Mohan Bhagwat: मोहन भागवत के साथ संघ के सीनियर नेता दत्तात्रेय होसबोले.. कृष्ण गोपाल... रामलाल और इंद्रेश कुमार भी इस मीटिंग में मौजूद रहेंगे. फिलहाल इस मीटिंग की चर्चा राजनीतिक गलियारों में खूब हो रही है.
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS प्रमुख मोहन भागवत की एक मीटिंग की चर्चा राजनीतिक गलियारों में खूब हो रही है. असल में जानकारी के मुताबिक गुरुवारको दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में मोहन भागवत मुस्लिम धार्मिक नेताओं के साथ एक बैठक करने वाले हैं. जानकारी सामने आई है कि इस बैठक में ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख उमर अहमद इलियासी समेत कई मुस्लिम धर्मगुरु शामिल होंगे. संघ के सीनियर नेता दत्तात्रेय होसबोले.. कृष्ण गोपाल... रामलाल और इंद्रेश कुमार भी इस मीटिंग में मौजूद रहेंगे.
मुस्लिम समुदाय से संवाद के प्रयासों का हिस्सा!
असल में एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह बैठक संघ के मुस्लिम समुदाय से संवाद बढ़ाने के लगातार प्रयासों का हिस्सा मानी जा रही है. आरएसएस से जुड़ा संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच MRM लंबे समय से मुस्लिम विद्वानों, धर्मगुरुओं और समाज के प्रतिष्ठित चेहरों से संवाद करता रहा है. 2023 में मंच ने 'एक राष्ट्र-एक ध्वज-एक राष्ट्रगान' की भावना को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय से संवाद का राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने की घोषणा की थी.
इससे पहले सितंबर 2022 में भी मोहन भागवत ने कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी. उस समय धार्मिक समावेशिता, ज्ञानवापी मस्जिद, हिजाब विवाद और जनसंख्या नियंत्रण जैसे विषयों पर चर्चा हुई थी. बैठक में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, एएमयू के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीउद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और कारोबारी सईद शेरवानी जैसे नाम शामिल थे.
इसी सिलसिले में अक्टूबर 2022 में आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन दरगाह का दौरा भी किया था. जहां उन्होंने दरगाह परिसर में दीप जलाए थे. इस मौके पर उन्होंने कहा था कि कोई जबरन धर्म परिवर्तन या हिंसा न करे. सभी को अपने धर्म का पालन करने की आजादी होनी चाहिए और सभी धर्मों का सम्मान जरूरी है.
इतना ही नहीं सितंबर 2022 में मोहन भागवत ने खुद भी ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख डॉ उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की थी और उसी दिन दिल्ली की एक मस्जिद और मदरसे का दौरा भी किया था. इन सभी प्रयासों को संघ के धार्मिक समरसता और संवाद की पहल के रूप में देखा जा रहा है. फिलहाल इस मीटिंग पर निगाहें बनी हुई हैं.