DNA: ह्यूमन राइट्स वॉच को क्यों खटक रहा घुसपैठियों पर एक्शन? क्या मजहब देखकर जागते हैं मानवाधिकार के 'ठेकेदार'?
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DNA: ह्यूमन राइट्स वॉच को क्यों खटक रहा घुसपैठियों पर एक्शन? क्या मजहब देखकर जागते हैं मानवाधिकार के 'ठेकेदार'?

DNA Analysis: कुछ ऐसे ग्रुप ऐसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भी हैं जो भारत की प्रतिष्ठा पर दाग लगाने के लिए अवसर की तलाश में रहते हैं. अमेरिका में बैठकर पूरी दुनिया को मानवाधिकार का ज्ञान देने वाला ह्यूमन राइट्स वॉच ऐसा ही एक संगठन है.

DNA: ह्यूमन राइट्स वॉच को क्यों खटक रहा घुसपैठियों पर एक्शन? क्या मजहब देखकर जागते हैं मानवाधिकार के 'ठेकेदार'?

DNA Analysis: इन लेफ्ट पार्टियों की तरह ही कुछ ऐसे ग्रुप ऐसे अंतरराष्ट्रीय संगठन भी हैं जो भारत की प्रतिष्ठा पर दाग लगाने के लिए अवसर की तलाश में रहते हैं. अमेरिका में बैठकर पूरी दुनिया को मानवाधिकार का ज्ञान देने वाला ह्यूमन राइट्स वॉच ऐसा ही एक संगठन है. कहने को तो ये मानवाधिकार से जुड़ा संगठन है लेकिन इसकी सोच भारत विरोधी है. भारत में अवैध घुसपैठ करने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर हो रही कार्रवाई पर ह्यूमन राइट्स वॉच को तकलीफ हो रही है. भारत विरोधी एजेंडा चलानेवाले इस संगठन का कहना है कि घुसपैठियों को निकालने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है.

मजहब देखकर लोगों को निकाला जा रहा है। बंगाली मुसलमानों को मनमाने तरीके से भारत से निकाला जा रहा है और ये कार्रवाई राजनीतिक समर्थन जुटाने के लिए हो रही है. ये सारे दावे कौन कर रहा है? अमेरिकी ब्रेड पर पलने वाला ह्यूमन राइट्स वॉच. सबसे पहले तो इस कथित मानवाधिकार संगठन को ये बताना चाहिए कि आखिर घुसपैठिए किस उचित प्रक्रिया का पालन कर भारत में घुसे थे. मित्रों, रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर में 2 करोड़ से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं. ये घुसपैठिए देश के संसाधनों पर दबाव बढ़ा रहे हैं. इन घुसपैठियों की वजह से आम भारतीयों को मिलनेवाली सुविधाएं कम हो रही हैं. रोजगार पर असर पड़ रहा है लेकिन ये कथित मानवाधिकार संगठन भारत के एक्शन पर सवाल उठा रहा है. इसकी वजह भी आज आपको समझनी चाहिए. 

 

इस कथित मानवाधिकार संगठन की स्थापना सोवियत संघ के मानवाधिकार उल्लंघनों पर निगरानी के लिए हुआ था. यानी इसका मकसद ही किसी खास देश की छवि को दागदार करना था जॉर्ज सोरस ह्यूमन राइट्स वॉच के दानदाताओं में प्रमुख हैं. जॉर्ज सोरस का नाम हिंदुस्तान के खिलाफ एजेंडा चलाने में शीर्ष में आता है. अब आप सोच सकते हैं कि इस संगठन का रुख भारत विरोधी क्यों हैं? मित्रों मानवाधिकार के नाम पर अपना कारोबार चलानेवाले इन संगठनों को क्या आपने कभी किसी आतंकी घटना पर खुलकर बोलते सुना है. क्या आपने कभी सुना है कि ऐसे संगठनों ने कभी सुरक्षाबलों या आम लोगों पर हुए आतंकी हमलों को लेकर कोई रिपोर्ट बनाई हो. 

आज हम आपको बताना चाहेंगे कि मानवाधिकार पर रिपोर्ट जारी करने के बहाने पत्थरबाजों पर हुई कार्रवाई को लेकर ह्यूमन राइट्स वॉच तो रिपोर्ट जारी करता है लेकिन आतंकी हमले पर उस तरह से रिपोर्ट नहीं आती. ह्यूमन राइट्स वॉच ने 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करनेवाला कोई बयान भी नहीं दिया. 2016 के उरी आतंकी हमले और 2019 के पुलवामा आतंकी हमले की भी ह्यूमन राइट्स वॉच ने सीधे तौर पर निंदा नहीं की. मित्रों इन कथित मानवाधिकार संगठनों की सलेक्टिव सोच को समझिए. ये संगठन वही मुद्दे चुनते हैं जिससे भारत की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए जा सके. इन्हें आतंकियों की हिंसा नहीं दिखती, इन्हें सिर्फ सुरक्षाबलों की कार्रवाई दिखती है. 

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