Rahul Gandhi: लाल किले पर राहुल गांधी को मिली थी रिजर्व सीट, फिर पीछे जाकर क्यों बैठे?
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Rahul Gandhi: लाल किले पर राहुल गांधी को मिली थी रिजर्व सीट, फिर पीछे जाकर क्यों बैठे?

Rahul Gandhi on lal Qila: लोकसभा ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए लाल किले पर सीट आगे की रिजर्व थी, फिर भी वे पीछे जाकर बैठे. ये बात रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कही है. आइए, जानते हैं कि राहुल गांधी पीछे जाकर क्यों बैठे?

Rahul Gandhi: लाल किले पर राहुल गांधी को मिली थी रिजर्व सीट, फिर पीछे जाकर क्यों बैठे?

नई दिल्ली: Rahul Gandhi on lal Qila: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के लाल किले के आयोजन में बैठने पर विवाद हो गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि राहुल गांधी के लिए सीट रिर्जव थी, लेकिन वे उस पर नहीं बैठे और पीछे जाकर एक कुर्सी पर बैठ गए. ये दावा भारत के रक्षा मंत्रालय ने किया है. लेकिन सवाल ये उठता है कि जब राहुल गांधी को सीट अलॉट हुई, फिर भी वे पीछे जाकर क्यों बैठे?

  1. राहुल के लिए रिजर्व थी सीट
  2. रक्षा मंत्रालय ने किया दावा

कहां बैठे राहुल गांधी?
राहुल गांधी लाल किले पर लाइन में बैठे थे, वहां पर पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ी बैठे थे. इसी पंक्ति में मनु भाकर भी बैठी थीं. जबकि राहुल के आगे की लाइन में भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर और कप्तान बैठे हुए थे. 

पीछे क्यों बैठे राहुल गांधी?
राहुल गांधी अपनी मर्जी से पीछे बैठे थे. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि जब राहुल गांधी को स्टाफ ने रिर्जव सीट पर बैठने के लिए कहा तब वे बोले- मैं आम लोगों के बीच बैठना चाहता हूं. यहां मौजूद नेताओं के साथ तो मैं सदन में बैठता ही हूं.

10 साल बाद आया ऐसा मौका
लाल किले पर हुए समारोह में 10 साल बाद किसी विपक्षी नेता के लिए कुर्सी रिजर्व हुई थी. इन 10 सालों में किसी भी पार्टी को इतनी सीरें नहीं मिली कि विपक्ष का नेता चुना जाए. लेकिन इस बार कांग्रेस ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की. राहुल नेता प्रतिपक्ष बने और लाल किले के समारोह में उनके लिए सीट रिजर्व हुई. 

राहुल गांधी ने दी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी. उन्होंने एक्स पर लिखा- सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं. हमारे लिए स्वतंत्रता सिर्फ एक शब्द नहीं- संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों में पिरोया हुआ सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है. यह शक्ति है अभिव्यक्ति की, क्षमता है सच बोलने की और उम्मीद है सपनों को पूरा करने की. जय हिंद.

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रौनक भैड़ा

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