Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं. विपक्ष इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. इस्तीफे की बड़ी वजह अब कैशकांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की जानकारी बीजेपी से साझा न करना इसका बड़ा कारण माना जा रहा है.
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Vice President: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे देश की राजनीति को अचानक से झकझोर दिया है. सभी धनखड़ के इस अप्रत्याशित फैसले से सन्न हैं. वहीं विपक्ष इस इस्तीफे पर कल रात से कई अटकलें लगा रहा है. अब सियासी गलियारे से छन कर जो खबरें सामने आ रही है, उसके अनुसार कैशकांड में घिरे Justice Yashwant Verma के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का उच्च सदन में आना और उसकी कोई सूचना सत्ता पक्ष को पहले से न होना धनखड़ के इस्तीफे की बड़ी वजह है.
जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव की बात BJP से छिपाई!
दरअसल, सोमवार को जब सभापति जगदीप धनखड़ ने उच्च सदन में बताया कि उन्हें जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव मिला है तो सरकार के लिए बड़ी असहज स्थिति हो गई. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक धनखड़ ने विपक्ष की ओर से प्रस्ताव आने के बारे में सरकार को कुछ भी नहीं बताया. इधर सत्ता पक्ष का मानना है कि अगर उन्हें पहले से इसकी जानकारी होती तो उनके भी सांसद प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करते. यही बात कई सांसदों को अखर गई.
हाथ मलते रह गई BJP
जस्टिस वर्मा के खिलाफ राज्य सभा में प्रस्ताव लाने की बात धनखड़ के छुपा लेने से सरकार के हाथ से एक बड़ा मौका निकल गया, क्योंकि सरकार इस मुद्दे को लोकसभा में लाना चाहती थी. इसके लिए सरकार ने विपक्ष को भी इस मुद्दे पर साध लिया था. लोकसभा में प्रस्ताव लाने के लिए बाकायदा विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर भी करा लिए गए थे. लेकिन धनखड़ ने सदन में आते ही प्रस्ताव लाने का ऐलान कर दिया और सत्ता पक्ष हाथ मलते रह गया.
मोदी ने की मंत्रणा, राजनाथ को मिली जिम्मेदारी
सदन की कार्यवाही पूरी होने के फौरन बाद बीजेपी अलर्ट हो गई और डैमेज कंट्रोल में जुट गई. फौरन पीएम मोदी ने अपने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंत्रणा की. रक्षामंत्री राजनाथ को जिम्मा सौंपा गया. राजनाथ ने राज्यसभा के सभी सांसदों को अपने कक्ष में बुलाया. 10-10 सांसदों के ग्रुप को कमरे में बुलाया गया. सभी से एक प्रस्ताव पर साइन करने को कहा गया. इसके बाद सहयोगी दल के सांसदों से भी ऐसा ही करने को कहा गया. साथ भी सभी सांसदों का ताकीद दी गई कि इस बारे में बाहर किसी भी प्रकार की चर्चा न करें. राजधानी में अगले 4 दिनों तक डटे रहने का भी सभी सांसदों को फरमान सुना दिया गया.
धनखड़ ने इस्तीफा देकर पहले ही कर दिया धमाका!
उधर धनखड़ पहले से तय अपने कार्यक्रम के मुताबिक काम कर रहे थे. सभी दलों के सांसदों से मुलाकात और बैठकों का दौर चल रहा था. सरकार ने तभी धनखड़ से बातचीत की और अपनी मंशा जताई. इसके बाद रात में ही धनखड़ ने इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया. उधर बीजेपी खेमे में वरिष्ठ मंत्री भी बताने लगे कि किन-किन मौकों पर उप राष्ट्रपति के कारण उन्हें असहज स्थिति का सामना करना पड़ा. ये नौबत शर्मिंदगी उठाने तक आई.
घनश्याम तिवारी ने संसद को दी इस्तीफे की जानकारी
आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. गृह मंत्रालय की ओर से जल्द ही इस पर आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. राज्यसभा की कार्यवाही जब चल रही थी, उसी वक्त इसका ऐलान किया गया. सभापति की कुर्सी पर बैठे भाजपा सांसद घनश्याम तिवारी ने बताया कि उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67ए के तहत तुरंत प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले दिन में पीएम नरेंद्र मोदी ने धनखड़ को शुभकामनाएं दीं.
धनखड़ ने मार्गरेट अल्वा को बड़े अंतर से हराया था
भाजपा ने 16 जुलाई 2022 को एनडीए की ओर से धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था. धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को बड़े अंतर से हराया था. यह 1992 के बाद सबसे बड़ा जीत का अंतर था. अब चुनाव आयोग के पाले में गेंद है. वही तय करेगा कि कब ये चुनाव होगा.