Tulsi Mala Niyam: तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और तुलसी की माला को धारण करने वाले पर श्रीहरि की विशेष कृपा बनी रहती है. आइए जानते हैं कि किन गलतियों की वजह से तुलसी माला की ऊर्जा नष्ट हो जाती है.
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Tulsi Mala Niyam: सनातन धर्म में जैसे रुद्राक्ष की माला का विशेष स्थान है, वैसे ही तुलसी की माला भी अत्यंत पावन और प्रभावशाली मानी जाती है. यह माला न सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति का साधन है, बल्कि यह धारण करने वाले को सकारात्मक ऊर्जा से भी भर देती है. तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और तुलसी की माला को धारण करने वाले पर श्रीहरि की विशेष कृपा बनी रहती है. लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि तुलसी माला केवल एक फैशन की वस्तु नहीं, बल्कि यह श्रद्धा और संयम का प्रतीक है. इसे पहनने के नियम होते हैं, जिनका पालन आवश्यक है, वरना इसके प्रभाव क्षीण हो सकते हैं.
तुलसी माला का धार्मिक महत्व
तुलसी की माला का संबंध भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और नारायण से होता है. यह माला अत्यंत पवित्र और दैवीय शक्ति से युक्त मानी जाती है. इसे धारण करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और मन-मस्तिष्क में शांति बनी रहती है. धार्मिक ग्रंथों जैसे पद्म पुराण और स्कंद पुराण में तुलसी माला का उल्लेख मिलता है, जहां इसे विष्णुलोक की प्राप्ति का माध्यम बताया गया है.
तुलसी माला पहनते समय इन गलतियों से बचें
मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन करके तुलसी की माला धारण करना वर्जित है. सोते समय या यौन संबंध बनाते समय माला गले में नहीं होनी चाहिए. माला को किसी अन्य व्यक्ति को छूने या पहनने न दें. इसे दिखावे या फैशन के लिए पहनना धार्मिक रूप से अनुचित है. माला का सम्मान न करना, उसकी शक्ति को कम कर देता है.
तुलसी की माला पहनने के सही नियम
स्नान के बाद ही तुलसी माला को गले में धारण करें. पहनते समय "हरे कृष्ण महामंत्र" या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जप करें. भोजन करते समय या अशुद्ध स्थानों पर इसे पहनना उचित नहीं है. यदि माला टूट जाए, तो उसे फेंकने के बजाय गंगा जल से शुद्ध करके नदी में प्रवाहित करें या सम्मानपूर्वक अग्नि में समर्पित करें. जब माला उपयोग में न हो, तो उसे मंदिर में भगवान के चरणों में रखें. उसे रखने से पहले गंगाजल से धोना भी आवश्यक है.
पुराणों में भी तुलसी माला का जिक्र
पद्म पुराण के उत्तर खंड के 142 वां अध्याय और 30 वें श्लोक में तुलसी माला का वर्णन किया गया है- "तुलसीमालां धारयन् विष्णुलोकं स गच्छति". यानी जो कोई श्रद्धा से तुलसी माला धारण करता है, वह विष्णुलोक को प्राप्त करता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)