Best Fighter Jets in World: लोगों के अंदर दिलचस्पी बढ़ी है कि पांचवीं पीढ़ी के किस फाइटर जेट से भारतीय वायुसेना को लैस किया जाएगा. अगर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की बात करें तो इस वक्त दुनिया में सिर्फ दो देशों के पास ऐसे फाइटर जेट्स हैं.
Trending Photos
5th Generation Fighter Jet: भारतीय वायुसेना के लिए पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट्स खरीदने पर जल्द कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है. कयास ये भी हैं कि मिग-21 के रिटायर होने के बाद भारत 40 नए फाइटर जेट खरीद सकता है, जो पांचवीं पीढ़ी के ही होंगे और कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि इस डील के लिए भारत किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहेगा. यानी अलग-अलग देशों से फाइटर जेट खरीदने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा है.
दो देशों के पास हैं 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान
अब लोगों के अंदर दिलचस्पी बढ़ी है कि पांचवीं पीढ़ी के किस फाइटर जेट से भारतीय वायुसेना को लैस किया जाएगा. अगर पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की बात करें तो इस वक्त दुनिया में सिर्फ दो देशों के पास ऐसे फाइटर जेट्स हैं. पहला है रूस जिसने सुखोई-57 को विकसित कर लिया है. दूसरा है अमेरिका, जिसका F-35 लाइटनिंग अमेरिका समेत कुछ नाटो देशों की वायुसेनाओं का हिस्सा बन चुका है. भारत के लिए इन जेट्स की डील करना बहुत मुश्किल नहीं है. चलिए पहले आपको इन विमानों की खासियतों के बारे में बता देते हैं.
रूस के विमान की खासियतें
रूस का सुखोई-57 पांचवीं पीढ़ी के विमानों की लिस्ट में लेटेस्ट एंट्री है. ये विमान स्टेल्थ तकनीक से लैस है यानी राडार के लिए विमान का पता लगाना मुश्किल होता है. सुखोई-57 की रेंज तकरीबन 2 हजार किलोमीटर है और इसकी रफ्तार है मैक 2 यानी आवाज से दोगुनी है. दावा किया जाता है कि ये विमान 9 G यानी गुरुत्वाकर्षण की ताकत से 9 गुना तक ऊपर जा सकता है.
कहा जा रहा है कि भारत अलग-अलग देशों से पांचवीं पीढ़ी के विमान ले सकता है. संभव है कि भारत कुछ विमान रूस से तो कुछ अमेरिका से भी खरीदे. इसी वजह से इन चर्चाओं में F-35 का भी नाम शामिल है. अब जानिए अमेरिकी विमान से जुड़ी जरूरी बातें.
कैसा है अमेरिका का एफ-35
स्पीड के मामले में ये विमान रूस के सुखोई से थोड़ा पीछे है. F-35 की अधिकतम गति मैक 1.6 तक ही जाती है. इस विमान की रेंज की बात करें तो वो है 1092 किलोमीटर. अमेरिका का पांचवीं पीढ़ी का विमान भी स्टेल्थ तकनीक से लैस है. यानी राडार के जरिए इस विमान का पता लगाना भी काफी मुश्किल है.
इस संभावित डील में भारत के पास UPPER HAND भी माना जा रहा है. इसकी वजह है पांचवीं पीढ़ी के विमानों को लेकर रूस और अमेरिका के वो ऑफर, जो भारत के सामने रखे गए हैं. अब वो ऑफर भी जान लीजिए.
दोनों देशों ने क्या ऑफर दिए?
रूस के ऑफर में कहा गया है अगर भारत सुखोई-57 खरीदता है तो रूस से भारत को सुखोई-57 के साथ ही साथ सुखोई-35 की तकनीक और निर्माण का लाइसेंस भी मिलेगा. दूसरी तरफ अमेरिका से संकेत मिले हैं कि अगर भारत ने F-35 खरीदे तो टैरिफ डील में भारत को अमेरिका से बड़ा फायदा मिल सकता है.
डील दोनों तरफ से मिली हैं. लेकिन भारत सोच समझकर ही फैसला लेगा क्योंकि सुखोई-57 और F-35 के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं. F-35 आज दुनिया की तकरीबन 10 नौसेनाओं का हिस्सा बना हुआ है लेकिन इस विमान में तकनीकी खराबी और क्रैश होने की घटनाएं कई बार सामने आ चुकी हैं. दूसरी तरफ सुखोई-57 को सिर्फ यूक्रेन युद्ध में कुछ मौकों पर इस्तेमाल किया गया है. इसी वजह से रूसी विमान की भी पूरी टेस्टिंग नहीं हो पाई है. अब भारत किस डील पर किस दिशा में आगे बढ़ेगा. ये भारत सरकार और एयरफोर्स का फैसला ही बताएगा.