क्यों बच्चों के लिए सजा बन जाता है PTM? माता-पिता ध्यान दें! आपकी कही ये बातें आपके लाडले को बना रही कमजोर
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क्यों बच्चों के लिए सजा बन जाता है PTM? माता-पिता ध्यान दें! आपकी कही ये बातें आपके लाडले को बना रही कमजोर

Parenting Tips: PTM बच्चे और पैरेंट की स्कूल में एक मीटिंग होती है, जहां बच्चे की पढ़ाई, व्यवहार और ग्रोथ पर बातें होती हैं. लेकिन कई बार बच्चों के लिए PTM सजा बन जाती है. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि PTM माता-पिता को कैसी बातें नहीं करनी चाहिए. 

 

क्यों बच्चों के लिए सजा बन जाता है PTM? माता-पिता ध्यान दें! आपकी कही ये बातें आपके लाडले को बना रही कमजोर

Questions Not be Asked in PTM: स्कूल में पैरेंट-टीचर मीटिंग (PTM) होती है, जहां पैरेंट और टीचर मिलकर बच्चे की पढ़ाई, व्यवहार और ग्रोथ पर बातें करते हैं. ये एक बेहतरीन तरीका है, जिसकी मदद से बच्चे की ग्रोथ अच्छी हो सकती है. लेकिन कई बार पैरेंट और टीचर, PTM में ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिससे बच्चों को PTM सजा लगने लगती है. ऐसा तब होता है, जब पैरैंट्स PTM में टीचर से बच्चों की शिकायत करते लगते हैं या ऐसे सवाल करने लगते हैं, जिससे बच्चा अनकम्फर्टेबल हो जाता है. PTM बच्चे की मेंटल हेल्थ और कॉन्फिडेंस पर बुरा असर डालती है और वह PTM से डरने लगता है. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि PTM में पैरेंट्स को कैसी बातें नहीं करनी चाहिए. 

 

घर पर बच्चा पढ़ाई नहीं करता
"मैरा बच्चा घर पर बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं करता". ये बेहद कॉमन शिकायत है, जो PTM में लगभग हर पैरेंट्स करते हैं. लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. ऐसा बोलने से बच्चे पर नेगेटिव असर पड़ता है. बच्चों को ऐसा लगता है कि उसके माता पिता उसपर विश्वास नहीं करते. इससे लंबे समय में बच्चे के कॉन्फिडेंट पर ठंस पहुंचता है. 

 

दूसरे बच्चे से तुलना
अपने बच्चों की दूसरे के बच्चों से तुलना करना बेहद गलत आदत है. लेकिन भारत में लगभग हर माता-पिता ऐसी गलती करते हैं. खासकर अगर आप दूसरों के सामने, जैसे- PTM में टीचर से सामने बच्चे को ऐसी बातें बोलते हैं. तो उन्हें बिल्कुल अच्छी नहीं लगता. ये बच्चे के मन में हीन भावना पैदा कर सकता है. इससे बच्चे के ग्रोथ पर असर पड़का है. दूसरों से तुलना करने से बच्चे की कॉन्फिडेंस पर असर पड़ता है और खुद को हमेशा पीछे समझने लगता है. 

 

बच्चे की कमजोरियों को बार-बार बोलना
हर इंसान की कमजोरी होती है. ऐसे ही आपके बच्चे की भी कुछ ताकत होगी, तो कुछ कमजोरी भी जरूर होगी. इसलिए हमेशा इस बात को याद रखें, कि बच्चे की कमजोरी, आपकी असफलता नहीं है. कई पैरेंट्स अपने बच्चों की कमजोरी को बर्दाश्त ही नहीं कर पाते हैं. वे हर हाल में चाहते हैं कि उनका बच्चा परफेक्ट हो जाएं. अब इसी परफेक्ट होने के रेस माता-पिता बच्चे की कमजोरियों को बार-बार गिनाने लगते हैं. इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है. वह शर्मिंदा महसूस करता है, उनका कॉन्फिडेंस भी खत्म हो सकता है.

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