Allahabad High Court ने आदेश दिया है कि कैदी को रमजान के महीने में कुरान शरीफ पढ़ने और नमाज अदा करने की इजाजत दी जाए. कोर्ट का ये आदेश उम्र कैद काट रहे शख्स की पत्नी की याचिका पर आया है.
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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसकी हर कोई तारीफ कर रहा है. दरअसल कोर्ट ने इटावा सेंट्रल जेल में बंद एक कैदी को रमजान में पांचों वक्त की नमाज पढ़ने की इजाजत दी है और साथ ही निर्देश दिया है कि उसे कुरान शरीफ रखने की इजाजत दी जाए.
दरअसल आबिद नाम का शख्स जेल में आजीवन कारावास काट रहा है. उसकी पत्नी ने कोर्ट से दरख्वास्त की थी कि उनके पति को रमजान के दौरान नमाज और कुरान पढ़ने के इजाजत दी जाए. न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला ने उनकी इस पिटीशन पर सुनवाई करते हुए इस फैसले को सुनाया है.
दरअसल उज़मा आबिद ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और कहा था कि पति इटावा सेंट्रल जेल में बंद है और जेल प्रशासन उन्हें पांचों वक्त की नमाज अदा करने की इजाजत नहीं रहे रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें कुरान पढ़ने की भी इजाजत नहीं है, जो जेल प्रशासन ने उसने ले लिया है.
कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि इस बात को सुनिश्चित किया जाए कि याचिकाकर्ता के पति को धार्मिक मान्यताओं को मानने की इजाज मिले और रमजान के दौरान वह पांच वक्त की नमाज अदा कर सकें. इसके साथ ही उन्हें कुरान रखने की इजाजत दी जाए. कैदी 2005 में हुई हत्या के मामले में उम्रकैद की सज़ा काट रहा है.
बता दें, रमजान का महीना चल रहा है और इस महीने में मुसलमान खुदा की इबादत ज्यादा करते हैं. रोजा रखने के साथ-साथ ज्यादातर लोग कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं और पांचों वक्त की नमाज़ अदा करते हैं. नमाज़ पढ़ना इस्लाम के अहम पिलर्स में से एक है.