भारत में सबसे पहले किस शहर में आई थी बिजली और कब? जानें- नॉलेज से जुड़ा ये इतिहास
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भारत में सबसे पहले किस शहर में आई थी बिजली और कब? जानें- नॉलेज से जुड़ा ये इतिहास

History related to Electricity in India: पहले ही सरकारें, आजादी से भी दशकों पहले एजेंडे में कभी भी ग्रामीण आबादी तक बिजली पहुंचाना नहीं था. अंग्रेजों के पास भारतीय उपमहाद्वीप के लगभग हर हिस्से तक बेहतर पहुंच थी, लेकिन वे एक भी राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचा प्रदान नहीं कर सके. 

भारत में सबसे पहले किस शहर में आई थी बिजली और कब? जानें- नॉलेज से जुड़ा ये इतिहास

Where electricity comes first in India: भारत में बिजली का इतिहास भी बहुत कुछ कहता है. तब बिजली आज की तरह आसानी से उपलब्ध नहीं थी. बिजली उत्पादन और दूर दूर तक पहुंचाना आसान नहीं था, क्योंकि सुविधाएं सीमित थीं. बिजली का उत्पादन स्थानीय स्तर पर किया जाता था और उसे पास के स्थानों पर भेजा जाता था. ये ज्यादातर निजी कंपनियों द्वारा किया जाता था. पहले ही सरकारें, आजादी से भी दशकों पहले एजेंडे में कभी भी ग्रामीण आबादी तक बिजली पहुंचाना नहीं था.

तब केवल प्रमुख प्रशासनिक केंद्रों, कस्बों और बंदरगाहों को बिजली देने को प्राथमिकता थी. हालांकि अंग्रेजों के पास भारतीय उपमहाद्वीप के लगभग हर हिस्से तक बेहतर पहुंच थी, लेकिन वे एक भी राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचा प्रदान नहीं कर सके. 

सबसे पहले बिजली कब और कहां आई?
24 जुलाई 1879 को P.W. Fleury & Co द्वारा कोलकाता की सड़कों पर पहली बार लाइट पहुंचाई गई, जब पहले किसी बल्ब का जलते हुए देखा गया. 1881 में कलकत्ता में एक कॉटन मिल को 36 बिजली की लाइटों से रोशन किया था. 1897 में कंपनी का नाम बदलकर कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन कर दिया गया जिसका मुख्यालय लंदन में था. बहुत बाद में, 1970 में कंपनी का मुख्यालय लंदन से कलकत्ता ट्रांसफर कर दिया गया.

इस अवधि के दौरान एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब 1910 में भारतीय विद्युत अधिनियम का निर्माण किया गया. इस अधिनियम ने निजी कंपनियों को बिजली बनाने और इसे जनता के बीच वितरित करने का अधिकार दिया. हालांकि, आम लोगों की इस तक पहुंच मुश्किल से ही थी. सरकारी दफ़्तर, बैंक, क्लब, कारखाने आदि में बिजली जाती थी. 

स्थिति धीरे-धीरे ही सुधरी
1896 में दार्जिलिंग के सिद्रबोंग में 130 किलोवाट की क्षमता वाला हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर स्टेशन चालू किया गया जो अपनी तरह का पहला था. इसी तरह, पहला थर्मल पावर स्टेशन 1899 में कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी द्वारा इमामबाग में स्थापित किया गया. एक और मील का पत्थर महाराष्ट्र में खोपोली हाइड्रो-इलेक्ट्रिक स्टेशन था जिसे 1915 में टाटा हाइड्रो-इलेक्ट्रिक पावर सप्लाई कंपनी ने 40 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ शुरू किया था.

स्वतंत्रता और विभाजन के बाद भारत सरकार ने धीरे-धीरे चीजों को अपने हाथों में लेना शुरू कर दिया. तब बनाया गया विद्युत आपूर्ति अधिनियम, 1948 इस संबंध में एक ऐतिहासिक घटना थी. इस अधिनियम ने राज्य विद्युत बोर्ड (SEBs) के गठन का मार्ग प्रशस्त किया.

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नितिन अरोड़ा

लिखने के शौकीन हैं, पिछले 6 सालों से अधिक समय से मीडिया के कई अलग-अलग संस्थानों में काम कर चुके हैं और फिलहाल Zee News की डिजिटल टीम का हिस्सा हैं. यहां जनरल न्यूज व नेशनल, इंटरनेशनल खबरों पर एक्सप...और पढ़ें

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