दिल्ली सरकार अब इवेंट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कुतुब मीनार और पुराना किला जैसे ऐतिहासिक स्मारकों के दरवाजे प्राइवेट इवेंट के लिए खोलने जा रही है. सोमवार को पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय मीटिंग की गई.
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Marriage in Qutub Minar: हिंदुजा, पांड्या, परिणीति, प्रियंका, रवीना....लिस्ट लंबी है. गिनते जाएंगे खत्म नहीं होगी. ये ढेर सारे बड़े-बड़े उद्योगपति, सेलिब्रिटीज राजस्थान के उदयपुर, जयपुर, जोधपुर जैसे शहरों में जाकर शादियां क्यों करते हैं? आप कहेंगे वहां की शादियों का वैभव अलग ही होता है.वर और वधू को यहां शादी करके शाही होने का एहसास होता है.
ऐतिहासिक स्मारकों में कर सकेंगे शादी
तो अब एक नया अपडेट सुनिए. अब आप दिल्ली में भी कुतुब मीनार, पुराना किला जैसे स्मारकों में शादी का प्लान बना सकेंगे. यानी इन ऐतिहासिक स्मारकों को अपना वेडिंग डेस्टिनेशन बना सकेंगे. इसी तरह आप सफदरजंग मकबरे और हुमायूं के मकबरे में भी म्यूजिकल नाइट्स का आनंद उठा सकेंगे. यहां कोई और इवेंट, मीटिंग, सम्मेलन या प्रदर्शनी का आयोजन भी करवा सकेंगे या उनमें भागीदारी निभा सकेंगे क्योंकि दिल्ली सरकार ने राजधानी को 'स्मारकों के शहर' से 'मेगा इवेंट हब' बनाने की पहल शुरू कर दी है.
#DNAWithRahulSinha | कुतुब मीनार..आपके लिए 'बैंक्वेट' बनने को तैयार! पुराना किला..अब बर्थडे-शादी की मेजबानी करेगा?
दिल्ली में 'कुतुब मीनार वाली योजना' का विश्लेषण#DNA #QutabMinar #NewDelhi @RahulSinhaTV pic.twitter.com/U6wPWuq8oA
— Zee News (@ZeeNews) July 23, 2025
प्राइवेट इवेंट के लिए खुलेंगे दरवाजे
दिल्ली सरकार अब इवेंट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कुतुब मीनार और पुराना किला जैसे ऐतिहासिक स्मारकों के दरवाजे प्राइवेट इवेंट के लिए खोलने जा रही है. सोमवार को पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय मीटिंग की गई. इस मीटिंग में मुंबई, दुबई और बैंकॉक जैसे शहरों के तर्ज पर दिल्ली को एक इंटरनेशनल लेवल के 'सम्मेलन केंद्र' के रूप में डेवलप किए जाने पर विचार हुआ. जल्दी ही सीएम रेखा गुप्ता के सामने यह प्रस्ताव पेश किया जाएगा और इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. दिल्ली में 70 से 80 ऐतिहासिक स्मारक हैं जिनका उपयोग सांस्कृतिक और निजी आयोजनों के लिए प्रभावी ढंग से किया जा सकता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 के नवंबर-दिसंबर के महीने यानी वेडिंग सीजन में राजस्थान में 3 लाख से ज्यादा शादियों से करीब 6,600 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ था. यह राजस्व न केवल शादी के आयोजनों से, बल्कि इससे जुड़े होटल, कैटरिंग, डेकोर, और पर्यटन से भी आता है. अगर इसी तर्ज पर दिल्ली में 5,000-10,000 शादियां और 500 अन्य इवेंट्स ऐतिहासिक स्मारकों पर आयोजित हों, तो साल में राजस्व 2,000-3,000 करोड़ रुपये तक पैदा हो सकता है. यह आंकड़ा टिकट बिक्री, इवेंट परमिट फीस, और पर्यटन से होने वाली आय को मिलाकर है.
दिल्ली में शादियों के दौरान हुआ था बंपर कारोबार
दिल्ली में नवंबर से फरवरी तक के वेडिंग सीजन के दौरान 2022 में अनुमानित साढ़े 3 लाख शादियों से 7,500 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था. अगर इनमें से सिर्फ 5 फीसदी शादियां यानी 17,500 शादियां ऐतिहासिक स्थलों पर आयोजित हों, और हर शादी में औसतन 1 करोड़ रुपये खर्च हो, तो इससे 1,750 करोड़ रुपये का राजस्व पैदा हो सकता है.
दिल्ली में ऐतिहासिक स्मारकों के टिकट बिक्री से 4 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिलता है. कॉरपोरेट इवेंट्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम और फैशन शो जैसे आयोजन भी इन स्थलों पर हो सकते हैं. अगर हर साल 500 ऐसे इवेंट्स हों, और हर इवेंट पर औसतन 50 लाख रुपये खर्च हो, तो यह अतिरिक्त 250 करोड़ रुपये का राजस्व दे सकता है.
लेकिन ऐतिहासिक इमारतों का इस्तेमाल करते समय उनके संरक्षण का ध्यान रखना भी जरूरी है. इन ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI द्वारा किया जाता है. दिल्ली में ट्रैफिक और भीड़ प्रबंधन एक चुनौती हो सकती है. सख्त नियमों की भी जरूरत होगी ताकि स्मारकों को नुकसान न हो. राजस्थान की तर्ज पर लग्जरी होटल और बैंक्वेट हॉल के साथ साझेदारी की जा सकती है. प्रीमियम परमिट फीस लागू की जा सकती है, जिससे राजस्व बढ़े और स्मारकों का रखरखाव हो सके. ये चंद सुझाव हैं जिनका ध्यान रखा जाए तो चीजें बेहतर हो सकती हैं.