पाकिस्तानी PM शरीफ की ये मोदी से कैसी उम्मीद, क्या भारत देगा दुश्मन देश की इस बात पर ध्यान?
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पाकिस्तानी PM शरीफ की ये मोदी से कैसी उम्मीद, क्या भारत देगा दुश्मन देश की इस बात पर ध्यान?

India-PAK Tension: प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ वार्ता के लिए सऊदी अरब को तटस्थ स्थान के रूप में सुझाया है तथा प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत की आशा व्यक्त की है.

पाकिस्तानी PM शरीफ की ये मोदी से कैसी उम्मीद, क्या भारत देगा दुश्मन देश की इस बात पर ध्यान?

Shehbaz Sharif- Modi Talks news: प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि सऊदी अरब पाकिस्तान और भारत के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत के लिए एक तटस्थ स्थल के रूप में काम कर सकता है. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संभावित वार्ता की उम्मीद भी जताई है.

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि सऊदी अरब एक तटस्थ देश हो सकता है जो वार्ता की मेजबानी के लिए दोनों पक्षों को स्वीकार्य हो.

पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि भारत-पाकिस्तान वार्ता के लिए चीन को एक संभावित स्थल माना जा सकता है, लेकिन उन्होंने इसे एक तटस्थ विकल्प के रूप में मानने से इनकार कर दिया और कहा कि भारत इसके लिए कभी सहमत नहीं होगा. इस बात में दो राय भी नहीं है. हाल ही में जब पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था तो चीन अपने दोस्त को समर्थन देने पहुंच गया था. इसके अलावा सभी जानते हैं को चीन पाक को सपोर्ट करता है तो ऐसे में वह स्थान कभी भी तटस्थ नहीं हो सकता.

पाक क्यों चाहता है बात करना?
पहली बात तो ये पाकिस्तान को भारत से कोई रिश्ते बेहतर तो करने नहीं. भारत की तरफ से कई बार पहल की गई, जिसपर पाक ने पानी फेर दिया. आखिरकार भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया. अब पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाक के खिलाफ कई बड़े कदम उठाए थे, जिसमें सिंधु नदी समझौता रोकना भी शामिल था. ऐसे में पाक ने सैन्य कार्रवाई करके देखली और खुद नुकसान पाकर बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाने का प्रयास कर रहा है. लेकिन यहां बात दोनों देशों में केवल पाकिस्तान द्वारा कब्जाए हुए कश्मीर की हो सकती है. इसके अलावा पाकिस्तान से कोई दूसरी बात नहीं होगी, ऐसा मोदी सरकार साफ कर चुकी है.

पाक पीएम की यह टिप्पणी डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दोनों परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच मध्यस्थता की पेशकश के बाद आई है. ट्रंप ने पहले घोषणा की थी कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने तनाव कम करने के लिए युद्ध विराम कराया है, जहां बाद में उन्होंने इससे इनकार कर दिया, लेकिन फिर अब सीजफायर के लिए अमेरिका को श्रेय दिया.

वहीं, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसदीय समिति को बताया कि सैन्य अभियान रोकने का निर्णय भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से लिया गया था.

पहलगाम आतंकी हमला और भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया. इसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे. भारत ने कहा कि हमलावर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी थे. इस हमले ने एक बार फिर आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के समर्थन की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया.

जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी शिविरों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया.

भारतीय सेना ने बहावलपुर और मुरीदके में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख ठिकानों सहित नौ आतंकी शिविरों पर सटीक हमले किए. इस ऑपरेशन में राफेल जेट, ब्रह्मोस मिसाइल और अन्य उन्नत हथियारों का इस्तेमाल किया गया.

एक प्रेस ब्रीफिंग में, भारतीय अधिकारियों ने कहा कि वे तनाव नहीं बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन किसी भी उकसावे के लिए तैयार हैं.  पुष्टि की कि भारत ने सभी पाकिस्तानी सैन्य कार्रवाइयों का जवाब दिया है और हाई अलर्ट पर है.

दूसरी तरफ पाकिस्तान के असफल ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारत ने जवाबी हमला किया, जिसमें कई पाकिस्तानी हवाई और सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा.

 

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