बरसात में जानवरों के पेशाब के जरिए इंसानों में फैलती है ये बीमारी, इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा
Advertisement
trendingNow12873605

बरसात में जानवरों के पेशाब के जरिए इंसानों में फैलती है ये बीमारी, इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा

बरसात के मौसम में वैसे तो कई तरह की बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है, लेकिन लेप्टोस्पायरोसिस एक ऐसी बीमारी है जो अजीब तरीके इंसानों में फैलती है, जिससे बचकर रहना जरूरी है.

बरसात में जानवरों के पेशाब के जरिए इंसानों में फैलती है ये बीमारी, इन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा

What is Leptospirosis: बरसात का मौसम भले ही आपको सुहाना लगता हो, लेकिन ये  लेप्टोस्पायरोसिस जैसी बीमारियों को पनपने का मौका देता है. ये एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो लेप्टोस्पायरा (Leptospira) नामक स्पाइरल शेप के बैक्टीरिया से होता है. ये बीमारी इंसानों और जानवरों दोनों को अफेक्ट कर सकती है. इसे  “Weil’s Disease” या “Rat Fever” भी कहा जाता है, खासकर तब जब इंफेक्शन सीरियस रूप ले ले. ये बीमारी आमतौर पर उन इलाकों में ज्यादा पाई जाती है जहां भारी बारिश, बाढ़ या पानी का जमाव होता है, क्योंकि बैक्टीरिया पानी और गीली मिट्टी में लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं.

इंफेक्शन कैसे फैलता है?
लेप्टोस्पायरोसिस जूनोटिक बीमारी है यानी ये जानवरों से इंसानों में फैलती है. बैक्टीरिया खास तौर से चूहों, कुत्तों, मवेशियों, सूअरों और जंगली जानवरों के पेशाब से पानी या मिट्टी में पहुंचते हैं. जब इंसान इस संक्रमित पानी या मिट्टी के कॉन्टैक्ट में आता है, खासकर अगर उसकी स्किन पर कट, घाव या खरोंच हो,तो बैक्टीरिया शरीर में दाखिल हो जाते हैं.
संक्रमण मुंह, नाक और आंखों की म्यूकस मेम्ब्रेन से भी हो सकता है.
 

fallback

कौन से लोग लोग ज्यादा खतरे में होते हैं?

1. खेतों में काम करने वाले किसान

2. सीवर या गंदे पानी से जुड़े कामगार

3. बाढ़ वाले इलाकों में रहने वाले लोग

4. एडवेंचर स्पोर्ट्स (जैसे स्विमिंग, राफ्टिंग) करने वाले लोग

5. जानवर पालने वाले और वेटरनरी डॉक्टर

 

यह भी पढ़ें- बच्चे तो नादान हैं, बारिश में तो खेलेंगे ही, मां-बाप को ऐसे रखना होगा ख्याल, तभी दूर रहेंगी बीमारियां
 

शुरुआती लक्षण
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण इंफेक्शन के 5–14 दिन बाद दिखाई देते हैं, लेकिन कभी-कभी ये ड्यूरेश 2 दिन से लेकर 30 दिन तक हो सकती है. शुरुआती लक्षण फ्लू जैसी सामान्य बीमारियों से मिलते-जुलते हैं, इसलिए लोग अक्सर इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं.

1. अचानक तेज बुखार

2. सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द, खासकर पिंडलियों में

3. ठंड लगना और थकान

4. आंखों का लाल होना

5. मतली और उल्टी

6. हल्की खांसी

7. पेट दर्द और दस्त

अगर वक्त पर इलाज न हो, तो बीमारी गंभीर रूप लेकर Weil’s Disease बन सकती है, जिसमें लिवर और किडनी को नुकसान, पीलिया, फेफड़ों में ब्लीडिंग और मेंनिन्जाइटिस जैसे गंभीर लक्षण हो सकते हैं.

डायग्नोसिस कैसे होता है?
चूंकि शुरुआती लक्षण कॉमन वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन जैसे लगते हैं, इसलिए सही डायग्नोसिस के लिए कुछ स्पेशल टेस्ट जरूरी हैं, जैसे-

ब्लड टेस्ट: सीबीसी (CBC) में WBC काउंट, प्लेटलेट्स और अन्य पैटर्न देखे जाते हैं.

सीरोलॉजिकल टेस्ट: ELISA या MAT (Microscopic Agglutination Test) से Leptospira एंटीबॉडीज की पहचान की जाती है.

PCR टेस्ट: बैक्टीरिया के DNA की पहचान करने के लिए.

यूरिन टेस्ट: बैक्टीरिया या उनके जेनेटिक मैटेरियल की मौजूदगी जांचने के लिए.

गंभीर मामलों में: लिवर, किडनी और फेफड़ों के फंक्शन टेस्ट किए जाते हैं.
 

यह भी पढ़ें- किसी के लिए खुशनुमा, तो कुछ के लिए टेंशन से भरा क्यों होता है मानसून? जानिए एंग्जायटी दूर कैसे करें

ट्रीटमेंट
लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज जितना जल्दी शुरू किया जाए, उतना बेहतर परिणाम मिलता है. इलाज में आमतौर पर एंटीबायोटिक्स और सहायक चिकित्सा शामिल होती है.

1. एंटीबायोटिक थेरेपी

-शुरुआती और हल्के मामलों में: आमतोर पर डॉक्टर  Doxycycline या Amoxicillin देते हैं.

-सीरियस मामलों में: Penicillin G या Ceftriaxone का IV (इंट्रावीनस) का यूज

-एंटीबायोटिक्स 5–7 दिन तक दी जाती हैं, लेकिन गंभीर मामलों में अवधि बढ़ सकती है.

2. सपोर्टिंग ट्रीटमेंट

-बुखार और दर्द के लिए पेरासिटामोल

-डिहाइड्रेशन रोकने के लिए ओरल या IV फ्लूड्स

-गंभीर मामलों में डायलिसिस (अगर किडनी अफेक्टेड हो)

-ब्लीडिंग या सांस की तकलीफ में ऑक्सीजन और इंटेंसिव केयर

प्रिवेंशन
लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव पूरी तरह मुमकिन है, अगर कुछ सावधानियां अपनाई जाएं. जैसे:-

1. बाढ़ या गंदे पानी में नंगे पैर न चलें: रबर बूट और दस्ताने पहनें.

2. पानी में जाने से पहले त्वचा पर मौजूद कट और जख्म को वाटरप्रूफ बैंडेज से ढकें.

3. साफ और सेफ पानी पिएं.

4. खेतों या गंदे इलाकों में काम करने के बाद हाथ-पैर साबुन से धोएं.

5. चूहों और अन्य जानवरों के मल-मूत्र के संपर्क से बचें.

6. हाई-रिस्क लोगों के लिए डॉक्टर की सलाह पर Doxycycline प्रोफिलैक्टिक डोज ली जा सकती है.

इन बातों को समझें
लेप्टोस्पायरोसिस एक सीरियस लेकिन रोकी जा सकने वाली बीमारी है. बारिश और बाढ़ के मौसम में इसके मामले तेजी से बढ़ते हैं, खासकर ग्रामीण और गंदे पानी वाले इलाकों में. शुरुआती लक्षण साधारण बुखार या फ्लू जैसे लग सकते हैं, लेकिन समय पर डायग्नोसिस और सही एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट से ज्यादातर मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं. सावधानी, हाइजीशन और रिस्क के वक्त सेफ्टी टूल्स के इस्तेमाल से इस बीमारी से बचा जा सकता है. 

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

TAGS

Trending news

;