बिटकॉइन और क्रिप्टो के नाम पर 6600 करोड़ रुपये का घोटाला... CBI ने देशभर में 60 जगहों पर की छापेमारी
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बिटकॉइन और क्रिप्टो के नाम पर 6600 करोड़ रुपये का घोटाला... CBI ने देशभर में 60 जगहों पर की छापेमारी

Gainbitcoin Cryptocurrency Scam: क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड से जुड़े मामलों में CBI ने दिल्ली समेत देशभर में 60 जगहों पर छापेमारी की. सेंट्रल एजेंसी ये छापेमारी 6600 करोड़ रुपये घोटाले के सिलसिले में की. इस पोंजी घोटाले की पूरी साजिश कथित रूप से अमित भारद्वाज (अब दिवंगत) और उसके भाई अजय भारद्वाज ने रची थी. 

बिटकॉइन और क्रिप्टो के नाम पर 6600 करोड़ रुपये का घोटाला... CBI ने देशभर में 60 जगहों पर की छापेमारी

Gainbitcoin Cryptocurrency Scam: क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड से जुड़े मामलों में CBI ने देशभर में 60 जगह पर छापेमारी की. केंद्रीय एजेंसी ने ये छापेमारी 6600 करोड़ रुपये के ‘गेनबिटक्वाइन क्रिप्टोकरेंसी’ घोटाले के सिलसिले में मंगलवार को राजधानी दिल्ली, जयपुर और मुंबई में कई जगहों पर की. क्रिप्टोकरेंसी में यह घोटाला फर्जी वेबसाइटों और ऑनलाइन धोखाधड़ी के जरिए से किया गया था.

सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में बताया कि दिल्ली एनसीआर, पुणे, चंडीगढ़, नांदेड़, कोल्हापुर और बेंगलुरु समेत कई शहरों में छापेमारी की गई, जिसमें  प्रमुख आरोपियों से जुड़े कैंपस को टारगेट किया गया.

अफसरों ने बताया कि प्रमुख वेबसाइट ‘WWW.GAINBITCOIN.COM’ समेत कई मंचों के जरिए से यह पोंजी घोटाला किया गया और इसकी पूरी साजिश कथित रूप से अमित भारद्वाज (अब दिवंगत) और उसके भाई अजय भारद्वाज ने रची थी. उन्होंने बताया कि 2015 में शुरू किया गया यह गैर-कानूनी कारोबार ‘वेरिएबलटेक प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से चल रहा था.

सीबीआई ने बताया कि इस योजना के तहत निवेशकों को 18 महीने की अवधि में बिटकॉइन पर हर महीने 10 फीसदी का असाधारण रिटर्न देने का लालच दिया गया और उन्हें बाहरी एक्सचेंजों से डिजिटल करेंसी खरीदने और ‘क्लाउड माइनिंग’ कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए से इसे ‘गेन बिटकॉइन’ में जमा करने के लिए कहा गया.

प्रवक्ता ने कहा, ‘यह मॉडल बहु-स्तरीय विपणन (नेटवर्किंग मार्केटिंग-एमएलएम) स्ट्रक्चर पर काम करता है, जो सामान्यतः पिरामिड स्ट्रक्चर्ड पोंजी स्कीम्स से जुड़ा होता है, जहां भुगतान नए निवेशकों को लाने पर निर्भर होता है.’

निवेशकों को जाल में कैसे फंसाया? 
शुरुआती दिनों में निवेशकों को ‘बिटक्वाइन’ में भुगतान मिलता था, जिससे यह एक आकर्षक उद्यम होने का भ्रम पैदा हुआ. हालांकि, 2017 तक नई पूंजी का प्रवाह कम होने के साथ ही यह दिखावा (भ्रम) टूटने लगा. बयान में कहा गया है, ‘घाटे की लीपापोती करने की कोशिश में, ‘गेनबिटक्वाइन’ ने एकतरफा ढंग से भुगतान को अपने कथित ‘इन-हाउस क्रिप्टोकरेंसी’ में बदल दिया, जिसका मूल्य ‘बिटक्वाइन’ की तुलना में काफी कम था, जिससे निवेशक और अधिक कंफ्यूज्ड हो गए.’

CBI को इस वजह से सौंपी गई जांच
बड़े पैमाने पर हुए घोटाले को लेकर इस कंपनी के खिलाफ जम्मू-कश्मीर से लेकर महाराष्ट्र और दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक पूरे भारत में कई FIR दर्ज की गईं. सुप्रीम कोर्ट ने इस (गैर-कानूनी कारोबार के) संचालन के नेचर और  इसके इंटरनेशनल प्रभाव को देखते हुए इसकी जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी.
 
कंपनी के खिलाफ कई आपत्तिजनक सबूत
जांच एजेंसी ने कहा,‘तलाशी के दौरान कुछ क्रिप्टो वॉलेट, आपत्तिजनक डिजिटल सबूत और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं. ईमेल/क्लाउड में मौजूद सबूत भी जब्त किए गए हैं.’ ( भाषा इनपुट के साथ )

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