आयुर्वेद ने हमारे लिए कुछ ऐसे वरदान दिए हैं जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते है. बस आपको इसकी अहमियत और इस्तेमाल का सही तरीका पता होना चाहिए.
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Guggul: दुनियाभर में पेड़-पौधों की कई ऐसी प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनका आयुर्वेद में एक अहम स्थान है. इन्हीं में से एक है गुग्गुल, जिसे आयुर्वेद में 'गुग्गुलु' भी कहते है. इसे संस्कृत में 'गुग्गुलु', 'महिषाक्ष' और 'पद्मा' जैसे नामों से भी जाना जाता है. इसके सेवन से ढेरों फायदे मिलते हैं.आयुर्वेद के अनुसार, ये कोमीफोरा मुकुल नामक पौधे से प्राप्त होता है। इसका उपयोग वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करने के लिए किया जाता है। लेकिन, यह विशेष रूप से वात दोष को शांत करने के लिए फायदेमंद है.
मोटापा होगा कम
चरक और सुश्रुत संहिता में गुग्गुलु का जिक्र मिलता है, जिसके मुताबिक, इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है. चरक संहिता में गुग्गुलु को मोटापे को कम करने में कारगर बताया गया है. वहीं सुश्रुत संहिता में इसका उल्लेख सर्जरी को लेकर में है, जहां इसे अलग-अलग तरह के रोगों के इलाज में उपयोगी बताया गया है.
यूरिन से जुड़ी बीमारियों में फायदा
सुश्रुत संहिता में गुग्गुलु का इस्तेमाल 1120 बीमारियों और 700 से अधिक औषधीय पौधों के साथ कई समस्याओं में किया जाता है. चरक संहिता में इसके बारे में कहा गया है, "गुग्गुलुं वातरक्तघ्नं मेहशोथहरं शुभं." जिसका अर्थ है गुग्गुल गठिया और मूत्रविकारों को दूर करने में बेस्ट है.
कान और पेट की परेशानी में राहत
इसमें विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट, क्रोमियम जैसे कई तत्व पाए जाते हैं. इसी वजह से इस औषधि का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है. ये कान से आने वाली दुर्गंध को भी कम करने में यह सहायक है. इतना ही नहीं, इसे खट्टी डकार, पेट के रोग, एनीमिया, बवासीर और जोड़ों के दर्द में राहत देता है.
ज्वॉइंट पेन होगा कम
गुग्गुल में वात को संतुलित करने का गुण होता है, जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है, जैसे कि ऑस्टियोआर्थराइटिस. ये गुग्गुल पाचन में सुधार करने के साथ कब्ज, एसिडिटी जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है. कांचनार गुग्गुल ग्लैंड वाले रोगों, खासकर थायरॉइड व पीसीओडी जैसे कंडीशंस में हद से ज्यादा मानी गई है.
गर्म है तासीर
आयुर्वेद में 'गुग्गुल' को शरीर से जुड़े कई इलाज के लिए रामबाण इलाज माना गया है. 'गुग्गुल' गोंद की तरह होता है, जिसकी तासीर गर्म और कड़वी होती है. ये अल्सर, बदहजमी, पथरी, मुंहासे, बवासीर के साथ ही खांसी, आंख से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करने में मददगार है.
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.