अमेरिकी सेना के हाथ लगी ऐसी टेक्नोलॉजी, जो ऑटोमैटिकली समुद्र में मिशन को देगा अंजाम!
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अमेरिकी सेना के हाथ लगी ऐसी टेक्नोलॉजी, जो ऑटोमैटिकली समुद्र में मिशन को देगा अंजाम!

अमेरिकी सेना ने पहली बार एक पूरी तरह स्वचालित समुद्र से तट तक सप्लाई मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया. USV और UGV तकनीक से लैस इस सिस्टम का पर्ल हार्बर में सफल परीक्षण हुआ. मानवरहित जहाज ने एक ग्राउंड व्हीकल को स्वचालित रूप से डिलीवर किया. यह टेक्नोलॉजी इंडो-पैसिफिक में लॉजिस्टिक्स सपोर्ट के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है.

अमेरिकी सेना के हाथ लगी ऐसी टेक्नोलॉजी, जो ऑटोमैटिकली समुद्र में मिशन को देगा अंजाम!

अमेरिकी सेना ने पहली बार पूरी तरह से स्वचालित शिप-टू-शोर री-सप्लाई ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया. यह परीक्षण हवाई के पर्ल हार्बर में Project Convergence Capstone 5 (PC-C5) के तहत किया गया. इसमें एक Unmanned Surface Vessel (USV) ने बिना किसी इंसानी मदद के एक सप्लाई-लदे Unmanned Ground Vehicle (UGV) को समुद्र से तट तक पहुंचाया और उतारा. यह टेक्नोलॉजी भविष्य की जंगों में अमेरिका की लॉजिस्टिक्स ताकत को पूरी तरह बदल सकती है, खासतौर पर इंडो-पैसिफिक जैसे इलाकों में जहां ऑपरेशन काफी चैलेंजिंग होता है.

  1. अमेरिकी ने किया पहली बार ऑटोनॉमस सप्लाई ऑपरेशन
  2. USV व UGV की मदद से बिना इंसान के पूरी हुई सप्लाई

USV और UGV का सफल परीक्षण
अमेरिका की सेना ने पहली बार समुद्र से तट तक पूरी तरह स्वचालित री-सप्लाई मिशन का परीक्षण किया है. इस प्रयोग में एक अनमैन्ड सरफेस वेसल (USV) ने सप्लाई लदे अनमैन्ड ग्राउंड व्हीकल (UGV) को स्वचालित ढंग से समुद्री किनारे पर डिलीवर किया. यह मिशन बिना किसी इंसानी मदद के पूरा हुआ, जिससे यह भविष्य की युद्ध स्थितियों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.

USV में जीपीएस-आधारित नेविगेशन, रीयल टाइम सेंसर्स, ऑब्स्टेकल अवॉइडेंस और सिक्योर कम्युनिकेशन सिस्टम लगे हैं. यह टेक्नोलॉजी मिशन के अनुसार वातावरण के डेटा के आधार पर खुद निर्णय ले सकती है. वहीं, UGV भी जमीन पर खुद से नेविगेट कर सप्लाई पहुंचाने में सक्षम रहा.

इंडो-पैसिफिक में बनेगा गेमचेंजर
यह तकनीक खासतौर पर इंडो-पैसिफिक इलाकों में उपयोगी साबित हो सकती है, जहां जंग की स्थितियां द्वीपों में फैली होती हैं और पारंपरिक लॉजिस्टिक्स बेहद चुनौतीपूर्ण होते हैं. ऐसे में मानवरहित सप्लाई सिस्टम दुश्मन की निगरानी या फायरिंग से बचते हुए सप्लाई पहुंचा सकते हैं.

इस स्वचालित सिस्टम से गोला-बारूद, मेडिकल किट, फ्यूल और खाना जैसी चीजें सीधे फॉरवर्ड पोजिशन तक पहुंचाई जा सकती हैं, वह भी हेलिकॉप्टर या पारंपरिक ट्रकों की जरूरत के बिना. इससे सैनिकों की सुरक्षा भी बढ़ेगी और लॉजिस्टिक ऑपरेशन तेज होंगे.

सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी हुए प्रभावित
PC-C5 के तहत हुए इस परीक्षण की सफलता को अमेरिकी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने ‘मिलिट्री लॉजिस्टिक्स में क्रांतिकारी कदम’ बताया है. Combined Arms Support Command के ट्रांसपोर्टेशन चीफ कर्नल विलियम अर्नोल्ड ने कहा कि यह टेस्ट दिखाता है कि सेना इन तकनीकों को वास्तविक ऑपरेशनल स्थितियों में कैसे कमांड और कंट्रोल कर सकती है.

उन्होंने आगे कहा कि ऐसे प्रयोग न सिर्फ तकनीकी दक्षता साबित करते हैं, बल्कि युद्ध में समर्थन देने के पुराने तरीकों को भी पूरी तरह बदलने की दिशा में कदम हैं. अमेरिकी सेना अब अधिक फ्लेक्सिबल और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन ऑपरेशंस की ओर बढ़ रही है.

PC-C5: अमेरिका की सबसे बड़ी युद्ध तैयारी
Project Convergence Capstone 5 (PC-C5) अमेरिकी सेना का एक बड़ा सैन्य अभ्यास है. जिसमें नौसेना, वायुसेना, स्पेस फोर्स, मरीन कॉर्प्स और अंतरराष्ट्रीय सहयोगी देशों को शामिल किया जाता है. 2025 के इस संस्करण का फोकस मल्टी-डोमेन इंटीग्रेशन, डेटा-ड्रिवन निर्णय और उच्च गतिशीलता पर रहा.

PC-C5 के जरिए अमेरिका भविष्य की जंगों के लिए खुद को तैयार कर रहा है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और ऑटोनॉमी सिस्टम्स को युद्ध के हर स्तर पर शामिल किया जा रहा है. यह स्वचालित री-सप्लाई टेस्ट इसी दिशा में उठाया गया अहम कदम है.
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