Dronapushpi: फ्लावर नहीं, फायर है ये फूलों का पौधा, बीमारियों को जलाकर कर देता है राख!
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Dronapushpi: फ्लावर नहीं, फायर है ये फूलों का पौधा, बीमारियों को जलाकर कर देता है राख!

द्रोणपुष्पी फूलों का वो पौधा है जो दिखने में बेहद आम लगता है, लेकिन सेहत के लिहाज से ये बेहद फायदेमंद है. हालांकि इसके सेवन से पहले कुछ बातों का ख्याल रखना भी जरूरी है.

Dronapushpi: फ्लावर नहीं, फायर है ये फूलों का पौधा, बीमारियों को जलाकर कर देता है राख!

Dronapushpi Ke Fayde: हमारे आस-पास बहुत सारे ऐसे पौधे होते हैं जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन उनमें से कुछ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं और हमारी सेहत के लिए वरदान साबित होते हैं.  'द्रोणपुष्पी' भी ऐसा ही एक पौधा है, जो अपनी सादगी और आसानी से मिलने वाले गुणों के कारण आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसे गुमा के नाम से भी जाना जाता है. ये पूरा पौधा, चाहे वह पत्ते हों, फूल, जड़ या तना... हर हिस्सा किसी न किसी बीमारी के इलाज में उपयोगी होता है.

क्यों फायदेमंद है द्रोणपुष्पी?
अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, द्रोणपुष्पी का वानस्पतिक नाम ल्यूकास एस्पेरा (Leucas aspera) है. इस पूरे पौधे में ट्राइटरपेनोइड्स नामक तत्व होता है, जिनमें ओलेनोलीक एसिड, यर्सोलिक एसिड और बीटा-सिटोस्टेरोल शामिल हैं. इसके ऊपर वाले भागों में निकोटिन, स्टेरोल्स और कुछ नए अल्कालॉइड्स पाए गए हैं. साथ ही इसमें शर्करा जैसे गैलैक्टोज और ग्लूकोसाइड भी होते हैं.

कमाल के पत्ते
पौधे के पत्तों में कई प्रकार के तैलीय और खुशबूदार पदार्थ होते हैं, जिनमें यू-फारनीसीन, एक्स-थुजीन और मेंथोल सबसे ज्यादा होते हैं. फूलों में भी ऐमिल प्रोपियोनेट और आइसोएमिल प्रोपियोनेट जैसे कुछ खास तत्व पाए जाते हैं. इसके बीजों में कई प्रकार के फैटी एसिड होते हैं, जैसे पाल्मिटिक एसिड, स्टीयरिक एसिड, ओलेइक एसिड और लिनोलेइक एसिड. बीजों के तेल में बीटा-सिटोस्टेरोल और सेरिल अल्कोहल भी होते हैं.

तना और जड़ भी फायदेमंद
पौधे के तनों और जड़ों में ल्यूकोलेक्टोन नामक तत्व होता है. ये सारे तत्व मिलकर द्रोणपुष्पी को औषधीय गुणों से भरपूर बनाते हैं. इस पौधे में एंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सिडेंट और कई अन्य औषधीय गुण होते हैं, इसलिए इसका इस्तेमाल दवाइयों के रूप में भी होता है.

बुखार में असरदार
ये पौधा बुखार में बहुत फायदेमंद होता है. चाहे नॉर्मल बुखार हो, मलेरिया, टाइफाइड, या किसी भी तरह की परेशानी हो, द्रोणपुष्पी का काढ़ा पीने से बुखार जल्दी कम हो जाता है. इसके पत्तों का रस निकालकर शरीर पर लगाने से भी ठंडक मिलती है और जलन कम होती है.

पेट के लिए अच्छा
पेट की परेशानियों में भी ये बहुत मददगार है. अगर आपको अपच, गैस, पेट फूलना या दस्त जैसी तकलीफें हों तो द्रोणपुष्पी की सब्जी खाने से या काढ़ा बनाकर पीने से डाइजेशन मजबूत होता है और भूख भी बढ़ती है.

हड्डियों के लिए राहत का सब
गठिया और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों के लिए भी द्रोणपुष्पी राहत लेकर आता है. इसके काढ़े का सेवन करने या पत्तों का लेप करने से सूजन कम होती है और दर्द में आराम मिलता है.

स्किन का दोस्त
त्वचा से जुड़ी बीमारियों जैसे दाद, खुजली, घाव या अन्य संक्रमणों में भी इसके पत्तों का रस या लेप लगाने से फायदा होता है, क्योंकि इसमें एंटीसेप्टिक और सूजन कम करने वाले गुण होते हैं.

सांस की तकलीफ से राहत
सांस की बीमारियों में भी द्रोणपुष्पी की भूमिका अहम है. खांसी, सर्दी और श्वास से जुड़ी समस्याओं में इसके काढ़े या रस को अदरक और शहद के साथ मिलाकर पीने से बहुत आराम मिलता है. येां तक कि इसके फूलों और काले धतूरे के फूलों को धूम्रपान करने से भी श्वास की तकलीफों में फायदा होता है.

लिवर की बीमारी से निजात
पीलिया और लिवर की बीमारियों में द्रोणपुष्पी की जड़ का चूर्ण पिप्पली के साथ मिलाकर लेने से लिवर ठीक होता है और पीलिया की परेशानी कम होती है. इसके पत्तों का रस आंखों में डालने या काजल की तरह लगाने से भी आंखों की बीमारियां ठीक होती हैं.

नींद न आने पर करें सेवन
नींद न आने की समस्या में इसके बीजों का काढ़ा पीना फायदेमंद है. इसके अलावा, द्रोणपुष्पी अनिमिया, मधुमेह और मिर्गी जैसी बीमारियों में भी मदद करता है. ये शरीर को अंदर से साफ करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है.

इन बातों का रखें ख्याल
द्रोणपुष्पी लेने के यूं तो कई तरीके हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि इसे बिना आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के न लें, क्योंकि कभी-कभी इसकी ज्यादा मात्रा से पेट में जलन या एलर्जी हो सकती है. खासकर प्रेग्नेंट और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को इसका इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए.

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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