Yogendra Singh Yadav Story: युद्ध में कोई एक योद्धा नहीं होता, युद्ध में जान जोखिल में डालकर जाने वाला हर सैनिक योद्धा है. कारगिल की जंग में बहुत से सैनिक शहीद हो गए. लेकिन एक कहानी ऐसी भी है, जहां एक सैनिक, जो 15 गोलियां खाने के बाद भी जिंदा बच गया. उनका नाम Yogendra Singh Yadav हैं. आइए जानते हैं उनके बारे में
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Kargil Vijay Diwas 2025: जब हम कारगिल युद्ध के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर कैप्टन विक्रम बत्रा का जिक्र आता है. लेकिन एक और सैनिक थे जिनकी बहादुरी के किस्से भी बहुत कुछ कहते हैं. 15 गोलियां लगने के बावजूद, उन्होंने अपनी चौकी नहीं छोड़ी और तब फिर भारतीय सेना द्वारा टाइगर हिल पर सफलतापूर्वक कब्जा करने में अहम भूमिका निभाई.
यह वीर कोई और नहीं, बल्कि सूबेदार मेजर (Honorary Captain) योगेंद्र सिंह यादव हैं. वे 1999 के कारगिल युद्ध में अपने वीरतापूर्ण कार्यों के लिए, मात्र 19 वर्ष की आयु में, भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार, परमवीर चक्र से सम्मानित होने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं.
योगेंद्र सिंह यादव: 15 गोलियों से बच निकले वीर
3 जुलाई, 1999 की रात, 19 वर्षीय ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव को 18वीं ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट की घातक प्लाटून के साथ एक महत्वपूर्ण मिशन सौंपा गया था. उनका काम टाइगर हिल पर 16,500 फुट ऊंची खड़ी चट्टान पर स्थित तीन महत्वपूर्ण बंकरों पर कब्जा करना था.
जब प्लाटून रस्सी के सहारे चट्टान पर चढ़ रही थी, दुश्मन सेना ने उन पर कई रॉकेट दागे. यादव चट्टान के सबसे आगे थे और इस तरह उन्हें कई गोलियां लगीं. इसके बावजूद, वे रेंगते हुए पहले दुश्मन बंकर तक पहुंचे और उन पर एक ग्रेनेड फेंका, जिससे लगभग चार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और उनकी गोलीबारी रुक गई. इससे बाकी भारतीय प्लाटून चट्टान पर चढ़ पाई.
यादव ने अपने साथी सैनिकों के साथ दूसरे बंकर पर हमला किया, और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और प्लाटून को चोटी पर पहुंचने में मदद की. यह कारगिल युद्ध के सबसे कठिन अभियानों में से एक था.
कठिन जगह, कड़ाके की ठंड और दुश्मन की भारी गोलाबारी के बावजूद, यादव अपनी प्लाटून में चोटी पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति थे. कई गोलियां और ग्रेनेड के छर्रे लगने के बाद भी, उन्होंने लड़ना जारी रखा और दुश्मन के बंकरों पर हमला किया. उन्होंने तब तक अपनी पोस्ट नहीं छोड़ी जब तक कि उनकी प्लाटून के बाकी सदस्य उनके साथ चोटी पर नहीं पहुंच गए, इस प्रकार पहाड़ी की चोटी पर कब्जा सुनिश्चित हो पाया.
मिशन के दौरान यादव की अविश्वसनीय बहादुरी ने उन्हें परमवीर चक्र (पीवीसी) पाने वाला सबसे कम उम्र का व्यक्ति बना दिया.
योगेंद्र सिंह यादव ने कही ये बड़ी बात
डीडी नेशनल के साथ एक साक्षात्कार में, योगेंद्र सिंह यादव ने कहा, 'एक सैनिक एक निस्वार्थ प्रेमी की तरह होता है. इस निस्वार्थ प्रेम के साथ दृढ़ संकल्प भी आता है. राष्ट्र, अपनी रेजिमेंट और अपने साथी सैनिकों के प्रति अपने प्रेम के कारण, एक सैनिक अपनी जान जोखिम में डालने से पहले दो बार नहीं सोचता.'
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