PM Modi in Maldives: एक वक्त था जब मालदीव के कुछ मंत्रियों ने भारत के पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, इसके बाद भारत में बॉयकॉट मालदीव ट्रेंड होने लगा था. लोग मालदीव जाना कम कर दिए थे लेकिन अब उसी मालदीव को एहसास हो गया कि भारत उनके लिए कितना जरूरी है.
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PM Modi Maldives Tour: कहते हैं कि वक्त कब बदल जाएगा इसका कोई भरोसा नहीं होता है. कुछ ऐसा ही नजारा आज मालदीव में देखने को मिला. पीएम मोदी के स्वागत में मालदीव ने कोई कसर नहीं छोड़ी. ये वही मालदीव है जहां के कुछ मंत्रियों ने पिछले साल पीएम मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इस टिप्पणी के बाद भारत में बॉयकॉट मालदीव ट्रेंड होने लगा था. हालांकि अब मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के तेवर पूरी तरह से नरम हो गए हैं. मालदीव ने अपने 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह पीएम मोदी को बुलाया और यहां पर पीएम के स्वागत में 21 तोपों की सलामी दी गई.
पीएम की लगी बड़ी तस्वीर
पीएम मोदी के स्वागत के लिए मालदीव की राजधानी माले को रंग-बिरंगे बैनरों, विशाल पोस्टरों और सड़कों पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज से सजाया गया था. यही नहीं राजधानी माले में रक्षा मंत्रालय की बिल्डिंग में पीएम मोदी की बड़ी सी तस्वीर लगाई गई थी. जो इस बात का संकेत दे रही थी कि अब पूरी तरह से मालदीव बदल गया है. मालदीव का ये बदलाव ये बताता है कि वैश्विक स्तर पर भारत कितना मजबूत हो रहा है. एक वक्त था जब मालदीव खुले मंच से भारत का विरोध कर रहा था. विरोध का आलम ऐसा था कि वो भारत के बजाय चीन की तरफ भी बढ़ने लगा था. राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने बीजिंग की यात्रा करके शी जिनपिंग से मुलाकात भी की थी और इस दौरान 20 अहम समझौतों पर साइन भी किए गए थे.
कभी दिया था इंडिया आउट का नारा
एक वक्त था जब मोहम्मद मुइज्जू ने इंडिया आउट का नारा दिया था और इसी नारे के जरिए उन्होंने राष्ट्रपति का पद हासिल किया था. सत्ता के अहंकार में चूर मुइज्जू लगातार भारत विरोधी बातें कर रहे थे. हालांकि समय के साथ उनके अंदर काफी ज्यादा बदलाव आ गया है. इसके पीछे की वजह है कि भारत ने कई मौकों पर मालदीव को करारे झटके दिए. पीएम की टिप्पणी के बाद मालदीव में भारतीय पर्यटकों ने जाना लगभग बंद कर दिया था. पर्यटन से मालदीव का एक बड़ा रेवेन्यू जनरेट होता है. लेकिन पीएम पर की गई टिप्पणी का असर दिखा और केवल 1 लाख 30 हजार पर्यटक ही साल 2024 में मालदीव घूमने के लिए गए. ऐसे में वहां की सरकार को समझ आने लगा कि उनके लिए भारतीय कितने ज्यादा जरूरी हैं. इसे देखते हुए पूरी तरह से मालदीव के राष्ट्रपति के तेवर नरम हो गए.