पतंजलि ने अपने बिजनेस मॉडल में पर्यावरण की देखभाल को अच्छे से शामिल किया है और वो यही सिखा रहे है कि हमें कुदरत के साथ मिलकर चलना चाहिए. उनके बनाए गए ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स और पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाई गई नीतियां, सिर्फ हमारे शरीर के लिए ही नहीं बल्कि पूरी धरती की सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं.
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पतंजलि, जो भारत के टॉप FMCG ब्रांड्स में से एक है, जिसने अपने कामकाज में पर्यावरण का ख्याल रखना टॉप प्रायोरिटी बना लिया हैं. कंपनी ना सिर्फ हरित (ग्रीन) पहल कर रही है, बल्कि ऐसे तरीके अपना रही है जो पर्यावरण के लिए अच्छे हों. कंपनी का उद्देश्य है कि आने वाली जेनरेशन के लिए प्रकृति को बचाए रखना और धरती को सेहतमंद बनाना.
पतंजलि ने अपने बिजनेस मॉडल में पर्यावरण की देखभाल को अच्छे से शामिल किया है और वो यही सिखा रहे है कि हमें कुदरत के साथ मिलकर चलना चाहिए. उनके बनाए गए ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स और पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाई गई नीतियां, सिर्फ हमारे शरीर के लिए ही नहीं बल्कि पूरी धरती की सेहत के लिए भी फायदेमंद हैं. इसलिए आइए समझते है कि
पतंजलि की ग्रीन पहलें आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति को बचाने में क्या-क्या कर रही हैं?
पतंजलि का पर्यावरण के प्रति नजरिया
पतंजलि का मानना है कि आयुर्वेद और पर्यावरण एक-दूसरे से अलग नहीं हैं. आयुर्वेद के लिए नेचुरल जड़ी-बूटियां और स्वच्छ पर्यावरण जरूरी है. इसलिए पतंजलि न केवल आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाती है, बल्कि प्रकृति की देखभाल भी करती है. कंपनी का ये भी मानना है कि अच्छी सेहत तभी मुमकिन है जब हम प्रकृति के साथ मिल-जुलकर रहें. क्योंकि पतंजलि सिर्फ बिजनेस के लिए नहीं, बल्कि एक विजन के साथ पर्यावरण को बचाने का काम कर रही हैं. वे अपने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत ज्यादातर ऐसे काम करते हैं जिनसे पर्यावरण की सुरक्षा होती है और लोगों में जागरूकता बढ़ती हैं.
नेचुरल रिसोर्सेज को बचाना
पतंजलि ने नेचुरल रिसोर्सेज को बचाने के लिए कई स्टेप्स उठाए हैं. कंपनी पेड़-पौधे लगाने के लिए कैंपेन चलाती हैं. पानी बचाने के प्रोग्राम पर काम करते हैं. और ऐसे प्रोडक्ट बनाए जाते है जिससे पर्यावरण को बिल्कुल भी नुकसान न पहुंचे. पानी को साफ रखने, बारिश के पानी को जमा करने और सफाई जैसे कामों के जरिए नेचुरल रिसोर्सेज को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.
पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाएं प्रोडक्शन
पतंजलि अपने प्रोडक्शन और सप्लाई के काम में ऐसे तरीके को फॉलो करती हैं. जो पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाएं. कंपनी ऐसे प्लांट चलाती है जो कम बिजली खर्च करते हैं, कचरा कम निकालते हैं और जब भी मुमकिन हो, रीसाइकिल करते हैं. इसके अलावा, पतंजलि पानी को संभालने के लिए भी खास पहल करता है. ताकि पानी की बर्बादी कम हो सके. खासकर भारत के उन इलाकों में जहां पानी की कमी को लेकर बड़ी समस्याएं होती हैं.
पर्यावरण को ध्यान में रखकर प्रोडक्ट्स की पैकेजिंग
FMCG सेक्टर में पैकेजिंग आमतौर पर कचरे का एक प्रमुख सोर्स है. पतंजलि ने पैकेजिंग में बदलाव लाने की कोशिश की है और अब ऐसी चीजों का इस्तेमाल कर रहा है जो आसानी से मिट्टी में मिल जाएं या दोबारा इस्तेमाल की जा सकें, जैसे बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और रिसाइकिल होने वाला सामान. कंपनी अब सिंगल यूज प्लास्टिक को धीरे-धीरे बंद कर रही है और उसके बजाय ऐसी चीजों को बढ़ावा दे रही है जो पर्यावरण के लिए बेहतर हों. इस तरह पतंजलि ने बाकी कंपनियों के लिए भी एक अच्छा उदाहरण पेश किया है. इस हरित पैकेजिंग से ना सिर्फ कचरा कम होता है, बल्कि लोगों को भी ये समझ में आता है कि हमें अब पर्यावरण के अनुकूल चीजों की तरफ बढ़ना चाहिए.