कम नंबर आना किसी की नाकामी नहीं है, बल्कि एक मौका है ये समझने का कि सुधार की जरूरत कहां है. माता-पिता का धैर्य और बेहतर रवैया ही बच्चे को आगे बढ़ने का हौसला दे सकता है.
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Parenting Tips: जब बच्चों के एग्जाम रिजल्ट आते हैं और उम्मीद से कम मार्क्स आते हैं, तो कई बार माता-पिता निराश हो जाते हैं और गुस्से में बच्चे को डांट देते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस गुस्से का बच्चे के मन और कॉन्फिडेंस पर क्या असर पड़ता है? कम नंबर आने पर डांटने या सजा देने के बजाय अगर पैरेंट्स समझदारी से पेश आएं, तो बच्चा बेहतर तरीके से आगे बढ़ सकता है और उसका भविष्य संवर सकता है.
1. बच्चे को सुनें, न कि सिर्फ सुनाएं
सबसे पहले बच्चे से शांत मन से बात करें. उससे पूछें कि उसे किस सब्जेक्ट में दिक्कत आई? क्या वो खुद अपने परफॉर्मेंस से खुश है? कई बार बच्चे खुद भी अपने नंबर से दुखी होते हैं. ऐसे समय में डांटना उन्हें और ज्यादा मानसिक दबाव में डाल सकता है.
2. कमियों को पहचानने में मदद करें
बजाय ये कहने के कि “तुमसे कुछ नहीं होगा”, बच्चे को ये समझाएं कि नंबर कम क्यों आए और अगली बार उसे क्या सुधार करना चाहिए. उसकी पढ़ाई की आदतें, टाइम मैनेजमेंट और कमजोर सब्जेक्ट की पहचान करने में मदद करें.
3. तुलना करने से बचें
कभी भी बच्चे की तुलना उसके दोस्तों, रिश्तेदारों या भाई-बहनों से न करें. इससे बच्चे में इनफीरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स आती है और वो खुद को दूसरों से कमजोर मानने लगता है. हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है.
4. एनकरेज करें
कम मार्क्स के बावजूद बच्चे की मेहनत की सराहना करें. उसे ये महसूस कराएं कि आप उसके साथ हैं. पॉजिटिव माहौल में बच्चा दोबारा कोशिश करने का कॉन्फिडेंस पाता है.
5. एक्शन प्लान बनाएं
बच्चे के साथ मिलकर एक पढ़ाई का शेड्यूल बनाएं, जरूरत हो तो ट्यूटर की मदद लें, और रेगुलर प्रोग्रेस को एनालाइज करें. जब बच्चा देखेगा कि उसके माता-पिता उसकी मदद कर रहे हैं, तो वो और भी एनकरेद होगा.