फांसी की सजा टली पर खड़ी है एक और मुसीबत...क्या है अल्लाह का किसास कानून? जिस पर टिकी है निमिषा की जिंदगी
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फांसी की सजा टली पर खड़ी है एक और मुसीबत...क्या है अल्लाह का किसास कानून? जिस पर टिकी है निमिषा की जिंदगी

Nimisha Priya case: केरल में जन्मी निमिषा प्रिया यमन में मौत की सजा काट रही हैं. 16 जुलाई को उन्हें फांसी दी जाने वाली दी लेकिन इसे अब टाल दिया गया है. हालांकि अब निमिषा का भविष्य काफी हद तक किसास पर टिका है, जानिए ये क्या है?

फांसी की सजा टली पर खड़ी है एक और मुसीबत...क्या है अल्लाह का किसास कानून? जिस पर टिकी है निमिषा की जिंदगी

Nimisha Priya case: केरल में जन्मी निमिषा प्रिया यमन में मौत की सजा काट रही हैं. 16 जुलाई को उन्हें फांसी दी जाने वाली दी लेकिन इसे अब टाल दिया गया है. यमन सरकार के इस फैसले से निमिषा प्रिया को थोड़ी बहुत राहत मिली है लेकिन पीड़ित परिवार पीछे हटने का नाम ही नहीं ले रहा है जिसकी वजह माहौल फिर से तनावपूर्ण हो गया है. यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के परिवार वालों ने साफ कह दिया है कि वो ‘अल्लाह का किसास कानून’के अलावा कोई दूसरी बात नहीं मानेंगे, उन्हें  ‘खून के बदले खून’चाहिए. ऐसे में अब निमिषा प्रिया का भविष्य किसास पर टिका है, ये क्या है और इसका विधान क्या है जानते हैं. 

क्या है किसास? 
यह पहली बार नहीं है जब किसास चर्चाओं में आया है. किसास इस्लामिक शरीयत कानून की एक मूल अवधारणा है. इसके मुताबिक अगर आपने किसी की जान ली है तो उसकी भी जान ली जा सकती है. यानि की आपको आपके अपराध के हिसाब से सजा मिलनी चाहिए, इसे सरल शब्दों में 'बराबरी का जवाब' करते हैं. जैसे आप पर कोई हमला करता है तो आपको भी उसी अंदाज में जवाब देना चाहिए, न उससे कम और न ही उससे ज्यादा. इसका जिक्र कुरान की सूरह अल- बकरा में भी मिलता है. 

बचने का है तरीका
हालांकि यह कानून सिर्फ बदला लेने का नहीं है बल्कि यह न्याय का एक तरीका भी माना जाता है, हालांकि इसमें एक और विकल्प दिया गया है जिसे 'दिया' या ब्लड मनी कहते हैं. इसके मुताबिक पीड़ित परिवार चाहें तो आपको माफी दी जा सकती है लेकिन इसके बदले में एक निश्वित मुआवजा देना होगा. हालांकि निमिषा प्रिया के लिए ये रास्ते बंद नजर आ रहे हैं क्योंकि पीड़ित परिवार प्रतिशोध की भावना से भरा हुआ है. बता दें कि सऊदी अरब, ईरान, पाकिस्तान, सूडान, यमन, अफ़ग़ानिस्तान (तालिबान शासन के अधीन) और नाइजीरिया के कुछ हिस्से शामिल हैं जहां शरिया कानून लागू है. 

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