Child Problem in Kundali: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुछ विशेष ग्रह और भाव संतान प्राप्ति में अहम भूमिका निभाते हैं. यदि इनमें कोई दोष हो, तो संतान में रुकावट आती है.
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Child Problem in Kundali: कई बार ऐसा देखा जाता है कि विवाह के कई वर्षों बाद भी दंपत्ति संतान सुख से वंचित रहते हैं. कुछ मामलों में गर्भ ठहरता है लेकिन बार-बार गर्भपात हो जाता है या बच्चा नहीं टिकता. यदि सारे मेडिकल टेस्ट सामान्य आ रहे हैं, फिर भी संतान सुख प्राप्त ना हो, तो इसके पीछे कुंडली के कुछ ग्रह हो सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस ग्रह की वजह से गर्भ नहीं ठहरता है और इसका ज्योतिषीय उपाय क्या है.
कुंडली में संतान से जुड़े ग्रह और भाव
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली का पांचवा भाव संतान से सीधा संबंध रखता है. इसके साथ ही गुरु (बृहस्पति), शुक्र और चंद्रमा की स्थिति भी संतान सुख के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. यदि ये ग्रह कमजोर हों या पाप ग्रहों (राहु, केतु, शनि, मंगल) से प्रभावित हों, तो संतान में बाधा आती है.
संतान में रुकावट के प्रमुख ज्योतिषीय कारण
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली के पंचम भाव में राहु, केतु, शनि या मंगल की उपस्थिति या दृष्टि से गर्भधारण में कठिनाई आती है.
महिलाओं की कुंडली में शुक्र और चंद्रमा का कमजोर होना हार्मोनल असंतुलन का संकेत देता है.
पुरुषों की कुंडली में शुक्र और मंगल का दुर्बल होना वीर्य संबंधित समस्याओं का कारण बनता है.
गुरु का नीच राशि में होना या पाप ग्रहों से पीड़ित होना गर्भधारण क्षमता को प्रभावित करता है.
चंद्रमा और केतु का संबंध, विशेष रूप से अष्टम भाव में, बार-बार गर्भपात या गर्भ के न ठहरने की स्थिति को दर्शाता है.
संतान सुख के लिए ज्योतिषीय उपाय
रोज सुबह "संतान गोपाल मंत्र" का 108 बार जाप करें – “ॐ देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः॥”
गुरुवार और शुक्रवार का व्रत रखें, पीले और सफेद वस्त्र पहनें.
पीपल के पेड़ की पूजा करें, विशेषकर गुरुवार को जल, हल्दी और चने की दाल अर्पित करें.
पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराना एक प्राचीन और असरदार उपाय माना गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)