पेट्रोल-डीजल के ज्यादा दामों से परेशान लोगों के लिए एक राहत भरी खबर आ सकती है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने साफ संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में किस चीज से चलने वाले वाहन सड़कों पर दौड़ेंगे.
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पेट्रोल-डीजल के ज्यादा दामों से परेशान लोगों के लिए एक राहत भरी खबर आ सकती है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने साफ संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में देश में 100% बायो-इथेनॉल से चलने वाले वाहन सड़कों पर दौड़ेंगे. एनडीटीवी के ग्रीन और रिन्यूएबल एनर्जी समिट में बोलते हुए गडकरी ने इसे “फ्यूल ऑफ द फ्यूचर” करार दिया और कहा कि यह न केवल प्रदूषण कम करेगा बल्कि देश की विदेशी तेल पर निर्भरता भी घटाएगा.
गडकरी ने कहा कि इथेनॉल के इस्तेमाल से प्रदूषण में कमी आई है. हमारा टारगेट कार्बन फुटप्रिंट को कम करना और फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता खत्म करना है. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यहां मोटर वाहनों की संख्या भी चीन और अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा है.
सरकार का E20 प्लान
सरकार का टारगेट है कि 2025-26 तक देश में बिकने वाला हर पेट्रोल 20% इथेनॉल के साथ मिक्स हो. इसे E20 प्लान कहा जा रहा है. अभी देश में औसतन 19.6% इथेनॉल मिश्रण हासिल किया जा चुका है, जबकि 2022-23 में यह 12.06% था. फरवरी 2025 में ही देश ने 20% का आंकड़ा पार कर लिया.
जनता में चिंता और नाराजगी
हालांकि, इस योजना पर आम जनता की राय बंटी हुई है. कई कार मालिकों ने सोशल मीडिया पर चिंता जताई है कि इथेनॉल मिश्रण उनके वाहनों (खासकर पुराने मॉडल्स में) के इंजनों को नुकसान पहुंचा सकता है. आंध्र प्रदेश के एक कार मालिक वेंकटेश अला ने तो इसे “सीधा धोखा” बताते हुए कानूनी कार्रवाई की धमकी दी. उनका कहना है कि सरकार को हक नहीं है कि वह हमें मजबूर करे कि हम कौन-सा ईंधन इस्तेमाल करें.
सरकार का जवाब
पेट्रोलियम मंत्रालय ने इन आशंकाओं को “टेक्निकली बेसलेस” बताया है. मंत्रालय के मुताबिक, इथेनॉल से चलने वाले वाहनों की माइलेज में मामूली (1-2%) गिरावट आती है, जो स्वीकार्य सीमा में है. कुछ पुराने वाहनों में यह 3-6% तक हो सकती है, लेकिन सेफ्टी स्टैंडर्ड के तहत इंजन में इथेनॉल-कंपैटिबल सामग्री और जंग रोकने वाले इनहिबिटर का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया है.
आर्थिक और पर्यावरणीय फायदे
सरकार का दावा है कि 2014-15 से अब तक इथेनॉल ब्लेंडिंग से देश को 1.4 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत हुई है और कार्बन उत्सर्जन में 700 लाख टन की कमी आई है. साथ ही, गन्ना और कृषि अवशेष से बनने वाले इथेनॉल ने किसानों की आमदनी में 1.2 लाख करोड़ रुपये का इजाफा किया है.
भविष्य की तस्वीर
गडकरी के मुताबिक, आने वाले समय में भारत में 100% बायो-इथेनॉल से चलने वाली गाड़ियां आम होंगी. इससे न सिर्फ प्रदूषण कम होगा बल्कि पेट्रोल-डीजल की महंगाई से भी राहत मिलेगी. अगर यह योजना सफल रही, तो भारत न केवल ऑटोमोबाइल सेक्टर में बल्कि ऊर्जा आत्मनिर्भरता के मामले में भी एक नया इतिहास रचेगा.