भारत का सबसे अनोखा गांव, जहां नहीं होते दरवाजे; फिर भी कभी नहीं होती चोरी
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भारत का सबसे अनोखा गांव, जहां नहीं होते दरवाजे; फिर भी कभी नहीं होती चोरी

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शनि शिंगणापुर एक ऐसा अनोखा गांव है, जहां घरों में दरवाजे नहीं होते. यहां के लोग मानते हैं कि भगवान शनि गांव की रक्षा करते हैं. आस्था के चलते लोग बिना ताले-चाबी के रहते हैं और यहां चोरी की घटनाएं लगभग ना के बराबर हैं.

 

भारत का सबसे अनोखा गांव, जहां नहीं होते दरवाजे; फिर भी कभी नहीं होती चोरी

भारत में कई गांव अपनी खास परंपराओं और मान्यताओं के लिए जाने जाते हैं. ऐसा ही एक गांव है शनि शिंगणापुर, जो महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है. यह गांव एक ऐसी परंपरा के लिए मशहूर है, जो पहली बार सुनने पर लोगों को हैरान कर देती है. यहां के ज्यादातर घरों में ना तो दरवाजे लगे होते हैं और न ही ताले लगाए जाते हैं. लोग इसी तरह खुले घरों में बिना किसी डर के रहते हैं. 

  1. इस गांव में होते दरवाजे
  2. शनि देव पर अटूट आस्था

कहां है ये गांव?
भारत में बहुत सी अनोखी जगहें हैं, लेकिन महाराष्ट्र का शनि शिंगणापुर गांव अपने एक अलग ही कारण से जाना जाता है. यहां के ज्यादातर घरों में दरवाजे ही नहीं होते ना ही कोई कुंडी या ताला. यह गांव महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है और शिरडी से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर है.

क्यों नहीं लगते दरवाजे?
गांववालों का मानना है कि भगवान शनि खुद इस गांव की रक्षा करते हैं. यहां लोग मानते हैं कि अगर कोई चोरी करने की कोशिश करता है तो उसे शनि देव तुरंत सजा दे देते हैं. यही वजह है कि लोग बिना किसी डर के अपने घर खुले छोड़कर बाहर निकल जाते हैं. उन्हें विश्वास है कि कोई कुछ चुराएगा ही नहीं.

गांव का मशहूर मंदिर
यह गांव शनि देव के मंदिर के लिए भी जाना जाता है. खास बात यह है कि मंदिर में भगवान शनि की मूर्ति खुले आसमान के नीचे रखी गई है. यह मंदिर करीब 150 साल पुराना बताया जाता है. हर शनिवार और त्योहारों के दिन यहां भारी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं. यहां पूजा में तिल के तेल का खास महत्व होता है.

बैंक में भी नहीं लगता ताला
यहां एक यूको बैंक (UCO Bank) की ब्रांच है, जो भारत का पहला बिना ताले वाला बैंक माना जाता है. यहां सिर्फ कांच की स्लाइडिंग होती है, लेकिन कोई भारी-भरकम दरवाजा या ताला नहीं लगाया गया है.

क्या कभी चोरी हुई?
साल 2011 में यहां एक बार गहनों की चोरी की खबर आई थी. लेकिन गांववालों का कहना है कि चोर को कुछ ही समय में भगवान की सजा मिल गई. इसके बाद भी लोग आज भी पहले जैसा ही भरोसा रखते हैं.

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शांतनु सिंह

प्रयागराज से ताल्लुक रखता हूं, जिसे एक जमाने में इलाहाबाद भी कहा जाता था. तिग्मांशु धुलिया के शब्दों में कहें तो वही बाबुओं और वकीलों वाला शहर. यहां से निकलकर देहरादून के दून बिजनेस स्कूल से मास कम...और पढ़ें

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