DNA Analysis: पहली बार छांगुर का माफिया कनेक्शन सामने आया है. जांच में पता चला है कि छांगुर, माफिया अतीक अहमद के गैंग का सदस्य था. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या माफिया अतीक अहमद की मदद से छांगुर का दबदबा कायम हुआ.
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DNA Analysis: वे लोग जिन्होंने भारत माता के लिए अपनी परवाह कभी नहीं की. इनका देशप्रेम एक मिसाल है. लेकिन अपने ही देश में कुछ ऐसे लोग हैं जो जिस थाली में खाते हैं उसी थाली में छेद करते हैं. जिस डाल पर बैठते हैं उसी पेड़ की जड़ों को काटने की कोशिश करते हैं. यूपी के बलरामपुर से गिरफ्तार, धर्मांतरण गैंग का मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर इसका एक जीता जागता मिसाल है. विदेशों में बैठे कट्टरपंथियों के इशारे पर भारत में धर्मांतरण का गैंग चलाने वाला छांगुर कैसे समाज को खोखला कर रहा था ये कहानी आज जगजाहिर हो चुकी है. लेकिन छांगुर को लेकर आज एक बहुत बड़ा खुलासा हुआ है.
पहली बार छांगुर का माफिया कनेक्शन सामने आया है. जांच में पता चला है कि छांगुर, माफिया अतीक अहमद के गैंग का सदस्य था. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या माफिया अतीक अहमद की मदद से छांगुर का दबदबा कायम हुआ. क्या अतीक अहमद की मदद से छांगुर ने धर्मांतरण का ये रैकेट स्थापित किया.
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— Zee News (@ZeeNews) July 14, 2025
यूपी का बलरामपुर,जहां से छांगुर गिरफ्तार हुआ. वो श्रावस्ती लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है. इसी सीट से साल 2014 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर अतीक अहमद चुनाव लड़ रहा था. बताया जाता है कि इस दौरान ही छांगुर, माफिया अतीक अहमद के संपर्क में आया. दावा किया जा रहा है कि छांगुर ने इस चुनाव में अतीक अहमद की खूब मदद की.
छांगुर ने अतीक अहमद के लिए मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव प्रचार किया. छांगुर अकसर चुनावी मंचों पर अतीक अहमद के साथ दिखाई देता था. अतीक अहमद के साथ ओपन जीप में चुनाव प्रचार किया करता था. इतना ही नहीं, 2014 लोकसभा चुनाव में अतीक के नामांकन के लिए छांगुर ने अपना सफेद घोड़ा भी भेजा था. इस चुनाव में छांगुर ने अतीक अहमद की हर संभव मदद की थी. लेकिन अतीक अहमद बीजेपी के दद्दन मिश्रा से ये चुनाव हार गया. बीजेपी के पूर्व सांसद और पूर्व राज्यमंत्री दद्दन मिश्रा छांगुर और अतीक के कनेक्शन को लेकर जो खुलासे कर रहे हैं वो आपको जानना चाहिए.
2014 का लोकसभा चुनाव तो अतीक अहमद हार गया. लेकिन अतीक के साथ मंच साझा कर के छांगुर ने अपना दबदबा बना लिया. छांगुर मुस्लिमों के बीच खुद को सूफी संत और उनके रहनुमा के रूप में स्थापित करने में जुट गया. इसी के बूते छांगुर ने अपनी पत्नी को ग्राम पंचायत का चुनाव जिताने में भी सफल रहा. बताया जाता है कि अतीक का नाम इस्तेमाल कर के वो जमीनों पर कब्जा करने लगा.
अतीक के मारे जाने से पहले छांगुर कई बार प्रयागराज भी गया. आरोप है कि अतीक के गैंग के मेबर्स ने छांगुर के लिए मुंबई जाने की राह आसान की, यानी कि छांगुर के मुंबई की ट्रेन पकड़ने में अतीक गैंग ने भी मदद की थी. यही वो मोड़ था, जहां से कभी मामूली नग बेचने वाला छांगुर करोड़ों में खेलने लगा. माना जा रहा है कि अतीक अहमद की मदद से छांगुर पहली बार मुंबई गया. और यहीं से लौटने के बाद उसने धर्मांतरण गैंग को स्थापित किया.
छांगुर ने माफिया की मदद से जो रैकेट स्थापित किया था. उसमें 3000 एजेंट्स थे. छांगुर को भारत में मुस्लिम आबादी को बढ़ाने का टारगेट दिया गया था. इस पूरे रैकेट को छांगुर का बेटा महबूब लीड किया करता था. छांगुर के इस रैकेट में नवीन टेक्निकल सपोर्ट प्रदान करता था. नवीन ने ही मुस्लिम युवकों की ऐसी टीम तैयार की थी जो ऐसी हिंदू लड़कियों की रिपोर्ट तैयार करती थी जिन्हें हिंदू बनकर मुस्लिम युवक टारगेट करते थे. ये पूरा रैकेट काम कैसे करता था. आप खुद पीड़ित लड़कियों की जुबानी जाननी चाहिए.
छांगुर का ये धर्मांतरण रैकेट आखिरकार ध्वस्त हो गया. लेकिन जांच में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि छांगुर का गैंग इतने सीक्रेट तरीके से काम करता था की उनकी बातों से भी किसी को उनके काले कारनामों का अंदाजा नहीं हो सकता था. इसके लिए छांगुर के गुर्गों ने पूरी डिक्शनरी तैयार की थी. छांगुर का गैंग धर्मांतरण को -'मिट्टी पलटना' कहता था. टारगेट पर ली गई लड़कियों को 'प्रोजेक्ट' बुलाया जाता था. मानसिक रूप से युवतियों को प्रभावित करने को 'काजल करना' कहा जाता था. और इसकी डिक्शनरी में 'दर्शन' का मतलब होता था छांगुर से मिलवाना.
यहां आपको ये भी जानना जरूरी है कि छांगुर सिर्फ हिंदू लड़कियों का धर्मांतरण ही नहीं करवा रहा था. बल्कि वो इसके जरिये ISI को भारत में पांव जमाने में भी मदद कर रहा था. छांगुर ISI से संबंध बनाने के लिए नेपाल गया था. नेपाल के मुस्लिम नेता के जरिये पाकिस्तानी दूतावास में उसकी मीटिंग हुई थी. छांगुर ने यहां हिंदू लड़कियों की ISI एजेंट्स से शादी करवाने की डील हुई थी. बताया तो ये भी जा रहा है कि पाकिस्तानी एजेंट्स के साथ छांगुर ने भारत नेपाल सीमा क्षेत्र का दौरा भी किया था. उसकी प्लानिंग हिंदू लड़कियों से शादी करवा कर पाकिस्तानी एजेंट्स को भारत में नेपाल बॉर्डर के पास बसाने की थी.
लेकिन छांगुर अपने मकसद में कामयाब होता उससे पहले ही यूपी ATS ने उसके इस धर्मांतरण गैंग की कमर तोड़ दी. जो छांगुर ISI एजेंट्स को भारत में बसाने की फिराक में था. उसके खुद के किलो को बुलडोजर से तहस नहस कर दिया गया. अब खबर ये आ रही है कि इस कार्रवाई में जो खर्च हुआ है उसकी भरपाई भी छांगुर को ही करनी होगी. बुलडोजर कार्रवाई और पुलिस की तैनाती में कुल 8 लाख 55 हजार रुपये का खर्च आया है, जिसे छांगुर बाबा से ही वसूला जाएगा. और अगर छांगुर ने ये पैसे नहीं जमा करवाए तो इस संबंध में उसपर अलग से कार्रवाई होगी.