से जुड़ी खबरों को आसान हिंदी में पाठकों तक पहुंचाने में माहिर हैं.

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