गलत गेम खेल रहा NATO! रूसी तेल खरीदने पर भारत को धमकी, लेकिन छिपा रहा अपना असली चेहरा
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गलत गेम खेल रहा NATO! रूसी तेल खरीदने पर भारत को धमकी, लेकिन छिपा रहा अपना असली चेहरा

Nato chief targets India: नाटो प्रमुख मार्क रूट ने भारत, चीन और ब्राजील को रूसी तेल की खरीद के बारे में चेतावनी दी है, लेकिन अपनी सच्चाई छिपा रहा.

गलत गेम खेल रहा NATO! रूसी तेल खरीदने पर भारत को धमकी, लेकिन छिपा रहा अपना असली चेहरा

NATO Targets India, China, Brazil: नाटो प्रमुख मार्क रूट ने भारत को रूसी तेल खरीदने के बारे में चेतावनी दी है, लेकिन सच्चाई यह है कि यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को सहायता के रूप में दी गई राशि से ज्यादा ऊर्जा आयात के लिए रूस को दी है.

2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद से भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल की खरीद बढ़ा दी है. वहीं, रूसी ऊर्जा निर्यात देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध-क्षमताओं के लिए केंद्रीय है, ऐसा मानने वाले कई पश्चिमी नेताओं और टिप्पणीकारों ने अक्सर भारत की आलोचना की है. लेकिन कहानी इससे अलग है.

रूट ने कहा, 'इन तीनों देशों को मेरा विशेष रूप से कहना है कि अगर आप बीजिंग या दिल्ली में रहते हैं, या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको इस पर गौर करना चाहिए, क्योंकि यह आपको बहुत प्रभावित कर सकता है. इसलिए कृपया व्लादिमीर पुतिन को फोन करें और उन्हें बताएं कि उन्हें शांति वार्ता के बारे में गंभीर होना होगा, क्योंकि अन्यथा इसका ब्राजील, भारत और चीन पर व्यापक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.'

असली खेल क्या है?
हालांकि, तथ्य यह है कि यूरोपीय और नाटो सदस्य रूसी ऊर्जा निर्यात के बड़े खरीदार अभी भी बने हुए हैं, जबकि रूट ने भारत और चीन को विशेष रूप से चिन्हित किया है.' 

उदाहरण के लिए, ऊर्जा और स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र (CREA) के अनुसार, 2022 से यूरोपीय संघ रूसी तरलीकृत प्राकृतिक गैस (51 प्रतिशत) और पाइपलाइन गैस (37 प्रतिशत) का सबसे बड़ा खरीदार रहा है और तुर्की, एक नाटो सदस्य रूसी तेल उत्पादों (26 प्रतिशत) का सबसे बड़ा खरीदार रहा है. इससे ये बात साफ होती कि भारत, रूस से खरीदे तो दिक्कत लेकिन वे खुक अपने लिए रूस को चुने हुए हैं.

यूरोपीय संघ ने रूस को यूक्रेन से ज्यादा धन दिया
पश्चिमी अधिकारियों और टिप्पणीकारों ने भले ही रूसी ऊर्जा आयात के लिए भारत को निशाने पर लिया हो, लेकिन सच्चाई यह है कि यूरोप ने ऊर्जा आयात के लिए रूस को यूक्रेन को सहायता के रूप में दिए गए धन से ज्यादा धन दिया है.

सीआरईए के अनुमानों के अनुसार, 2024 में यूरोपीय संघ के सदस्यों ने €21.9 बिलियन ($25.4 बिलियन) रूसी तेल और गैस खरीदी, जबकि यूक्रेन के लिए उन्होंने €18.7 बिलियन ($21.69 बिलियन) की सहायता आवंटित की.

सीआरईए के एक विश्लेषक वैभव रघुनंदन ने गार्जियन को बताया, 'रूसी जीवाश्म ईंधन खरीदना, बिल्कुल स्पष्ट रूप से, क्रेमलिन को वित्तीय सहायता भेजने और उसके आक्रमण को सक्षम करने जैसा है. यह एक ऐसी प्रथा है जिसे न केवल यूक्रेन के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए, बल्कि यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा को भी तुरंत रोकना होगा.'

रूस को कितने और यूक्रेन को कितने?
अनुमान के अनुसार, 2022 से यूरोपीय संघ के सदस्यों ने तेल, गैस और कोयले के लिए रूस को 215-235 बिलियन डॉलर का भुगतान किया है, जबकि यूक्रेन को सहायता के लिए उन्होंने 200 बिलियन डॉलर आवंटित और देने का वादा किया है.

2022 से आयात में कटौती के बावजूद यूरोप की रूसी तेल और गैस पर निर्भरता जल्द ही समाप्त नहीं होने वाली है. यूरोपीय संघ ने 2027 के अंत तक रूसी तेल आयात और जनवरी 2028 तक गैस आयात समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है.

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