भारत के प्रेशर से घबराए पाक पीएम शहबाज शरीफ, अब कर रहे हैं ये बड़ी मांग
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भारत के प्रेशर से घबराए पाक पीएम शहबाज शरीफ, अब कर रहे हैं ये बड़ी मांग

Shehbaz Sharif: शहबाज शरीफ लगातार बन रहे प्रेशर से अब घबरा गए हैं और उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि पाकिस्तान ट्रांसपेरेंट जांच के लिए पूरी तरह से तैयार है.

भारत के प्रेशर से घबराए पाक पीएम शहबाज शरीफ, अब कर रहे हैं ये बड़ी मांग

Shehbaz Sharif: पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हुई थी, अब इसके बाद से दुनिया भारत के साथ खड़ी नजर आ रही है. इसी के चलते पाकिस्तान पर भी अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ गया है. शनिवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान इस हमले की "निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय" जांच में शामिल होने को तैयार है. यह बयान उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा में मौजूद पाकिस्तान मिलिट्री एकेडमी में पासिंग आउट परेड के दौरान दिया.

क्या बोले शहबाज शरीफ?

शहबाज शरीफ ने कहा, "एक जिम्मेदार देश होने के नाते पाकिस्तान किसी भी निष्पक्ष और पारदर्शी जांच में भाग लेने के लिए तैयार है." उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहा है और इस लड़ाई में देश को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. उन्होंने बताया इस जंग में 90,000 लोगों की जानें गईं और 600 अरब डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है.

रक्षा मंत्री ने दिया था बड़ा बयान

इससे एक दिन पहले, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने खुद कबूल किया था कि पाकिस्तान ने अतीत में आतंकवादी संगठनों को समर्थन और फंडिंग दी है. एक इंटरव्यू में, जब स्काई न्यूज़ की पत्रकार याल्दा हाकिम ने उनसे पूछा कि क्या पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठनों को समर्थन दिया है, तो आसिफ ने जवाब दिया, "हमने लगभग 30 साल तक अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए यह गंदा काम किया है. यह हमारी गलती थी और हमें इसकी सजा भी मिली है. अगर हमने सोवियत संघ के खिलाफ और फिर 9/11 के बाद की लड़ाइयों में हिस्सा नहीं लिया होता, तो आज हमारा रिकॉर्ड बेदाग होता."

भारत सरकार ने उठाए बड़े कदम

पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैंय इसमें अटारी बॉर्डर पर इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) को बंद करना, पाकिस्तान के नागरिकों के लिए SAARC वीज़ा छूट योजना (SVES) को सस्पेंड करना, पाकिस्तानी नागरिकों को 40 घंटे के अंदर देश छोड़ने का आदेश देना और दोनों देशों के हाई कमीशन में स्टाफ की संख्या कम करना शामिल है. इसके अलावा भारत ने 1960 में हुई सिंधु जल संधि को भी रोक दिया है.

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