आर्टिफिशियल स्वीटनर को हेल्दी मानने वालों के पैरों तले खिसक सकती है जमीन, नई रिसर्च ने चौंकाया
Advertisement
trendingNow12699690

आर्टिफिशियल स्वीटनर को हेल्दी मानने वालों के पैरों तले खिसक सकती है जमीन, नई रिसर्च ने चौंकाया

काफी लोग आर्टिफिशियल स्वीटनर को चीना का बेहतरीन ऑप्शन मानते हैं, और इसकी के साथ जिंदगी आगे बढ़ाते हैं, लेकिन नए रिसर्च से उनके पैरों तले जमीन खिसक सकती है.

आर्टिफिशियल स्वीटनर को हेल्दी मानने वालों के पैरों तले खिसक सकती है जमीन, नई रिसर्च ने चौंकाया

Artificial Sweeteners Side Effects: आर्टिफिशियल स्वीटनर, जिसे 'शुगर सब्स्टिट्यूट' (Sugar Substitute) के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर डायबिटीज के मरीज सबसे ज्यादा यूज करते हैं, साथ ही ये उन लोगों के पास भी होता है, जो तेजी से अपना वजन कम करना चाहते हैं. हालांकि इसको लेकर गंभीर बात सामने आई है. र्टिफिशियल स्वीटनर से आपकी भूख में इजाफा हो सकता है, साथ ही वेट लूज होने के बजाए, मोटापा भी बढ़ सकता है.

ब्रेन फंक्शन और भूख पर असर
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैलिफोर्निया (University of Southern California) के रिसर्चर्स द्वारा नेचर मेटाबोलिज्म (Nature Metabolism) में छपी एक हाल की स्टडी में एनालाइज किया गया कि सुक्रालोज (Sucralose), एक फेमस आर्टिफिशियल स्वीटनर है, जो ब्रेन फंक्शन और भूख के नियंत्रण को कैसे प्रभावित करता है.

कैसे की गई रिसर्च?
इस स्टडी में अलग-अलग शरीर के वजन वाले 75 प्रतिभागी शामिल थे जिन्होंने अलग-अलग मौकों पर पानी, सुक्रालोज-स्वीटेंड ड्रिंक और शुगर-स्वीटेंड ड्रिंक का सेवन किया. ब्रेन एक्टिविटी स्कैन से पता चला कि सुक्रालोज हाइपोथैलेमस को स्टिमुलेट करता है, जो हंगर रेगुलेशन के लिए जिम्मेदार है. ये असर मोटापे से परेशान लोगों में खास तौर से ध्यान देने लायक था, जिससे भूख बढ़ गई.

सुक्रालोज के बारे में जानें
सुक्रालोज, जो आमतौर पर डाइट सोडा, बेक्ड आइटम्स और च्युइंग गम में पाया जाता है, चीनी की तुलना में तकरीबन 600 गुना मीठा होता है लेकिन इसमें कैलोरी नहीं होती है. जबकि इसकी एक सेफ शुगर सब्स्टिट्यूट के तौर पर मार्केटिंग की जाती है, रिसर्चर्स ने पाया कि ये ब्रेन के रिवार्ड और भूख तंत्र को बाधित करता है. चीनी के उलट, जो इंसुलिन और जीएलपी-1 जैसे हंगर रेगुलेटिंग हार्मोन के रिलीज को ट्रिगर करता है, सुक्रालोज इन संकेतों को सक्रिय नहीं करता है, जिससे संभावित रूप से ज्यादा भोजन की लालसा और ओवरईटिंग होती है.

रिसर्चर की राय
इस स्टडी की लीड रिसर्चर डॉ. कैथलीन अलन्ना पेज (Dr. Kathleen Alanna Page) ने बताया कि आर्टिफीशियल स्वीटनर अपनी मिठास के कारण ब्रेन को कैलोरी की उम्मीद करने के लिए धोखा देती है, जब अपेक्षित कैलोरी नहीं आती है, तो मस्तिष्क लालसा बढ़ाकर और खाने के बिहेवियर को बदलकर एडजस्ट करता है. ये बता सकता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन करने वाले लोग कैलोरी की मात्रा कम करने के बजाय ज्यादा भोजन क्यों करते हैं.

अपनी सेहत का रखें ख्याल
फाइंडिंग्स ब्रेन के फंक्शंस और हंगर कंट्रोल पर आर्टिफिशियल स्वीटनर के असर के बारे में ज्यादा अवेरनेस की जरूरत पर जोर डालते हैं. जबकि वो शुगर के लिए एक हेल्दी ऑप्शन की तरह लग सकते हैं, लेकिन उनके चौकाने वाले नचीजे हो सकते हैं, खासकर मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

About the Author
author img
Shariqul Hoda शारिक़ुल होदा

ज़ी न्यूज में सीनियर सब एडिटर. हेल्थ और लाइफस्टाइल की स्टोरीज करते हैं. नेशनल, इंटरनेशनल, टेक, स्पोर्ट्स, रिलेशनशिप, एंटरटेनमेंट, हेल्थ और लाइफस्टाइल का लंबा तजुर्बा है. जर्नलिज्म करियर की शुरुआत 2...और पढ़ें

TAGS

Trending news

;