Ayodhya News: प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या में बुजुर्ग महिला को बच्चों ने कूड़े की तरह सड़क पर फेंक दिया. सुबह महिला को मौत हो गई. पढ़ें पूरी खबर..
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Ayodhya: अयोध्या वो स्थान है जहां एक बेटा अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए पिता के आदेश पर 14 साल के लिए वनवास हंसते-हंसते चला गया था. उसी प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या आज वो स्थान हो चुकी है, जहां बुजुर्ग हो चुकी मां को सड़क किनारे फेंक दिया गया, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रही है.
बुजुर्ग महिला की मौत
दरअसल, वायरल वीडियो में एक बूढ़ी मां के बेरहम बच्चे ने अयोध्या कोतवाली के किशनदासपुर में लाकर छोड़ गए थे. बुजुर्ग महिला को पुलिस ने दर्शन नगर के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. बुजुर्ग महिला को छोड़ने की घटना सीसीटीवी में कैद हुई.
DNA | बुजुर्ग महिला को कूड़े की तरह फेंका..वो मर गई! क्या ये वही अयोध्या है जहां राम समान पुत्र हुए? Ayodhya pratyushkkhare pic.twitter.com/DjfuWY1G07
— Zee News (ZeeNews) July 25, 2025
पुलिस कर रही जांच
ऐसे में अब पुलिस महिला के शिनाख्त का प्रयास कर रही है. महिला को लाकर छोड़ने वाले ई रिक्शा की खोज की जा रही है क्योंकि ई रिक्शा से ही देर रात बुजुर्ग महिला को छोड़ा गया था. जानकारी के अनुसार, डायल 112 को सुबह साढ़े 9 बजे एक बुजुर्ग लावारिस महिला के पड़े होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल लाया गया और दोषी व्यक्तियों की पहचान की जा रही है.
हर कोई हैरान
सीसीटीवी फुटेज देखकर हर कोई हैरान है. लोगों के मन में ये ही सवाल उठ रहे हैं कि कौन होते हैं वो लोग, जो अपने बुजुर्ग मां-बाप को इस हाल में छोड़ जाते हैं? कौन होते हैं वो जिनके संस्कार अपने बुजुर्गों के साथ ऐसा व्यवहार करने की इजाजत दे जाते हैं? वीडियो देखकर ऐसा कोई नहीं होगा, जिसका दिल नहीं दहला हो.
सवाल ये है कि क्या उनके दिल नहीं पसीजा जब उन्होंने अपनी मां को इस हाल में छोड़ा? क्या हमारा समाज संवेदनहीन हो गया, हमारे परिवार संवेदनहीन हो गए...हमारे बुजुर्गों ने हमें ऐसा संस्कार तो नहीं दिया था...आखिर क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है ये सब?...स्थिति सच में बेहद भयावह हैं.
राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग के अनुसार, 2011 में भारत की जनसंख्या में बुजुर्गों यानी 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की हिस्सेदारी 8.6% थी, जो 2036 तक 18% तक पहुंच सकती है. UNFPA की 'इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023' के अनुसार, 2050 तक यह 20.8% हो सकती है. दक्षिण भारत में यह समस्या और गंभीर है, जहां 2036 तक हर पांच में से एक व्यक्ति बुजुर्ग होगा.
'हेल्पएज इंडिया' के एक सर्वे के अनुसार, 47% बुजुर्ग अपने परिवारों पर आर्थिक रूप से निर्भर हैं और 34% पेंशन या सरकारी सहायता पर निर्भर हैं. राष्ट्रीय बुजुर्ग स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम यानी NPHCE के अनुसार, भावनात्मक उपेक्षा के कारण 30-50% बुजुर्ग अवसाद के शिकार हैं. खासकर विधवाएं, जो अकेलेपन का सामना करती हैं. 29% लोग अपने बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं और 35% देखभाल करने वालों को यह बोझ लगता है. परिवारों में युवाओं का व्यस्त जीवन और संयुक्त परिवारों का कम होना इसके मेंन कारण हैं.
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों पता होनी चाहिए ये बात
इस समस्या ने तो विकराल रूप ले लिया है लेकिन सवाल है कि इस दिल दहला देने वाली समस्या का समाधान क्या है? हर बुजुर्ग को यह पता होना चाहिए कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 यानी MWPSC कानून बच्चों को अपने माता-पिता की देखभाल करने के लिए बाध्य करता है. इसके तहत बुजुर्ग अपनी संपत्ति वापस ले सकते हैं या भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं.
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एल्डरलाइन 14567 वर्ष 2021 में शुरू की गई राष्ट्रीय हेल्पलाइन बुजुर्गों की शिकायतों को दूर करने के लिए है.
राष्ट्रीय वयोश्री योजना BPL श्रेणी के बुजुर्गों को सहायता प्रदान करती है
राष्ट्रीय वृद्धजन नीति 1999 बुजुर्गों की वित्तीय सुरक्षा, स्वास्थ्य और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने की दिशा में काम करती है.
सीनियरकेयर एजिंग ग्रोथ इंजन यानी SAGE स्टार्टअप्स के माध्यम से बुजुर्गों के लिए देखभाल के इंतजाम करता है.
स्वैच्छिक संगठनों को वृद्धाश्रम और डे-केयर सेंटर के निर्माण के लिए 90% तक वित्तीय सहायता दी जाती है.
समुदाय आधारित समाधान यानी NICE परियोजना के तहत समुदायों को बुजुर्गों की देखभाल के लिए जागरूक किया जा रहा है.
बेटियों को ध्यान रखनी चाहिए बात
इन सबके अलावा बुजुर्गों को खुद को भी मजबूत करना पड़ेगा कि वे अपनी जवानी में ही बुढ़ापे का प्लान कर लें, ताकि ऐसा दिन देखने की नौबत न आए. परिवार में बेटियों को भी यह संस्कार देने की जरूरत है कि वो जिस घर की बहू बनने जा रही है. उस घर की मां ने अपने बेटे को उन्हें सौंपा है. अपने घर की मालकिन बना दिया ह. जब आप अपने बच्चे की डिलिवरी के वक्त शरीर से कमजोर थीं तो सास ने मजबूती के साथ आपका साथ दिया. फिर जब सास मजबूर हो तो आप भी मजबूती के साथ उनका साथ दें.