DNA: बोइंग को बचाना चाहता है अमेरिका, अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर वेस्ट लॉबी का नया प्रोपेगेंडा?
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DNA: बोइंग को बचाना चाहता है अमेरिका, अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर वेस्ट लॉबी का नया प्रोपेगेंडा?

DNA Analysis:  अहमदाबाद प्लेन हादसे पर एक कथित इंवेस्टिगेशन का हवाला देते हुए WALL STREET JOURNAL में लिखा गया है कि रनवे से उड़ान के बाद पायलट ने विमान के ईंधन का स्विच बंद कर दिया था. हालांकि ये अमेरिकी अखबार अपनी रिपोर्ट में ये नहीं बता पाता कि कथित तौर पर ईंधन का स्विच किस पायलट ने बंद किया था.

DNA: बोइंग को बचाना चाहता है अमेरिका, अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर वेस्ट लॉबी का नया प्रोपेगेंडा?

DNA Analysis: सड़क पर गड्ढों के साथ ही साथ आजकल लोगों के अंदर एक और डर बैठ गया है. ये डर जुड़ा है हवाई जहाज के सफऱ से. अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद से लगातार विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग की खबरें देखने को मिल रही हैं. ऐसी ही दो और घटनाएं पिछले 24 घंटों में सामने आई है, जिनके बारे में आपको भी जानना चाहिए. इंडिगो की एक फ्लाइट दिल्ली से इंफाल जा रही थी. लेकिन बीच उड़ान में ही पायलट को विमान को नियंत्रित करने में दिक्कत महसूस हुई. जिसकी वजह से विमान को दोबारा दिल्ली वापस लाना पड़ा. चौबीस घंटों के अंदर ये इमरजेंसी लैंडिंग की दूसरी घटना है. इसी तरह दिल्ली से गोवा जा रहे एक विमान को इंजन में तकनीकी खराबी की वजह से मुंबई एयरपोर्ट पर लैंड कराना पड़ा था.

दोनों ही मौकों पर विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग की वजह तकनीकी खराबी थी. लेकिन इन घटनाओं ने उस इंटरनेशनल प्रोपेगेंडा ब्रिगेड को मौका दे दिया, जो अहमदाबाद प्लेन हादसे के बाद से लगातार भारतीय एविएशन सेक्टर को गुनहगार साबित करने की कोशिश कर रही है. इस भारत विरोधी प्रोपेगेंडा ब्रिगेड की लिस्ट में नया नाम है अमेरिका का प्रभावशाली अखबार WALL STREET JOURNAL. इस अखबार की एक रिपोर्ट देखकर आप भलीभांति समझ जाएंगे कि ये प्रोपेगेंडा ब्रिगेड भारत को बदनाम करके अमेरिकी कंपनी बोइंग को बचाना चाहती है.

 WALL STREET JOURNAL 

अहमदाबाद प्लेन हादसे पर एक कथित इंवेस्टिगेशन का हवाला देते हुए WALL STREET JOURNAL में लिखा गया है कि रनवे से उड़ान के बाद पायलट ने विमान के ईंधन का स्विच बंद कर दिया था. हालांकि ये अमेरिकी अखबार अपनी रिपोर्ट में ये नहीं बता पाता कि कथित तौर पर ईंधन का स्विच किस पायलट ने बंद किया था.

बोइंग की इज्जत को बचाने की कवायद

WALL STREET JOURNAL से पहले कुछ और अमेरिकी अखबारों और मैगजीन ने अहमदाबाद प्लेन हादसे का जिम्मेदार भारतीय पायलट्स को बताया था. इस पूरी कवायद की एक ही वजह है. किसी भी कीमत पर अमेरिका की सबसे बड़ी एविएशन कंपनी बोइंग की इज्जत को बचाना हम ऐसा क्यों कह रहे हैं. ये समझने के लिए आपको बोइंग कंपनी के राजनीतिक कनेक्शन गौर से पढ़ना चाहिए.

कहने को बोइंग एक बिजनेस कंपनी है, लेकिन इस कंपनी की अपनी एक POLITICAL ACTION COMMITEE भी है. इस कमेटी का काम ये तय करना है कि अमेरिका के किस राजनीतिक धड़े को कितना चुनावी चंदा देना है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2025 में अब तक बोइंग अमेरिका की 300 राजनीतिक कमेटियों को 1 मिलियन डॉलर का चंदा दे चुकी है.

WTO का क्या नतीजा निकला?

बोइंग से ना सिर्फ राजनीतिक दलों को चंदा गया है बल्कि अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति ट्रंप के इनॉगरेशन यानी शपथग्रहण के लिए भी बोइंग ने 1 मिलियन डॉलर की राशि दी थी. वर्ष  2010 में बोइंग के व्यापारिक तरीकों को लेकर WTO यानी WORLD TRADE ORGANISATION में भी सुनवाई हुई थी. इस सुनवाई से क्या नतीजा निकला था. ये भी आपको जानना चाहिए.

बोइंग की खोखली इज्जत 

WTO की कमेटी ने शुरुआती जांच के बाद पेश की गई रिपोर्ट में कहा था कि बोइंग को गैरकानूनी तरीके से अमेरिकी सरकार और संस्थानों से सब्सिडी मिली थीं. इस सब्सिडी की कुल राशि 23.7 बिलियन डॉलर बताई गई थी. रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि बोइंग को टैक्स बेनेफिट यानी कर में छूट भी दी गई थी.

सरकार से लेकर बड़े नेताओं तक संपर्क राजनीतिक दलों की फंडिंग. ये तथ्य संकेत देते हैं कि बोइंग का अमेरिकी सिस्टम में बड़ा प्रभाव है और इसी प्रभाव की वजह से अमेरिकी मीडिया लगातार भारतीय सिस्टम और पायलट्स पर उंगली उठा रहा है. ताकि बाजार में बोइंग की खोखली इज्जत को बचाया जा सके.

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