DNA Analysis: भारत में हर दिन गड्ढे से 10 लोगों की मौत होती है. लेकिन पुणे के देहू-येलवाड़ी रोड में 3 घंटे में एक ही जगह 10 बाइक सवार गड्ढों का शिकार हो गए. एक ही सड़क, एक ही जगह और एक के बाद एक बाइक सवार आता है और गिरता चला जाता है. सीसीटीवी में सारी तस्वीरें रिकॉर्ड होती जाती हैं और तेजी से ये तस्वीरें वायरल भी होती रहती हैं.ं
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DNA Analysis: एक तरह हमारा देश कामयाबी की ऊंचाइयों को छू रहा है, दूसरी तरफ कुछ ऐसी भी घटनाएं हो रही हैं जो ये कहने पर मजबूर करती हैं कि देश गड्ढे में जा रहा है. वैज्ञानिक और इंजीनियर जहां देश को ऊंचाइयों में ले जा रहे हैं तो कुछ भ्रष्ट अधिकारी देश को गड्ढे में गिरा रहे है. गड्ढों से जुड़ी आज हमारे पास तीन बड़ी खबरें हैं, जो आपको जरूर जानना चाहिए. गड्ढा आपके शहर, आपके कस्बे, आपके गांव, आपकी गली और घर से गुजरने वाली सड़क से जुड़ी समस्या है.
भारत में हर दिन गड्ढे से 10 लोगों की मौत होती है. लेकिन पुणे के देहू-येलवाड़ी रोड में 3 घंटे में एक ही जगह 10 बाइक सवार गड्ढों का शिकार हो गए. एक ही सड़क, एक ही जगह और एक के बाद एक बाइक सवार आता है और गिरता चला जाता है. सीसीटीवी में सारी तस्वीरें रिकॉर्ड होती जाती हैं और तेजी से ये तस्वीरें वायरल भी हो जाती हैं. लेकिन ये तस्वीरें न तो सड़क परिवहन विभाग के किसी अधिकारी को दिखाई देती है, न ट्रैफिक कंट्रोल करने वाला विभाग किसी को इसकी सूचना देता है और न ही स्थानीय पुलिस प्रशासन से कोई हरकत दिखाई देती है. यह कोई पहली बार नहीं हुआ है. ऐसा अक्सर होता है. जब तक सोशल मीडिया में भरपूर किरकिरी नहीं हो जाती, तब तक भ्रष्टाचार का यह गड्ढा नहीं भरता है.
दरअसल, यहां गड्ढों में मिट्टी भरी जा रही थी. इसे आप यूं समझिए कि गड्ढों को भरने की खानापूर्ति की जा रही थी. इसी दौरान बारिश हुई। इसके बाद सड़क पर फिसलन हो गई. और फिसलन वाली जगह से निकलने वाले बाइक सवार हादसे के शिकार होते गए.
#DNAWithRahulSinha | गड्ढे से कोई मरेगा तो मर्डर का चार्ज लगेगा? गड्ढे पर 'हत्या वाले मुकदमे' का विश्लेषण#DNA #RoadSafety #Roads @RahulSinhaTV pic.twitter.com/dNTtEFHHdr
— Zee News (@ZeeNews) July 17, 2025
भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में औसतन डेढ़ लाख से पौने दो लाख लोगों की मौत होती है. अगर दिन का औसत निकालें तो हर दिन साढ़े चार सौ से पांच सौ और हर घंटे करीब 20 मौतें होती हैं. यानी भारत में आकस्मिक चोटों से होने वाली मृत्यु का सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटनाएं हैं.
इनमें से 44 फीसदी मामलों में मौत की वजह सड़क दुर्घटनाएं हैं. यानी आकस्मिक चोटों से अगर 100 लोगों की मौत हो रही है तो उनमें से 44 लोग सड़क दुर्घटनाओं से मर रहे हैं. और ये आंकड़े कोई हमारे दिए हुए नहीं हैं. ये आंकड़े NCRB यानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो और MoRTH यानी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के दिए हुए हैं. ऐसे में सड़कों पर गड्ढों का होना और गड्डे होने के बाद उन्हें उसी हाल में छोड़ देने की लापरवाही को हम लापरवाही नहीं, 'मर्डर' कहेंगे. और यह हम यूं ही नहीं कह रहे हैं। गुजरात के वलसाड में इससे जुड़ा आदेश भी दे दिया गया है.
वलसाड जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर गड्ढे के कारण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर अब वलसाड जिला कलेक्टर ने ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ हत्या के अपराध में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. यानी गड्ढों की वजह से मौत होगी तो मर्डर का केस चलेगा.
इसी महीने की शुरुआत में ग्वालियर के चेतकपुरी रोड के गड्ढे देश भर में चर्चा का विषय बने थे. 18 करोड़ का यह प्रोजेक्ट किस तरह से गड्ढे में चला गया आप सबने देखा था. 16 दिन के अंदर ये सड़क 8 बार धंसी थी. इसके बाद आपने गुरुग्राम के पेरिफेरल रोड को भी धंसते हुए देखा। इस गड्ढे में शराब से भरी पूरी की पूरी ट्रक गिर गई थी.
अभी दो दिनों पहले आपने देखा कि कानपुर में किस तरह पुलिस की गाड़ी नगर निगम के भ्रष्टाचार का शिकार हुई. लोगों की मदद से इसे बाहर निकाला जा सका. इन तस्वीरों को देखकर आप समझ सकते हैं कि ये गड्ढे कितने खतरनाक और जानलेवा हैं.
इन गड्ढों को लेकर कुछ रोचक जानकारियां हैं जो आपको पता होनी चाहिए. देश में हर साल गड्ढों से होने वाली मृत्यु की संख्या करीब 1400 से 2000 है. गड्ढों के कारण होने वाली मौतों का प्रतिशत कुल सड़क दुर्घटना मौतों का 1 से 1.5 फीसदी रहा है, जो पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रहा है, लेकिन 2021-2022 में इसमें बढ़ोत्तरी देखी गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कोविड में लगे लॉकडाउन खत्म होने के बाद सड़कों पर आवाजाही अचानक तेजी से बढ़ी थी.
उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सड़क दुर्घटनाओं और गड्ढों से होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक है. इन गड्ढों का खौफ कितना है इसी से समझा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट तक को यह कहना पड़ा था कि 'देश में इतने लोग सीमा पर या आतंकी हमलों में नहीं मरते जितने सड़कों पर गड्ढों की वजह से मर जाते हैं.'
इन गड्ढों को भरने में हर साल हजारों नहीं, लाखों-लाखों भी नहीं करोड़ों का खर्च होता है. लेकिन भ्रष्टाचार का ये गड्ढा नहीं भरता है. वर्ष 2020-21 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 13 हजार किलोमीटर सड़क निर्माण और मरम्मत पर लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। इसमें गड्ढों की मरम्मत का हिस्सा भी शामिल है. वर्ष 2021-22 में दुर्घटना की आशंकाओं वाली 726 सड़कों की मरम्मत के लिए 11,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए. इसमें गड्ढे भरना भी शामिल है। इसके अलावा PMGSY के तहत ग्रामीण सड़कों की मरम्मत पर अलग से खर्च हुआ.
वर्ष 2022-23 में सड़क निर्माण की गति 24 किलो मीटर प्रतिदिन हो गई। खर्च भी इसी हिसाब से बढ़ा. कुल बजट का एक हिस्सा रखरखाव और गड्ढों की मरम्मत पर रखा गया. वर्ष 2023-24 में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों के आधार पर, मरम्मत और रखरखाव पर खर्च और बढ़ा. गड्ढों के लिए अलग से कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
अगर हम सड़क दुर्घटनाओं में दुनिया के बाकी देशों से भारत की तुलना करें तो यहां हर 10 हजार किलोमीटर पर 250 लोगों की मौत होती है. इतनी ही दूरी में चीन में 119 लोगों की मौत होती है. इसके बाद अमेरिका का नंबर आता है. अमेरिका में हर 10 हजार किलोमीटर की सड़क पर 57 लोगों की मौत हो जाती है. ऑस्ट्रेलिया में हर 10 हजार किलोमीटर पर मरने वाले लोगों की संख्या 11 हैं. यानी इन देशों के मुकाबले हर 10 हजार किलोमीटर पर होने वाली मौत की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है.
अब सवाल ये उठता है कि अगर आप अपने गली-मोहल्लों की सड़क में कोई गड्ढा देखें तो उसकी शिकायत कैसे करें और किससे करें? तो इसका समाधान है- Sameer ऐप. Sameer ऐप भारत सरकार के Central Pollution Control Board ने तैयार किया है. यह ऐप पहले तो सिर्फ एयर पॉल्यूशन और Air Quality Index को नापने के लिए बनी थी, लेकिन अब इसमें टूटी सड़कों और गड्ढों की शिकायत दर्ज कराने का विकल्प भी जोड़ा गया है. इस ऐप को डाउनलोड करने के बाद आपको Complaint के सेक्शन दिखेगा. यहां आप अपनी शिकायत और गड्ढे की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं. शिकायत दर्ज होने के बाद एक रजिस्ट्रेशन नंबर मिलेगा जिससे आप अपनी शिकायत को ट्रैक कर सकते हैं. लेकिन ये सब करने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, जब तक सिस्टम का जो गड्ढा है, वो नहीं भरेगा. फिर भी, उम्मीद पर दुनिया कायम है.