DNA Analysis: हमारे देश में मौजूद गाजा प्रेमियों की नींद उड़ना तय है. कोर्ट के फैसले सिर्फ न्याय व्यवस्था कायम नहीं करते हैं. कोर्ट के फैसले आगे का रास्ता भी दिखाते हैं. आज हम न्यायालय के ऐसे ही एक फैसले पर चर्चा कर रहे हैं.
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DNA Analysis: अब हम, गाजा प्रेमी क्लब को लगे कानूनी तमाचे का विश्लेषण करेंगे. इस विश्लेषण को देखने के बाद, हमारे देश में मौजूद गाजा प्रेमियों की नींद उड़ना तय है. कोर्ट के फैसले सिर्फ न्याय व्यवस्था कायम नहीं करते हैं. कोर्ट के फैसले आगे का रास्ता भी दिखाते हैं. मित्रों आज हम न्यायालय के ऐसे ही एक फैसले पर चर्चा कर रहे हैं. बात-बात पर अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर झंडा-डंडा लेकर देश की सड़कों पर उतरने वालों को आज बॉम्बे हाईकोर्ट ने रास्ता दिखाया है. लेफ्ट पार्टी सीपीएम की गाजा वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज जो कहा है उसे देश के हर नागरिक को जानना चाहिए. खासतौर पर गाजा प्रेमी क्लब को जरूर आज बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के एक-एक शब्द को ध्यान से पढ़ना चाहिए और बेहद ध्यान से उसे समझना भी चाहिए.
मित्रों, CPM ने गाजा पर प्रदर्शन की इजाजत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि हमारे देश में पहले से ही बहुत सारी समस्याएं हैं. दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आप सभी अदूरदर्शी हैं. आप गाजा और फिलिस्तीन की समस्याओं पर ध्यान दे रहे हैं अपने देश को देखिए, देशभक्त बनिए क्योंकि जो आप कर रहे हैं वो देशभक्ति नहीं है. देश प्रेम और राष्ट्र प्रथम ये शब्द सुनते ही लेफ्ट के नेता अक्सर गुस्से में लाल हो जाते हैं लेकिन अब कोर्ट ने कहा है कि देशभक्त बनिए. गाजा से पहले देश के बारे में सोचिए.
अपने बनाए काल्पनिक वैचारिक संसार में रहने वाले लेफ्ट के नेताओं को कोर्ट की ये सलाह पसंद नहीं आई. देशप्रेम का पाठ उन्हें बेचैन करने लगा. इन्हें कोर्ट का फैसला भी अपने विचार के मुताबिक ही चाहिए था तभी देशभक्त बनने की बॉम्बे हाईकोर्ट की सलाह पर सीपीएम ने विचार करने के बजाए सवाल उठा दिया. अभिव्यक्ति की आजादी और राजनीतिक पार्टी के अधिकार के नाम पर लेफ्ट के नेता कोर्ट को ही नसीहत देने लगे. इंटरनेश्नल मुद्दों को लेकर कोर्ट की समझ पर ही सवाल उठाने लगे. मित्रों आपने ये मुहावरा जरूर सुना होगा कि जब मॉस्को में बारिश होती थी तो लेफ्ट के नेता दिल्ली में छाता निकाल लेते थे लेफ्ट आज भी अपनी विदेश केंद्रित सोच से बाहर नहीं निकल पाया है.
इसलिए इन्हें भारत से 4200 किलोमीटर दूर गाजा दिखता है लेकिन अपने ही देश में मुंबई से 778 किलोमीटर दूर पहलगाम नहीं दिखता. ये वामपंथी संगठन गाजा के समर्थन में प्रदर्शन के लिए कोर्ट तक पहुंच जाते हैं लेकिन पहलगाम में धर्म पूछकर मारे गए निर्दोष लोगों के घरवालों के आंसू पोछने उनके घर तक नहीं जाते. सड़क पर एक मोमबत्ती तक जला नहीं पाते. इन्हें गाजा में हमास के हथियारबंद आतंकियों के खिलाफ हो रहा एक्शन तो दिखता है लेकिन पहलगाम के पीड़ित परिवारों का दर्द नहीं दिखता.
कथित अंतराष्ट्रीय चेतना और फिलिस्तीन प्रेम के शिकार लेफ्ट संगठनों को ये तो मालूम ही होगा कि अमेरिका ने गाजा सीजफायर बातचीत से अपने वार्ताकारों को हटा लिया है. इसकी वजह हमास है अमेरिका का कहना है कि हमास शांति नहीं चाहता. यानी हमास जंग नहीं रोकना चाहता है. गाजा पर हमास का कब्जा है और उसी गाजा के समर्थन में वामपंथी संगठन प्रदर्शन करना चाहते थे. इन संगठनों के गाजा प्रेम पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक और अहम टिप्पणी की.
अदालत ने कहा कि लेफ्ट का रुख देश की विदेश नीति से अलग है. ऐसे प्रदर्शनों से कूटनीति के मोर्चे पर भारत को नुकसान हो सकता है. मित्रों विदेश नीति और डिप्लोमेसी बेहद संवेदनशील विषय है. इसलिए ये सामान्य समझ होती है कि विदेशी नीति पर देशहित प्रथम वाला रुख अपनाया जाए लेकिन लेफ्ट और दूसरे संगठनों के लिए देशहित से ऊपर वोटहित है. मित्रों आज हम आपको बताना चाहेंगे कि कोर्ट ने जिस मुद्दे को देशहित पर असर डालनेवाला बताया है, उसी गाजा के मुद्दे को असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में उठाया था. जमात-ए-इस्लामी ने देशभर में प्रदर्शन किया था, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने केरल में प्रदर्शन किया था, JNU, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया जैसी यूनिवर्सिटी में गाजा के लिए प्रोटेस्ट किये गए थे.
मित्रों गाजा के समर्थन में प्रदर्शन करनेवाले इन संगठनों ने कभी सड़क पर उतर कर पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ प्रदर्शन नहीं किया. हमास की सत्ता के केंद्र गाजा के लिए जिन संगठनों के दिल में दर्द है. उन्हें हमारे देश के जवानों की शहादत पर नम होते कभी आपने देखा है? क्या ऑपरेशन सिंदूर के दौरान..पाकिस्तान के खिलाफ और गलवान के समय चीन के खिलाफ आवाज उठाते इन्हें देखा है? शायद नहीं इसलिए कोर्ट को इन्हें याद दिलाना पड़ता है कि देशभक्त बनिए और पहले देश की समस्याओं को उठाइये.
मित्रों इजरायल की संसद ने वेस्ट बैंक पर कब्जा करने का प्रस्ताव पास किया है. इजरायल-हमास के संघर्ष में अरब देश चुप हैं. सऊदी अरब, कतर, मिस्र, जॉर्डन, यूएई जैसे देश मौन हैं ये सभी मुस्लिम देश हैं लेकिन इन देशों में गाजा के लिए प्रदर्शन भी नहीं हो रहा है लेकिन वहां से 4200 किलोमीटर दूर भारत में गाजा के समर्थन में प्रदर्शन के लिए कानूनी लड़ाई हो रही है और इस लड़ाई में कोर्ट को बताना पड़ रहा है कि गाजा का मुद्दा अभी छोड़िए, पहले देशभक्त बनिए. मित्रों, इस विदेश केंद्रित सोच का नतीजा ही है कि 2004 में लोकसभा की 43 सीटें जीतने वाली सीपीएम 2024 लोकसभा चुनाव में महज 5 सीट जीत पाई. वजह क्या है- वही जिसकी ओर बॉम्बे हाईकोर्ट ने इशारा किया, ये लोग पहलगाम भूल जाते हैं और गाजा याद रखते हैं. ये लोग विदेशी मुद्दे पर देश का चुनाव लड़ते हैं, ये लोग गाजा प्रेम को ही शायद देश प्रेम समझ बैठे हैं.