Partition of India and Pakistan: 14 अगस्त 1947 के दिन जब धर्म के नाम पर देश का बंटवारा हुआ तो ये बंटवारा ना सिर्फ जमीन का हुआ था बल्कि सेना और चल अचल-संपत्ति भी बांटी गई थी. चलिए जानते हैं किन-किन चीजों का बंटवारा हुआ था और कैसे.
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Partition of India and Pakistan: 15 अगस्त 1947 को जहां एक तरफ भारत अंग्रेजों से मिली आजादी का जश्न मना रहा था, वहीं ठीक एक दिन पहले 14 अगस्त को हुए बंटवारे का दर्द भी झेल रहा था. 14 अगस्त को ब्रिटिश राज से आजादी तो मिली लेकिन भारत के सीने पर एक लकीर खींच दी गई और एक मुल्क का जन्म हुआ जिसका नाम है 'पाकिस्तान'. जब ये बात तय हो गई कि भारत का बंटवारा किया जाएगा तो उसके बाद ब्रिटिश वकील सर सिरिल रैडक्लिफ को ये जिम्मेदारी सौंपी गई कि आप भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा तय करें. जब ये सीमा खिंच गई और भारत और पाकिस्तान दो राष्ट्र बन गए तो उसके बाद जो सबसे बड़ा सवाल उठा वो था दोनों देशों के बीच संपत्ति और सेना का बंटवारा कैसे किया जाए. इसका समाधान ढूंढने के लिए 16 जून 1947 को पंजाब विभाजन समिति का गठन किया गया.
इसके बाद 14 अगस्त 1947 के दिन ब्रिटिश सेना ने पुरानी भारतीय सेना को खत्म करने का आदेश दिया, ये आखिरी ऑर्डर ब्रिटिश सेना ने दिया था. इस आदेश पर मेजर जनरल रेजिनाल्ड और औचिनलेक ने साइन किए थे. इस आर्डर के अनुसार पुरानी भारतीय सेना को खत्म करके सैनिकों को कहा गया था कि वे अपनी मर्जी से भारत या फिर पाकिस्तान को चुन सकते हैं.
ये थी देश चुनने की शर्त
एचएम पटेल की किताब 'राइट्स ऑफ पैसेज' के मुताबिक सेना के बंटवारे में एक शर्त रखी गई थी और वो शर्त ये थी कि पाकिस्तान का कोई भी मुस्लिम भारतीय राज्य में और भारत का कोई भी गैर मुस्लिम पाकिस्तानी सेना में शामिल नहीं होगा.
कितने सैनिक गए पाकिस्तान?
अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि पुरानी भारतीय सेना के कितने जवानों ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया और कितने जवान यहीं पर रहे. इस सवाल का जवाब 'ब्रिटेन की नेशनल आर्मी म्यूजियम' से मिलता है. ब्रिटेन की नेशनल आर्मी म्यूजियम की रिपोर्ट के अनुसार भारत पाक विभाजन के बाद दो तिहाई सैनिक भारत को मिले और एक तिहाई पाकिस्तान चले गए थे. इसके अनुसार लगभग 260,000 जवानों ने भारतीय सेना को चुना और करीब 140,000 सैनिक पाकिस्तानी आर्मी में चले गए.
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो करीब 98% मुस्लिम सैनिकों ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया था. इसके अलावा लगभग 554 मुस्लिम अधिकारियों ने भारत को ही अपना राष्ट्र माना और यहीं पर रहने का फैसला किया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के बंटवारे से पहले भारतीय सेना में करीब 36% मुस्लिम थे जो बंटवारे के बाद मात्र 2% प्रतिशत रह गए.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है.