Independence Day Facts: अंग्रेजों ने रोड रोलर से कुचला, तोप से उड़ाया... भारत का ये गांव, 71 साल तक नहीं फहराया गया तिरंगा; पढ़ें दर्दनाक कहानी
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Independence Day Facts: अंग्रेजों ने रोड रोलर से कुचला, तोप से उड़ाया... भारत का ये गांव, 71 साल तक नहीं फहराया गया तिरंगा; पढ़ें दर्दनाक कहानी

Rohnat Village Tricolor Fact: 29 मई 1857 को रोहनात के वीर ग्रामीणों ने हिसार की जेल पर हमला कर उन स्वतंत्रता सेनानियों को रिहा कर दिया जो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे थे. इस हमले में 11 ब्रिटिश अधिकारी मारे गए. इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने रोहनात पर अत्याचारों की बौछार कर दी.

 

Independence Day Facts: अंग्रेजों ने रोड रोलर से कुचला, तोप से उड़ाया... भारत का ये गांव, 71 साल तक नहीं फहराया गया तिरंगा; पढ़ें दर्दनाक कहानी

Independence Day Facts On Rohnat Village: हरियाणा के भिवानी जिले का एक साधारण सा गांव ‘रोहनात’, जो अब तक इतिहास की किताबों से गायब था साल 2020 में आठवीं कक्षा की इतिहास की किताब में शामिल किया गया. उससे पहले इस गांव में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा साल 2018 में 71 साल बाद पहली बार भारतीय झंडा फहराया गया था, क्योंकि इस गांव में सन् 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां के लोगों ने जमकर लोहा लिया था. अंग्रेजों ने इस गांव के लोगों पर खूब जुल्म ढहाये. कई स्थानीय लोगों को मौत के घाट उतार दिया क्योंकि उन्होंने संग्राम के दौरान आवाज उठाए और अंग्रेजों से मुकाबला किया.

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रोहनात के लोगों का स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान रहा है, जिसे अब तक केवल लोककथाओं और बुजुर्गों की जुबानी याद किया जाता था. रोहनात गांव का 1857 की क्रांति में योगदान नाम का अध्याय किताबों में पढ़ा जा सकता है. 

अंग्रेजों ने गांव को कैसे सजा दी?

29 मई 1857 को रोहनात के वीर ग्रामीणों ने हिसार की जेल पर हमला कर उन स्वतंत्रता सेनानियों को रिहा कर दिया जो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे थे. इस हमले में 11 ब्रिटिश अधिकारी मारे गए. इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने रोहनात पर अत्याचारों की बौछार कर दी. कई ग्रामीणों को हांसी में रोड रोलर से कुचल दिया गया जिसे आज ‘लाल सड़क’ कहा जाता है. कई महिलाओं और बच्चों ने गांव के कुएं में कूदकर जान दी ताकि वे ब्रिटिश अत्याचारों से बच सकें.

कौन-कौन सी निशानियां आज भी बताती हैं उस दौर की कहानी?

गांव में आज भी एक पुराना पीपल का पेड़ और वही कुआं मौजूद है, जहां महिलाओं और बच्चों ने आत्मबलिदान किया था. ये स्थान आज भी गांव के शौर्य और बलिदान की गवाही देते हैं. ब्रिटिश सरकार ने गांव की 20,856 बीघा कृषि भूमि नीलाम कर दी, जिसे आसपास के लोगों ने मात्र ₹8,000 में खरीद लिया. यह गांव तब से आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ गया. कई लोग शहीद कहे गए लेकिन सरकार ने कभी उन्हें आधिकारिक रूप से ‘स्वतंत्रता सेनानी’ नहीं माना.

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रोहनात ने कभी स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया था. पहली बार 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गांव में तिरंगा फहराया. यह उन शहीदों को सम्मान देने की शुरुआत थी जिनकी गाथा अब तक अनसुनी थी. गांव की सरपंच रहीं रीनू बोरा ने कहा था कि हमने पीढ़ियों तक शौर्य की कहानियां सुनाई हैं, अब पूरा प्रदेश जानेगा कि एक छोटे से गांव ने 1857 की क्रांति में क्या किया था. इस ऐतिहासिक अन्याय की भरपाई हो रही है और यह नई पीढ़ी को अपने असली नायकों से परिचय कराएगा.

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अल्केश कुशवाहा

अल्केश कुशवाहा जी हिंदी डिजिटल ट्रेंडिंग व ट्रेवल सेक्शन के इंचार्ज हैं. उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में 13 साल से ज्यादा समय का अनुभव है. उन्होंने करियर की शुरुआत कैनविज टाइम्स अखबार से साल 2012 ...और पढ़ें

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