Nimisha Priya Case in Yemen: पूरे देश की नजरें इस समय यमन की जेल में कैद केरल की नर्स निमिषा प्रिया पर टिकी हैं. सुप्रीम कोर्ट में निमिषा प्रिया की फांसी के मामले पर केंद्र ने कहा कि यमन में भारत की दखल सीमित है. अटॉर्नी जनरल ने सरकार के जरिये निमिषा को बचाने के लिए किए जा रहे उपायों की जानकार दी है. कोर्ट ने केंद्र से 18 जुलाई तक स्थिति रिपोर्ट मांगी है.
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Supreme Court on Nimisha Priya Case: केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में दी जा रही मौत की सजा को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि इस मामले में भारत सरकार की दखलअंदाजी की सीमाएं हैं और यमन की सूरतेहाल किसी अन्य देश जैसी नहीं है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि वह निजी स्तर पर कोशिशें कर रही है और वहां के प्रभावशाली लोगों और शेखों के जरिए समाधान निकालने की कोशिश हो रही है.
भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष कहा कि सरकार से जो कुछ भी किया जा सकता था, वह किया गया है. उन्होंने कहा कि यमन में कानून व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय राजनयिक संवाद के दायरे अलग हैं, जिससे यह मामला बेहद संवेदनशील हो गया है. वेंकटरमणी ने यह भी कहा कि हम सार्वजनिक बयान देकर मामले को और उलझाना नहीं चाहते. इसलिए सरकार चुपचाप, लेकिन प्रभावी ढंग से प्रयास कर रही है.
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच को अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने बताया कि सरकार की तरफ से यमनी अधिकारियों से औपचारिक रूप से फांसी टालने की अपील की गई थी, हालांकि अब तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है. वहीं, अनौपचारिक सूत्रों से संकेत मिले हैं कि फांसी को कुछ समय के लिए रोका जा सकता है, लेकिन इसकी कोई ठोस गारंटी नहीं है.
यह सुनवाई 'सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल' की याचिका पर हो रही थी, जिसमें केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से मांग की गई थी कि वे यमन में निमिषा की फांसी रुकवाने के लिए तत्काल कूटनीतिक प्रयास करें. याचिका में यह भी कहा गया था कि शरिया कानून के तहत "दिया" यानी ब्लड मनी देकर फांसी की सजा रोका जा सकता है.
बता दें, निमिषा प्रिया को यमन में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहद की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई है. वे पिछले तीन साल से यमन की जेल में बंद हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति राशद अल-अलीमी के आदेश पर उनकी फांसी बुधवार को हो सकती है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह किसी विदेशी सरकार को फांसी रुकवाने का आदेश नहीं दे सकता, लेकिन केंद्र से 18 जुलाई तक इस मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.
दूसरी ओर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वे मानवीय आधार पर हस्तक्षेप करें और निमिषा की जान बचाने में मदद करें. उनकी मां प्रेमा कुमारी भी बेटी की फांसी रोकवाने के लिए लगातार हर संभव कोशिश कर रही हैं. इतना ही नहीं वह यमन की राजधानी सना जाकर मृतक के परिवार को 'ब्लड मनी' देने की कोशिश कर चुकी हैं. उन्हें 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' नाम की एनआरआई समूह का समर्थन भी मिल रहा है.
गौरतलब हो कि इसी साल उत्तर प्रदेश के बांदा की रहने वाली शहजादी को भी 15 फरवरी को यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) में फांसी दे गई थी. शहाजादी पर एक मासूम के कत्ल का इल्जाम था. इस मामले में भी शहजादी के वालिदैन से सरकार से मदद की गुहार लगाई थी. जिस पर सरकार ने हर संभव मदद का भरोसा दिलाया था. हालांकि, तमाम कोशिशों के बावजूद सरकार शहजादी को बचाने में नाकाम साबित हुई.
केंद्र सरकार ने जब शहजादी की मौत की दिल्ली हाईकोर्ट में पु्ष्टि की तो लगभग पूरा देश हैरान रह गया. सरकार की ओर से बताया गया था कि शहजादी को 15 फरवरी को ही फांसी दे दी गई थी, जबकि यूएई सरकार ने भारतीय दूतावास को फांसी की लगभग दो हफ्तों के बाद यानी 28 फरवरी 2025 को इसकी जानकारी दी. यह याचिका शहजादी के वालिद ने विदेश मंत्रालय से उनकी बेटी की सजा पर रोक लगाने के लिए सरकार से दखल देने की मांग की थी.
कमोबेश यही हाल इस समय यमन में कैद निमिषा का है. सरकार किसी भी किरकिरी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सीधे दखल देने से इंकार किया है. लोगों को डर है कि निमिषा प्रिया की स्थिति शहजादी की तरह न हो और फिर केंद्र सरकार कुछ भी करने में नाकाम रहे. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो यमनी राष्ट्रपति के आदेश पर निमिषा को बुधवार (16 जुलाई) को फांसी दी जा सकती है. अब सजा को टालने में दो ही रास्ते हैं एक मृतक का परिवार 'ब्लड मनी' लेकर सजा माफ कर दे और दूसरा भारत सरकार के हस्तक्षेप पर सजा रोक दी जाए.