Independence Day Facts: भारत का पहला झंडा कहां बना था और उसमें अशोक चक्र नहीं था! जानें हिस्ट्री
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Independence Day Facts: भारत का पहला झंडा कहां बना था और उसमें अशोक चक्र नहीं था! जानें हिस्ट्री

Independence Day Facts: भारत का पहला गैर-आधिकारिक ध्वज 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था, जिसे स्वामी विवेकानंद की शिष्या सिस्टर निवेदिता ने बनाया था. इस ध्वज में लाल, पीले और हरे रंग की पट्टियां थीं, जिस पर आठ कमल के फूल बने थे. अशोक चक्र इस पहले ध्वज में नहीं था, क्योंकि यह बाद के संस्करणों में शामिल किया गया.

 

Independence Day Facts: भारत का पहला झंडा कहां बना था और उसमें अशोक चक्र नहीं था! जानें हिस्ट्री

Independence Day 2025: भारत का पहला झंडा कलकत्ता (अब कोलकाता) के पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में 7 अगस्त 1906 को फहराया गया था. यह झंडा भगिनी निवेदिता द्वारा डिजाइन किया गया था और इसमें अशोक चक्र के बजाय आठ कमल के फूल और सूरज-चांद बने हुए थे. यह ध्वज 1931 में पिंगली वेंकैया द्वारा बनाए गए तिरंगे के पूर्वज के रूप में देखा जाता है, जिसमें चरखे का प्रतीक था और बाद में 1947 में वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज में चरखे को अशोक चक्र से बदल दिया गया.

भारत के पहले झंडे का क्या था इतिहास?

1906 का ध्वज: यह पहला गैर-आधिकारिक राष्ट्रीय ध्वज था जिसे 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में फहराया गया था. यह स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा तैयार किया गया था और इसमें लाल, पीली और हरी क्षैतिज पट्टियां थीं. ऊपर की हरी पट्टी पर आठ कमल के फूल बने थे और लाल पट्टी पर चांद व सूरज दर्शाए गए थे, जबकि बीच में 'वंदे मातरम' लिखा था.
 
1907 में भीकाजी कामा द्वारा फहराया गया झंडा: मैडम भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टटगार्ट में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस में एक अलग ध्वज फहराया. 

1917 में होम रूल आंदोलन का झंडा: एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने इस दौरान एक अलग ध्वज फहराया था, जिसमें बारी-बारी से लाल और हरी पट्टियां थीं, साथ ही सप्तऋषि के आकार में सात सितारे थे.

1921 में पिंगली वेंकैया का डिजाइन: विजयवाड़ा में कांग्रेस के एक अधिवेशन में पिंगली वेंकैया ने गांधीजी को एक झंडा दिखाया, जिसमें लाल और हरे रंग की पट्टियां थीं. गांधीजी ने भारत के अन्य समुदायों के प्रतिनिधित्व के लिए एक सफेद पट्टी और प्रगति के प्रतीक के रूप में चरखे को जोड़ने का सुझाव दिया.

1931 में वर्तमान ध्वज का पूर्वज: 1931 में, इसी झंडे में बदलाव किया गया, जिससे यह वर्तमान तिरंगे के रूप में दिखने लगा. इस ध्वज में चरखा केंद्र में था.

22 जुलाई 1947: संविधान सभा ने वर्तमान ध्वज को इसे स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था, जिसमें चरखे की जगह सम्राट अशोक का धर्मचक्र स्थापित किया गया.

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अल्केश कुशवाहा

अल्केश कुशवाहा जी हिंदी डिजिटल ट्रेंडिंग व ट्रेवल सेक्शन के इंचार्ज हैं. उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में 13 साल से ज्यादा समय का अनुभव है. उन्होंने करियर की शुरुआत कैनविज टाइम्स अखबार से साल 2012 ...और पढ़ें

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