DNA Analysis: हमारे देश में एक वर्ग ऐसा है जिसे वीर सावरकर पसंद नहीं आते. ये वही लोग हैं जिन्हें कांवड़ यात्रियों के लिए दी जाने वाली सुविधाएं पसंद नहीं आती. ऐसे लोग कांवड़ की तुलना नमाज से करके अलग एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं.
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DNA Analysis: हमारे देश में एक वर्ग ऐसा है जिसे वीर सावरकर पसंद नहीं आते. ये वही लोग हैं जिन्हें कांवड़ यात्रियों के लिए दी जाने वाली सुविधाएं पसंद नहीं आती. ऐसे लोग कांवड़ की तुलना नमाज से करके अलग एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं.अगर आपने गौर किया हो तो बीते 24 घंटे में एक विवाद बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है.एक शिक्षक की कावड़ विरोधी कविता के वायरल होने के बाद कांवड़ के विरुद्ध कुंठा क्लब काफी एक्टिव हो गया है.
इस कुंठा क्लब को कांवड़ यात्रा काफी ज्यादा चुभ रही है. इस कुंठा क्लब के कैप्टन तो कविता वाले शिक्षक बने, लेकिन कांवड़ के विरोध का झंडा अब नेता और मौलाना भी उठा रहे हैं. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना कौसर हयात खान को भी कांवड़ यात्रा चुभने लगी है. कांवड़ को लेकर इन लोगों के मन में कौन सी कुंठा है आज हम उसका विश्लेषण करने वाले हैं. दिग्विजय सिंह ने आज का फेसबुक पर एक पोस्ट किया.
दिग्विजय सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर दो तस्वीरें शेयर की हैं. तस्वीर में एक तरफ भगवा रंग के साथ लिखा है कांवड़ और दूसरी तरफ हरे रंग में नमाज लिखा है. इस तस्वीर के साथ लिखा है 'एक देश दो कानून'. इस तस्वीर के जरिए दिग्विजय सिंह क्या कहना चाहते हैं और इसके जरिये वो क्या नैरेटिव सेट करना चाहते हैं इसे डीकोड करना जरूरी है. दिग्विजय सिंह ने इस पोस्ट में कांवड़ यात्रा और नमाज की तुलना की है लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि क्या इन दो अलग अलग चीजों को एक ही पैमानो पर तोलना जायज है.
कांवड़ यात्रा साल में एक बार निकलती है लेकिन नमाज दिन में पांच बार होती है. कांवड़ यात्रा के लिए साल में सिर्फ 30 दिन ट्रैफिक डायवर्ट की जाती है तो क्या दिग्विजय इसी तरह से दिन में पांच वक्त की नमाज के लिए पांच बार ट्रैफिक डायवर्ट करने की वकालत कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह ने इस पोस्ट में जो दो तस्वीरें लगाई हैं उनके पीछे शायद एक एजेंडा छिपा है. इस पोस्ट में एक तरफ सड़क किनारे कांवड़ रखे हुए हैं और दूसरी तरफ नमाज पढ़ते वक्त एक युवक के साथ पुलिस अधिकारी आपत्तिजनक व्यवहार कर रहा है. क्या इन दोनों तस्वीरों के जरिये दिग्विजय सिंह किसी खास धर्म को भड़का रहे हैं. इनके पोस्ट की दोनों तस्वीरों की कहानी अगर आपको पता चलेगी तो आप भी समझ जाएंगे की इनका एक देश दो कानून वाला ये पोस्ट सिर्फ एक प्रोपेगेंडा है.
| कांवड़ पर 'एक देश, 2 कानून' किसे दिखा? सनातनी त्योहारों पर ही सेलेक्टिव सोच क्यों? @RahulSinhaTV pic.twitter.com/HIr4L2Ton0
— Zee News (@ZeeNews) July 16, 2025
श्रावण मास में कांवड़ रूट पर जगह जगह पुलिस ने ऐसे कॉरिडोर बनाएं हैं जहां से कांवड़िये गुजरते हैं. कहीं-कहीं रुककर विश्राम भी करते हैं. वहीं दूसरी तस्वीर में नमाज पढ़ते वक्त एक नमाजी को पुलिस अधिकारी पीटता हुआ दिखाई दे रहा है. ये तस्वीर मार्च 2024 की हैं जब दिल्ली के त्रिलोकपुरी में एक पुलिस अधिकारी ने सड़क पर नमाज पढ़ते एक शख्स के साथ दुर्व्यवहार किया था. इस पुलिस अधिकारी को तत्काल सस्पेंड कर दिया था. पुलिस अधिकारी पर कानूनी कार्रवाई हुई थी.
साफ है कि इस तस्वीर को शेयर करना दिग्विजय सिंह की कुंठा है क्योंकि अगर तुलना ही करनी है तो साल में एक बार निकलने वाली कांवड़ यात्रा की तुलना मुहर्रम में निकलने वाले ताजिये से करें. शब-ए-बारात पर निकलने वाले जुलूस से करें. जिस तरह कांवड़ यात्रा के लिए अलग से इंतजाम किए जाते हैं. मुस्लिम आयोजनों के लिए भी ऐसे ही इंतजाम होते हैं. ट्रैफिक को डायवर्ट किया जाता है. सड़कों को बंद किया जाता है लेकिन वो तस्वीरें इन्हें नहीं दिखती है. तब वो टू विंडो वाली ऐसी पोस्ट नहीं करते हैं. इनकी सेलेक्टिव सोच सिर्फ सनातन पर ही सवाल खड़े करती है. दिग्विजय सिंह ने एक देश दो कानून की बात कर के एक राजनीतिक बहस भी छेड़ दी है. कोई उनका समर्थन कर रहा है तो कोई उन्हें आइना दिखा रहा है.
आपने महसूस किया होगा कि जब जब सनातन का कोई बड़ा त्योहार आता है. कुंठा क्लब एक्टिव हो जाता है. होली, दिवाली, महाशिवरात्री, नवरात्री, महाकुंभ, हर बार हर सनातनी त्योहार पर कुंठित मानसिकता वाले लोग सामने आते हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान भी यही हो रहा है. इसी कुंठा क्लब के एक और सदस्य हैं मौलाना कौसर हयात. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना कौसर हयात खान ने गृहमंत्री को एक पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने कांवड़ यात्रा के दौरान कानून और शांति व्यवस्था के लिए लगाई गई सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं. अमित शाह को लिखे पत्र में इन्होंने सरकारों पर भेदभाव का आरोप लगाया है, कौसर हयात ने कावड़ियों से जनता को खतरा करार दिया है.
मौलाना कौसर हयात को आपत्ति किस बात पर है. उत्तराखंड और यूपी पुलिस कांवड़ियों को सुरक्षा दे रही है. कह रहे हैं हजारों पुलिसवाले तैनात किए जा रहे हैं. महिला पुलिस की तैनाती की गई है..कौसर हयात खान ये आरोप लगा रहे हैं कि कांवड़ियों की भेष में जो लोग हुड़दंग कर रहे हैं उनपर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. कौसर हयात उस घटना का जिक्र कर रहे हैं जब मेरठ में स्कूल बस के साथ तोड़फोड़ की गई थी. मौलाना साहब अगर कट्टरपंथ और कुंठा क्लब वाला चश्मा उतार कर देखें तो पता चल जाएगा की इन सभी लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है. हरिद्वार में भी कुछ इसी तरह से दुकान में तोड़फोड़ करने वाले आरोपियों को हरिद्वार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
मौलाना साहब को ये सब या तो दिखता नहीं है या फिर वो जानबूझकर इसे नजरअंदाज करते हैं. कांवड़ यात्रा और कांवड़ियों पर ऊंगली उठाने वाले मौलाना कौसर हयात को वो घटना भी याद नहीं होगी जब उस्मान ने कांवड़ियों पर थूक दिया था. मौलाना कौसर हयात अपने बयान में कांवड़ियों पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन सवाल तो इनसे है कि जब मुहर्रम के जुलूस में जब हुड़दंग हुआ. तब गृहमंत्री को पत्र लिखा था? शब ए बारात पर जब शहर शहर हुड़दंग हुआ तब मौलाना कौसर हयात कहां थे? मुस्लिम त्योहारों पर जब सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे तब क्या मौलाना साहब सो रहे थे? न्यूजमित्रों आपने साइंस की क्लास में एक शब्द पढ़ा होगा HIBERNATION यानी शीतनिद्रा, कांवड़ विरोधी या यूं कहें सनातन विरोधी कुंठा क्लब के ये मेंबर्स पूरे साल शीतनिद्रा में रहते हैं लेकिन जब भी सनातनी त्योहार आता है. इनकी कुंठा इनके बयानों और पोस्ट के जरिये बाहर आ जाती है.